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Exclusive: मनोहर ने इशारों में कही बड़ी बात- बरोदा में हारकर भी जीते, जजपा के पूरे वोट मिलते तो जीतते

हरियाणा के भाजपा-जजपा गठबंधन में बरोदा उपचुनाव को लेकर बड़ा मुद्दा सामने आ गया है। मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने एक खास बातचीत के दौरान इशारों में बड़ी बात कही। उन्‍होंने कहा बरोदा में हम हार कर भी जीत गए। यदि जजपा के पूरे वोट मिल जाते तो हमारी जीत तय थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 06:15 PM (IST)Updated: Thu, 12 Nov 2020 06:22 AM (IST)
Exclusive: मनोहर ने इशारों में कही बड़ी बात- बरोदा में हारकर भी जीते, जजपा के पूरे वोट मिलते तो जीतते
हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने बरोदा में भाजपा की हार को जीत की तरह ही बताया है।

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सोनीपत के बरोदा में भाजपा-जजपा गठबंधन की हार से ज्यादा विचलित नहीं हैं। विभिन्न तर्कों के आधार पर उन्होंने कहा, बरोदा उपचुनाव में हम हार कर भी जीते हैं। वह कहते हैं कि भाजपा कि बरोदा में गठबंधन के प्रत्याशी योगेश्वर दत्त की हार नहीं बल्कि जीत हुई है। मनोहरलाल ने बरोदा उपचुनाव को लेकर इशारों में अपने गठबंधन साथी जननायक जनता पार्टी को लेकर भी बड़ी बात कही।

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बरोदा उपचुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से एक्‍सक्‍लुसिव बातचीत

मनोहर लाल यह भी मानते हैं कि उनकी सहयोगी पार्टी जजपा के पूरे वोट भाजपा को नहीं पड़े। ऐसा कभी हुआ भी नहीं करता कि पूरे वोट मिल जाएं, लेकिन यदि भाजपा को जजपा के पूरे वोट मिल जाते तो हमारी जीत तय थी। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से बरोदा उपचुनाव के नतीजों समेत विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश।

- बरोदा उपचुनाव के नतीजों को कैसे देखते हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार योगेश्वर दत्त चुनाव हार गए?

- पहली बात तो आप यह मान लें कि बरोदा में हम चुनाव हारकर भी चुनाव जीते हैं। उसका सीधा संकेत यह है कि इस बार हमें 50 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं। आज तक किसी भी चुनाव में हमें इतने वोट नहीं मिले। यह हमारी नीतियों व गठबंधन के प्रति लोगों के भरोसे की देन है।

- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बरोदा में अपने उम्मीदवार इंदुराज नरवाल की जीत से खासे उत्साहित हैं?

- कांग्रेस ने इस बार बरोदा में छह हजार वोट लूज किए हैं। यह सही बात है कि कांग्रेस चुनाव जीत गई, लेकिन उसका वोट कम हुआ है। कांग्रेस यहां तीन बार से जीतती आ रही है। इस सीट को कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट मानती थी। चौथी बार जीत का अंतर कम हो गया। हमारी पार्टी का कार्यकर्ता उत्साह में है। उसके पूरी जिम्मेदारी के साथ चुनाव लड़ा।

- भाजपा-जजपा गठबंधन ने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। क्या इसका फायदा हुआ? जजपा के वोट आपकी पार्टी को मिल पाए?

- मिलीजुली बातें कही जा सकती हैं। लोगों ने विकास के मुद्दे को ध्यान में रखकर भी वोट दिए। इसी नाते हमारे वोट बैंक में बढ़ोतरी हुई। इस बार मतदान प्रतिशत भी घटा हुआ था, जिसका हमें नुकसान पहुंचा। मतदान बढ़ता तो शायद हम जीतते। एक बार चुनाव लड़ने के बाद जब कोई पार्टी दोबारा चुनाव लड़ती है तो स्वाभाविक तौर पर उसके कहने से पूरे वोट नहीं मिलते। कुछ वोट किसी भी कारण से इधर-उधर हो जाते हैं। हम 37 हजार से 50 हजार पर पहुंचे। इसमें हमारी सहयोगी पार्टी जजपा के वोट भी हैं, लेकिन यह बात भी सही है कि यदि जजपा के पूरे वोट हमें मिल जाते तो हमारे वोट 80 हजार के आसपास हो जाते और हम चुनाव हर हाल में जीतते।

- चुनाव से पहले आपकी सरकार ने बरोदा के लिए तमाम घोषणाएं की थी। तो क्या उन्हें अधर में लटका समझा जाए?

- हम किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करते। सरकार अपनी सभी घोषणाएं पूरी करेगी। विधायक इंदुराज यदि हमारे पास काम लेकर आएंगे तो जरूर करेंगे। काम लेकर आना उनका काम है और काम करना हमारा काम है।

- केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का बरोदा के चुनाव नतीजों पर किसी तरह का कोई असर देखने को मिला?

- तीनों कृषि कानून किसानों के हक में हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि कांग्रेसियों के कहने से तीनों कृषि कानूनों का विरोध करते हुए बरोदा में लोगों ने गठबंधन को वोट नहीं दिए। वोट कम या ज्यादा होना स्वाभाविक राजनीतिक प्रतिक्रिया का नतीजा है। गांवों में इन कानूनों का कोई विरोध नहीं है।

- बिहार के चुनाव नतीजों पर आपकी क्या राय है? देश में भाजपा के लिए मंगलवार का दिन मंगलकारी साबित हुआ?

- हरियाणा की बात मैं आपको बता ही चुका हूं। हम हारे नहीं जीते हैं। बिहार चुनाव के नतीजे इस बात का प्रमाण हैं कि देश में विकास और विचारधारा का जो परिवर्तन हो रहा है और लोग उसे स्वीकार कर रहे हैं, वह बड़ी बात है। बिहार में चौथी बार एनडीए की सरकार बनने जा रही है। मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में भी भाजपा को आगे बढ़ने का मौका मिला है।

- दीपावली पर आतिशबाजी को लेकर एनजीटी व हरियाणा सरकार के आदेशों में विरोधाभास नजर आ रहा है?

- एनजीटी की मंशा है कि प्रदूषण कम से कम हो। हम भी यही चाहते हैं। लोगों को ई-ग्रिटिंग के माध्यम से दीपावली मनानी चाहिये। लोग दीप जलाएं। जिन इलाकों में आतिशबाजी की अनुमति है भी, वहां भी कोशिश रहे कि ग्रीन पटाखे छोड़े जाएं। प्रदूषण जितना कम होगा, उतना स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा।

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 खास बातें

- दूसरी बार में पहले जितनी वोटें कभी नहीं मिलती, फिर भी जजपा के काफी वोट पड़े।

- कांग्रेस भले ही चुनाव जीत गई मगर उसके मतों में कमी आई।

- कम पोलिंग के कारण भी हमारे वोट घटे, विकास का मुद्दा असरदार रहा।

- तीन कृषि कानूनों की लोगों में स्वीकार्यता, कांग्रेस कोई असर नहीं डाल सकी।

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