उत्तर प्रदेश ने हरियाणा से 50 बसों में गए 1500 कामगारों को बॉर्डर से लौटाया
उत्तर प्रदेश सरकार ने हरियाणा से भेजे गए करीब 1500 प्रवासी कामगारों को अपने राज्य में लेने से इंकार कर दिया है।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को हरियाणा से भेजे गए करीब डेढ़ हजार प्रवासी कामगारों और मजदूरों को अपने प्रदेश में लेने से इंकार कर दिया। हरियाणा सरकार ने 50 बसों में इन मजदूरों व कामगारों को सहारनपुर भेजा था। वहां मजदूरों पर पहले से लाठीचार्ज होने के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने इन मजदूरों को यह कहते हुए हरियाणा वापस लौटा दिया कि सरकार के पास इन्हेंं ठहराने की फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है। अब यह सभी मजदूर यमुनानगर और अंबाला समेत जिन जिलों से लाए गए थे वहीं पर वापस ठहरा दिए गए हैं। अब इन कामगारों को उत्तर प्रदेश सरकार के बुलावे का इंतजार है।
अपने प्रदेश लौटने की चाह रखने वाले हरियाणा में रहे लाखों कामगारों व मजदूरों की लगातार दुर्गति हो रही है। यमुनानगर में लाठीचार्ज तथा पानीपत में इन मजदूरों पर स्प्रे का छिड़काव उनके साथ हो रहे अन्याय की कहानी बयां कर रहा है। हरियाणा सरकार इन कामगारों व मजदूरों को उनके मूल राज्यों में भेजना चाहती है और इसके लिए सरकार ने पुख्ता इंतजामों का दावा भी किया है, मगर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत विभिन्न राज्य सरकारें हरियाणा सरकार को इन प्रवासियों को भेजने के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं दे रही हैं। बिना एनओसी के न तो रेलगाड़ी बुक की जा सकती है और न ही बसें भेजी जा सकती हैं।
हरियाणा में हाल फिलहाल करीब आठ लाख मजदूर हैं। डेढ़ लाख से ज्यादा मजदूरों को उनके राज्यों में भेजा जा चुका है। यहां मौजूद काफी मजदूर हालांकि अब अपने प्रदेश लौटने से इंकार कर रहे हैं, क्योंकि फैक्ट्रियां खुलने लगी हैं, लेकिन पंजाब से आए लोगों के हरियाणा में ही ठहर जाने की वजह से इन मजदूरों का आंकड़ा ज्यों का त्यों बरकरार है। हरियाणा सरकार का दावा है कि यदि राज्य सरकारें एनओसी दें तो सभी प्रवासियों को चार से पांच दिन के भीतर उनके मूल राज्यों में पहुंचाने का इंतजाम किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ दिन पहले करीब डेढ़ हजार कामगारों को हरियाणा से भेजने की मंजूरी दी थी, मगर रविवार को इन मजदूरों के साथ काफी बुरा हश्र हुआ। इन मजदूरों को लेकर हरियाणा रोडवेज की 50 बसें जैसे ही सहारनपुर की सीमा में पहुंची तो उन्हेंं रोक दिया गया। गृह मंत्री अनिल विज के अनुसार वहां मजदूर पहले से आंदोलनरत थे। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने हमारे अफसरों से कहा कि इन मजदूरों को वापस लिया जाए, क्योंकि स्थिति कंट्रोल में नहीं है और उनके रुकने का कोई इंतजाम नहीं हो सकता। लिहाजा सभी मजदूरों व कामगारों को लेकर हरियाणा रोडवेज की बसें वापस आ गई। जिस जिले से जो बस आई थी, फिलहाल उसे वहीं पर भेज दिया गया है।
सरकारें कर रही अपने कामगारों के साथ दोहरा बर्तावः अनिल विज
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के अनुसार एक तरफ राज्य सरकारें यह दावा कर रही है कि वह अपने राज्य के दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए चिंतित हैं और दूसरी तरफ इन मजदूरों को अपने यहां बुलाने के लिए हरियाणा सरकार को एनओसी जारी नहीं कर रही है। बिना एनओसी के न तो हरियाणा सरकार इन मजदूरों को उत्तर प्रदेश अथवा बिहार भेज सकती है और न ही इनके लिए बसों या रेलगाड़ी की व्यवस्था की जा सकती है। रेलगाड़ी बुक कराने के लिए संबंधित राज्य की एनओसी लगानी जरूरी होती है। इसके बिना टिकट बुक नहीं होते। हरियाणा को यदि एनओसी मिलती है तो हम उन्हेंं पांच दिनों के अंदर उनके मूल राज्यों में भेद देंगे।
श्रमिकों पर बल प्रयोग किया तो पुलिस अफसरों पर कार्रवाई
हरियाणा के यमुनानगर में मजदूरों पर लाठीचार्ज और पानीपत में स्प्रे की घटना को गृह मंत्री अनिल विज ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि जब प्रवासी उत्तर प्रदेश जा रहे थे, तब यमुनानगर में पहले से फंसे मजदूरों को इस बात की चिंता हुई कि उन्हेंं क्यों नहीं पहुंचाया जा रहा है, जबकि उन्हेंं बिहार जाना था। बिहार के लिए अलग से व्यवस्थाएं की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश नजदीक है। वहां की व्यवस्थाएं अलग हैं। लाठीचार्ज की घटना बेहद निंदनीय है। पानीपत में स्प्रे छिड़के जाने के बारे में भी रिपोर्ट तलब की है। विज के अनुसार उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी श्रमिक या कामगार पर बल प्रयोग नहीं किया जाए।
हरियाणा ने की पंजाब से बात, अब नहीं कोई पैदल यात्री
पंजाब से चोरी छिपे हरियाणा के रास्ते उत्तर प्रदेश व बिहार जाने को आतुर कामगारों को लेकर हरियाणा सरकार ने पंजाब से बातचीत की है। गृह मंत्री अनिल विज ने बताया कि हरियाणा के डीजीपी ने पंजाब के डीजीपी से कहा कि इन श्रमिकों को रोकने का बंदोबस्त पंजाब में ही किया जाए।