धान की खेती छोड़ो, सरकार देगी सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि
धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को सरकार सात हजार रुपये प्रति एकड़ सहायता राशि देगी। मक्का और दालों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी सरकार देगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। डार्क जोन में शामिल क्षेत्रों में धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को हरियाणा सरकार सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देगी। धान की बुआई या रोपाई नहीं करने वाले किसानों को सूक्ष्म सिंचाई पर भी 85 फीसद अनुदान दिया जाएगा। मक्का और दालों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी सरकार देगी। बिजाई संयंत्र दिलाने के साथ ही मंडियों में मक्का सुखाने वाली मशीनों की व्यवस्था कराई जाएगी।
हरियाणा आज कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने डिजिटल मोड के जरिये किसानों से रू-ब-रू होते हुए यह घोषणा की। 'मेरा पानी, मेरी विरासत' कार्यक्रम लांच करते हुए उन्होंने कहा कि योजना के प्रचार के लिए जल्द ही वेब पोर्टल बनाया जाएगा जिस पर किसान अपनी समस्याएं उठा सकेंगे। योजना के पहले चरण में 19 ब्लॉक शामिल किए गए हैं, जिनमें भू-जल की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है। इनमें से भी आठ ब्लॉक में धान की रोपाई ज्यादा है जिनमें कैथल के सीवन और गुहला, सिरसा, फतेहाबाद में रतिया और कुरुक्षेत्र में शाहाबाद, इस्माइलाबाद, पिपली और बबैन शामिल हैं।
इसके अलावा वह क्षेत्र भी योजना के दायरे में होंगे जहां 50 हार्स पावर से अधिक क्षमता वाले ट्यूबवेल का इस्तेमाल किया जा रहा। मुख्यमंत्री ने किसानों से अनुरोध किया कि वह अगर धान बोते भी हैं तो पिछले साल की तुलना में आधी रोपाई करें। मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, तिल, कपास, सब्जी की खेती कर सकते हैं।
जहां भू-जल स्तर 35 मीटर से नीचे, वहां पंचायती जमीन पर नहीं होगा धान
जिन ब्लॉक में पानी 35 मीटर से नीचे है, वहां पंचायती जमीन पर धान की खेती की अनुमति नहीं मिलेगी। इसमें पेहवा, थानेसर, जाखल, पटौदी और फतेहाबाद शामिल हैं। अन्य ब्लॉक के किसान भी धान की खेती छोडऩा चाहते हैं तो वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें भी अनुदान मिलेगा।
12 साल में दोगुनी तेजी से गिरा भू-जलस्तर
डॉर्क जोन के 36 ब्लॉक में भू-जल स्तर तेजी से गिरा है। 12 साल के दौरान जहां दस मीटर भू-जल 20 मीटर गहराई पर पहुंच गया, वहीं 20 मीटर से 40 मीटर पर। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही हाल रहा तो 20 साल बाद हम अगली पीढ़ी के लिए जमीन तो छोड़ेंगे, लेकिन पानी नहीं। इसलिए पानी को संपत्ति मानें जिसे अपनी पीढ़ी को विरासत में देकर जाना है।
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