प्रशासन ने की अनदेखी तो ग्रामीणों ने खुद बना दिया रास्ता
पंचकूला के खंड मोरनी के कई गांव आज भी ऐसे हैं जहां पैदल चलने के लिए रास्ते नहीं हैं और जहां रास्ते हैं उनकी स्थिति बद से बदतर है।
धर्म शर्मा, मोरनी : पंचकूला के खंड मोरनी के कई गांव आज भी ऐसे हैं जहां पैदल चलने के लिए रास्ते नहीं हैं और जहां रास्ते हैं उनकी स्थिति बद से बदतर है। गांवों को जोड़ने वाले कच्चे रास्ते बरसात के दिनों में अकसर खराब हो जाते हैं, जिसके बाद इन रास्तों से गुजरना ग्रामीणों के लिए चुनौती बन जाता है। खराब रास्तों को ठीक करवाने के लिए ग्रामीण प्रशासन ने फरियाद लगाते हैं लेकिन संबंधित विभाग इस समस्या की ओर ध्यान नहीं देता। ऐसे में गांव के लोग स्वयं ही श्रमदान से रास्तों को ठीक करते हैं।
खंड के गांव मझोली के लिए बना रास्ता बारिश में काफी खराब हो गया था, जिसको गांव के लोगों ने स्वयं ही ठीक करवाया। ग्रामीण काफी समय से इस रास्ते को ठीक करने के लिए विभागों से गुहार लगा रहे थे मगर रास्ता ठीक नहीं किया गया। ग्रामीणों ने रास्ते को खुद ही ठीक करने का मन बनाया और रास्ते की मरम्मत में जुट गए। मंझोली गांव निवासी तिलक राज नंबरदार, मास्टर कल्याण सिंह, तारा चंद, हरी राम, धर्म पाल, चेत राम, नरेश कुमार व लेख राज ने बताया कि काफी प्रयास के बाद भी जब उनके गांव का रास्ता ठीक नहीं किया गया तो उन्होंने स्वयं ही इसे ठीक करने की ठानी।
पहले भी बना चुके हैं ग्रामीण रास्ता
इससे पहले भी खंड के गांव खरोग के ग्रामीणों ने गांव का रास्ता स्वयं ही श्रमदान से ठीक किया था। इसको लेकर ग्रामीणों में रोष भी है कि प्रशासन व वन विभाग उनके रास्तों की स्थिति बदतर होने पर भी सुध नहीं लेता और वो इन खराब रास्तों पर चलने को मजबूर होते हैं। ग्रामीणों के आपसी मेलजोल से होते हैं गांव के सभी काम
नंबरदार तिलक राज ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में अकसर ग्रामीण इकट्ठे होकर गांव के किसी एक व्यक्ति या सार्वजनिक कार्य को स्वयं करते हैं। इसके लिए दूसरे गांवों के ग्रामीणों को भी न्योता दिया जाता है। यह प्रथा मोरनी क्षेत्र में प्राचीन समय से चलती आ रही है। इसमें सभी का भोजन इत्यादि का प्रबंध उस व्यक्ति या गांव द्वारा किया जाता है जिसका कार्य किया जाता है। इसका एक लाभ यह है कि सरकार के भरोसे रहने की आवश्यकता नहीं रहती और कच्चे रास्ते व जोहड़ इत्यादि का निर्माण श्रमदान से ही कर दिया जाता है। लोगों ने की रास्तों को ठीक करवाने की मांग
पहाड़ी क्षेत्रों में अभी भी पक्के रास्तों व सड़कों का अभाव है। गांवों को जोड़ने वाले कच्चे रास्ते अभी भी मुख्य भूमिका में है। इन रास्तों से स्कूली बच्चे भी गुजरते हैं। इनकी हालत बरसात में ओर ज्यादा खराब हो जाती है। लोग पंचायतों से इन रास्तों को ठीक करवाने की अकसर बात कहते हैं, लेकिन बजट के अभाव में इन रास्तों मरम्मत नहीं हो पाती। ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से मोरनी क्षेत्र के गांवों को जोड़ने वाले रास्तों की मरम्मत के लिए बजट का प्रावधान वन या पंचायत विभाग के माध्यम से करवाने की मांग की है।