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चरित्र और संस्कार का संकट संस्कृत भाषा से होगा समाप्त

जागरण संवाददाता, पानीपत : स्थानीय आईबी कॉलेज में रामदेव धींगड़ा पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से सं

By Edited By: Published: Wed, 30 Mar 2016 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 30 Mar 2016 01:01 AM (IST)
चरित्र और संस्कार का संकट संस्कृत भाषा से होगा समाप्त

जागरण संवाददाता, पानीपत :

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स्थानीय आईबी कॉलेज में रामदेव धींगड़ा पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से संस्कृति एवं संस्कृत के महत्व के संदर्भ में व्याख्यान माला का पहला व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर बरेली से पधारे मुख्य वक्ता और वैदिक विद्वान आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने आधुनिक संदर्भ में संस्कृत की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने सारगर्भित भाषण में कहा कि संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा है। संस्कृत भाषा में ज्ञान और विज्ञान का असीम भंडार है। संस्कृत में रचित वेद, उपनिषद, दर्शन और विविध प्रकार का विश्वस्तरीय साहित्य भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व का मार्ग दर्शन करता है। संस्कृत आधुनिक संदर्भ में उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी वैदिक काल में रही थी। आज देश में चरित्र और संस्कार का संकट है। संस्कृत साहित्य इस दिशा में हमारा पथ प्रदर्शक निश्चित रुप से सिद्ध होगा। चिंता की बात यह है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में संस्कृत भाषा के प्रति उदासीन और नकारात्मक रवैया अपनाया जा रहा है। यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।

व्याख्यान माला के अध्यक्ष आर्य पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. बीबी शर्मा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि जिस देश की संस्कृति, सभ्यता और परम्पराएं दम तोड़ने लगती हैं, वह देश कभी जीवित नहीं रह सकता। यदि देश को जीवित रखना है तो संस्कृति और संस्कृत भाषा को जीवित रखना ही होगा। पंचकुला से आए ट्रस्ट प्रधान धर्मवीर बत्रा, राजकुमार शर्मा, प्राध्यापक मनीष शर्मा ने संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किए। स्कूल व कॉलेज के उन छात्र और छात्राओं को पुरस्कृत किया गया, जिन्होंने संस्कृत में शत प्रतिशत अंक प्राप्त किए।

इस अवसर पर ट्रस्ट के उपप्रधान नवनीत सिंगला, सतीश गुगनानी, नरेश सैनी, बलकार सिंह, डॉ. नीरज ठाकुर, सुरेश आर्य, सुनीता सिंगला, सपना आर्य, और आदित्य प्रकाश मौजूद रहे। मंच संचालन आचार्य सुश्रुत ने किया।


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