Move to Jagran APP

हरियाणा के सीएम मनोहरलाल बोले- जाट आंदोलन में हमारे साथ धोखा हुआ, अब कोई न धोखा कर सकता है और न गुमराह

2500 Days oF Manoharlal Government हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि जाट आंदोलन के समय उनके साथ धोखा हुआ था और मांगों पर समझौता हो जाने के बाद फिर आंदोलन शुरू कर दिया गया था। लेकिन अब न कोई धोखा कर सकता है न गुमराह कर सकता है1

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 04:24 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 04:24 PM (IST)
हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। भाजपा सरकार के ढ़ाई हजार दिन पूरे होने पर रिपोर्ट कार्ड के साथ जनता के बीच पहुंचे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पांच साल पुराने जाट आरक्षण आंदोलन और अब चल रहे किसान संगठनों के आंदोलन को आपस में जोड़ दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हमारे साथ धोखा हुआ था। प्रदेश सरकार ने जाट समुदाय के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग मान ली थी, लेकिन समझौता होने के बावजूद तुरंत आंदोलन शुरू हो गया। तब हमें पता चला कि कोई भी राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है।

loksabha election banner

 किसान संगठनों के आंदोलन में भूपेंद्र हुड्डा और कैप्टन अमरिंदर समेत कम्युनिस्ट नेताओं का हाथ

हरियाणा में पिछले नौ माह से चल रहे किसान संगठनों के आंदोलन का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि इसमें हमारे प्रदेश का कोई किसान शामिल नहीं है। 85 फीसद लोग पंजाब के बैठे हैं। पूरा आंदोलन पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा संचालित करा रहे हैं। इसमें कुछ कम्युनिस्ट नेता भी शामिल हैं। लेकिन, जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हमारा खास अनुभव नहीं था। अब हम कह सकते हैं कि हमारा सात साल का अनुभव हो चुका है। इसलिए हम न तो पिछले आंदोलनों जैसी स्थिति बनने देंगे और न ही किसी तरह का दबाव मानेंगे। हमें कोई न तो बरगला सकता है और न ही गुमराह कर सकता है।

करनाल के एसडीएम की आडियो-वीडियो का बस्ताड़ा टोल घटना से कोई मेल नहीं, प्रशासन अपना काम करेगा

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में मुख्यमंत्री मनोहरलाल से करीब दो दर्जन सवाल पूछे गए। इनमें एक दर्जन सिर्फ किसान संगठनों के आंदोलन से जुड़े थे। मुख्यमंत्री ने तीखे से तीखे सवाल को बड़े ही सहज अंदाज में लिया और तथ्यों के साथ जवाब दिया। करनाल के एसडीएम के आडियो-वीडियो पर मुख्यमंत्री ने उन्हें क्लीनचिट दी, लेकिन साथ ही कहा कि एसडीएम की भावना गलत नहीं थी, लेकिन शब्द गलत थे। उन्हें सिर फोड़ने जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीएम के आडियो-वीडियो के स्थान और आंदोलन स्थल का आपस में कोई संबंध नहीं है। आडियो-वीडियो किसी दूसरे स्थान का था और आंदोलन स्थल करीब 15 किलोमीटर दूर बस्ताड़ा में था।

मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि उनकी सरकार के पहले पांच साल के कार्यकाल में तीन बड़े आंदोलन हुए। सरकार चलाने का अनुभव न होते हुए भी तब हमने उन्हें बखूबी संभाला। अब तो हमें अच्छा-खासा अनुभव है। इसलिए किसान संगठनों के आंदोलन की दिशा और दशा का हमें आभास है।

उन्होंने कहा कि करनाल में भाजपा की प्रांत स्तर की बैठक थी। एक दिन पहले ही इस बैठक में खलल डालने की योजना बना ली गई थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की गाड़ी को रोका गया। सिरसा में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा पर हमला हुआ। करनाल में ही पूर्व में मेरे हेलीकाप्टर को नीचे नहीं उतरने दिया गया। मैंने मौके की नजाकत को समझा। यदि मैं प्रशासन को आदेश दे देता कि मुझे हर हाल में उतरना है तो क्या किसान संगठन मुझे रोक सकते थे।

मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि लोकतंत्र की व्यवस्थाओं का पालन करना सबकी जिम्मेदारी होती है। अगर कोई यह कहे कि हम तो भाजपा, जजपा और सरकार के हर कार्यक्रम में व्यवधान डालेंगे तो उसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मेरे पास कल से फोन आ रहे हैं कि आंदोलनकारियों से सख्ती से निपटो, लेकिन मैंने उन्हें कहा कि सब अपने भाई हैं।

उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलनकारी प्रदर्शन करें, भाषण दें, झंडा लहराएं, यह सब तो चलेगा, लेकिन हिंसा व अशांति नहीं चलेगी। आंदोलनकारियों को तकलीफ हरियाणा सरकार से नहीं है। वह केंद्रीय कानून में बदलाव चाहते हैं। आंदोलन के लिए उन्होंने हरियाणा को गलत चुन लिया। पंजाब सरकार का इसमें बड़ा हाथ है, अन्‍यथा बलबीर सिंह राजेवाल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को लड्डू खिलाने न जाते।

केंद्र से बातचीत के लिए हरियाणा मध्यस्थता करने को तैयार

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि बातचीत ही समस्या का समाधान है। आंदोलनकारियों को तीन कृषि कानून रद करने की जिद छोड़कर बातचीत के लिए तैयार होना होगा। कुछ लोगों ने मध्यस्थता की कोशिश भी की है, लेकिन आंदोलनकारी कह देते हैं कि हरियाणा सरकार के पास क्या पावर है। उन्‍होंने कहा कि हम पूछना चाहते हैं कि फिर आप आंदोलन भी हरियाणा में क्यों कर रहे हो। रही पावर की बात तो भले ही हम स्वयं बिलों में बदलाव नहीं कर सकते, लेकिन केंद्र के जो लोग बदलाव कर सकते हैं, उनके साथ तो हम आंदोलनकारियों की बैठक करा सकते हैं।

बोले- कैप्टन अमरिंदर कौन होते हैं मेरा इस्तीफा मांगने वाले

मनोहरलाल के निशाने पर हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के साथ-साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी रहे। करनाल के एसडीएम की वीडियो वायरल होने व लाठीचार्ज की घटना के बाद कैप्टन ने मनोहर लाल से इस्तीफा मांगा था। इस पर, मनोहर लाल ने कहा, मेरा इस्तीफा मांगने वाले कैप्टन कौन होते हैं। इस्तीफा तो कैप्टन अमरिंदर को देना चाहिए, जिन्होंने हरियाणा के टीकरी, कुंडली और सिंघु बार्डर पर अपने आदमी बैठा रखे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.