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दो बहनों का माता-पिता के संग रहने से इन्‍कार, HC ने कहा- अपनी मर्जी से कहीं भी रहने को स्‍वतंत्र

हरियाणा में दो बहनें घर से भाग गईं। पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दोनों को उनको सौंपने की मांग की लेकिन लड़कियों ने माता-पिता के संग रहने से इन्‍कार कर दिया। इस पर कोर्ट ने कहा कि वे अपनी मर्जी से कहीं भी रह सकती हा1

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:27 PM (IST)
दो बहनों का माता-पिता के संग रहने से इन्‍कार, HC ने कहा- अपनी मर्जी से कहीं भी रहने को स्‍वतंत्र
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बालिे लड़कयों के बारे में बड़ा फैसला दिया।

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बालिग लड़कियों को अपनी पसंद का साथी चुनने और जहां भी चाहें, रहने-जीने का हक है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में अदालत उन पर किसी भी प्रतिबंध को लागू करने के लिए सुपर अभिभावक की भूमिका नहीं निभा सकती। हाई कोर्ट ने यह फैसला नूंह के एक व्‍यक्ति द्वारा अपनी बेटी को खुद को सौंपने के लिए दायर याचिका पर दिया। उसकी दो बेटियां घर से भाग गई थीं। पिता के याचिका दायर करने के बाद पूछने पर उन्‍होंने माता-पिता के साथ रहने से इन्‍कार कर दिया।

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कहा- ऐसे मामलों में कोर्ट सुपर अभिभावक की भूमिका नहीं निभा सकता

हाई कोर्ट ने हरियाणा के नूंह जिले की इन दो बालिग लड़कियों को उनकी पसंद की जगह पर रहने की इजाजत दे दी। हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने नूंह जिले के एक निवासी द्वारा दायर बंदी प्रत्यारोपण याचिका को खारिज करते हुए दिया है। इस व्‍यक्ति ने याचिका दायर कर पुलिस को उसकी बेटियों की खोज करने के निर्देश देने की मांग की थी। उसका आरोप था कि कुछ व्यक्तियों ने उसकी बेटियों को बंधक बनाकर रखा हुआ है।

पिता की दो बेटियों की बंदी प्रत्यारोपण याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट का फैसला

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उसकी बेटियां अविवाहित हैं। दोनों अपने घर से कुछ पैसे और आभूषण के साथ कुछ व्यक्तियों द्वारा अपहृत कर ली गई हैं। उसने 13 जुलाई 2020 को इस संबंध में नूंह के एसपी को शिकायत भी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। 11 अगस्त को हाई कोर्ट ने इस मामले में याचिका में नामित निजी व्यक्तियों के परिसर में जांच के लिए एक वारंट अधिकारी नियुक्त किया था, लेकिन याचिका में बताए गए स्थान पर लड़किया नहीं मिलीं।

25 सितंबर को लड़कियों ने हाई कोर्ट में अपने वकील के माध्यम से अपने अपहरण की बात को नकार दिया। इस पर हाई कोर्ट ने उन्हेंं चंडीगढ़ के नारी निकेतन में रखने का आदेश दिया और चंडीगढ़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट से लड़कियों के बयान रिकार्ड करने के लिए कहा। मजिस्ट्रेट के समक्ष लड़कियों ने अपने बयान में बताया कि उन्होंने अपना घर मर्जी से छोड़ दिया था क्योंकि उन दोनों के साथ उसके मामा के पुत्रों ने दुष्कर्म किया था। लड़कियों ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने अपने पिता को इस घटना के बारे में बताया तो उन्‍होंने उनको ही पीटा व फटकारा।

लड़कियों के अनुसार, इस शोषण और गलत व्‍यवहार के कारण उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया था। हाई कोर्ट के आदेश पर नूंह के एसपी ने इस मामले मे एक रिपोर्ट भी 1 अक्टूबर को कोर्ट में दी। इसमें कहा गया कि लड़कियों ने अपने माता-पिता के साथ जाने से इन्कार कर दिया और मोहाली में किसी के साथ रहने की इच्छा जताई है।

इस पर हाई कोर्ट की बेंच ने लड़कियों से बातचीत की। इसके बाद जस्टिस त्यागी ने कहा कि लड़कियां बालिग होने के नाते अपनी मर्जी से कहीं भी रहने की हकदार हैं। ऐसे मामले में अदालत सुपर अभिभावक की भूमिका नहीं निभा सकती है और किसी भी प्रतिबंध को लागू नहीं कर सकती है। हाई कोर्ट ने लड़कियों को चंडीगढ़ के सेक्‍टर 26 स्थित नारी निकेतन से रिहा करने के निर्देश दिया।


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