हरियाणा में ताऊ देवीलाल की सियासी विरासत को लेकर चौटाला परिवार में खींचतान, रैलियों से शक्ति प्रदर्शन की होड़
हरियाणा में देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के नाम पर अब भी सियासत हो रही है। ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत के लिए उनके वारिसों में खींचतान तेज हाे गई है। इसके लिए रैलियों के सहारे शक्ति प्रदर्शन की तैयारी है।
चंडीगढ़ , [अनुराग अग्रवाल]। देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत को लेकर उनके पारिवारिक सदस्यों में जबरदस्त खींचतान चल रही है। जेल से रिहा होने के बाद इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला अपने छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के साथ बड़ी रैली कर ताकत दिखाने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार में साझीदार जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला ने अपने बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला के साथ मिलकर देवीलाल की आदमकद प्रतिमा लगाने की रूपरेखा तैयार की है।
इनेलो, कांग्रेस, जजपा और भाजपा में सक्रिय देवीलाल के राजनीतिक वारिस
हरियाणा सरकार में ही साझीदार देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत सिंह चौटाला अपने पिता की राजनीतिक विरासत पर अपना दावा ठोंकते हैं। रणजीत सिंह पहले कांग्रेस में थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीतकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में जेल व बिजली मंत्री बने।
उधर, भाजपा के रंग में पूरी तरह से रंग चुके सिरसा जिले के पार्टी अध्यक्ष आदित्य चौटाला का दावा है कि देवीलाल के असली वारिस वह हैं। देवीलाल के परिवार में उनकी विरासत को लेकर चल रही खींचतान से जहां इन राजनीतिक पार्टियों का वजूद कायम है, वहीं भाजपा परदे के पीछे रहकर पूरे खेल का फायदा उठाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रही है।
ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला बांगर की धरती पर दिखाएंगे ताकत
देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे थे। एक जमाने में न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश में देवीलाल की राजनीति की तूती बोलती थी। करीब चार दशक से भी ज्यादा समय तक देवीलाल के परिवार ने हरियाणा की राजनीति की दिशा तय की है। राजनीतिक रूप से देवीलाल का परिवार भले ही बिखर गया, लेकिन उनकी विरासत पर किसी का कब्जा कम नहीं हुआ है। अलबत्ता परिवार के सभी सदस्य अपनी राजनीति की धुरी देवीलाल के नाम को बनाए हुए हैं। बदले हालात में देवीलाल की राजनीतिक विरासत पर अपना हक जताने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला व उनके पुत्र अभय सिंह चौटाला बांगर की धरती जींद में रैली करेंगे।
अजय चौटाला व दुष्यंत चौटाला ने इस बार मेवात के हिलालपुर गांव को चुना
अजय चौटाला और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला मेवात के हिलालपुर गांव में देवीलाल की आदमकद प्रतिमा स्थापित करेंगे। ओमप्रकाश चौटाला व रणजीत चौटाला के रूप में देवीलाल की दूसरी पीढ़ी, अभय सिंह चौटाला व अजय चौटाला के तौर पर तीसरी पीढ़ी और अर्जुन व करण, दुष्यंत व दिग्विजय तथा रवि चौटाला व आदित्य चौटाला के रूप में देवीलाल के परिवार की चौथी पीढ़ी राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय है। ताऊ देवीलाल के ही परिवार से कांग्रेस में डा. केवी सिंह और उनके बेटे अमित सिहाग सक्रिय हैं। अमित डबवाली से विधायक भी हैं।
41 साल तक कांग्रेस के साथ रहने के बाद देवीलाल ने बनाया था लोकदल
1938 में कांग्रेस में शामिल हुए देवीलाल ने 1971 में कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। 1977 में जनता पार्टी से सीएम बनने के बाद 1987 में देवीलाल ने लोकदल को जन्म दिया। 1989 में वह वीपी सिंह की सरकार में उपप्रधानमंत्री बने। फिर उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने पार्टी को चलाया और पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। 2018 में इनेलो टूट गई और अजय सिंह चौटाला व दुष्यंत चौटाला ने अलग जननायक जनता पार्टी बना ली। इसी तरह देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत चौटाला भी कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे, लेकिन 2019 के चुनाव में कांग्रेस को अलविदा कह दिया। अब निर्दलीय चुनाव जीतकर आए और भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं।
चौटाला ने ताकत दिखाने के लिए उसी धरती को चुना, जहां जजपा अलग बनी
इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में जेल से रिहा होने के बाद 25 सितंबर को जींद में राज्य स्तरीय रैली करने जा रहे हैं, जो ताऊ देवीलाल के जन्मदिन को समर्पित है। इस दिन चौटाला और उनके बेटे अभय सिंह यहां एचडी देवगौड़ा, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार, डा. केसी त्यागी, प्रकाश सिंह बादल समेत अन्य नेताओं के साथ तीसरे मोर्चे के गठन का ऐलान कर सकते हैं। जींद की इस धरती पर अजय चौटाला व दुष्यंत चौटाला ने अलग जननायक जनता पार्टी बनाने का ऐलान किया था।
इसी दिन 25 सितंबर को अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला नूंह के हिलालपुर में ताऊ देवीलाल की आदमकद प्रतिमा लगवाने जा रहे हैं। हालांकि राज्य भर में देवीलाल की कई प्रतिमाएं हैं, लेकिन अजय चौटाला व दुष्यंत की ओर से लगाई जाने वाली यह पहली प्रतिमा होगी।