ताऊ की वेबसाइट: बहुत याद आते हैैं, चौटाला चाचा-भतीजों के दुलार वाले दिन, पढ़़े़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
अभय चौटाला व उनके भतीजों का प्यार हमेशा याद आता है लेकिन अब चाचा-भतीजों में खूब जुबानी जंग होती है। हरियाणा से जुड़ी कुछ ऐसी ही रोचक खबरों पर नजर डालते हैं राज्य के साप्ताहिक कालम ताऊ की वेबसाइट में।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में चाचा अभय चौटाला और उनके छोटे भतीजे दिग्विजय चौटाला के बीच जुबानी जंग चरम पर पहुंच गई है। सिरसा में हुई इनेलो की राज्यस्तरीय बैठक में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला की मौजूदगी में चाचा अभय ने अपने भतीजों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला की पार्टी जजपा को टुकड़े-टुकड़े गैंग की संज्ञा दे डाली। इस पर बड़े भतीजे दुष्यंत तो चुप रहे, लेकिन उनके छोटे भाई दिग्विजय चाचा से भिड़ गए। इसे दिग्विजय की ट्रेनिंग के रूप में भी लिया जा रहा है। छोटे भतीजे ने चाचा को जवाब दिया और उन पर दमदार तरीके से हमला बोला। भतीजे ने कहा कि गैंग और गैगस्टर से किसके संबंध हैं, यह तो सब जानते हैं। चाचा-भतीजों की इस जंग का बाकी राजनीतिक दल बतौर दर्शक आनंद उठा रहे हैं। यह बात अलग है कि आफ द रिकार्ड बोलें तो चाचा और भतीजों को पुराने प्यार भरे दिन बहुत याद आते हैं।
वाह...दलालों की कर ली गई पहचान
हरियाणा का परिवहन विभाग सरकार के निशाने पर है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस विभाग की भ्रष्टाचार रूपी गंदगी को जड़ से खत्म करने का एजेंडा स्थापित किया है। उनके इस एजेंडे में मुख्य मददगार साबित हो रहे हैं आइपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर, जिन्हेंं बिजली विभाग से परिवहन विभाग में स्थानांतरित कर लाया गया है। कपूर आइपीएस अधिकारी हैं। उनका सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री अनिल विज से लंबा झगड़ा चला। मुख्यमंत्री के भरोसेमंद कपूर को अब परिवहन विभाग में गंदगी की सफाई करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पहले चरण में करीब ढ़ाई सौ ऐसे कर्मचारियों को इधर से उधर स्थानांतरित कर गंदगी साफ करने के अभियान की शुरुआत भी कर दी गई है। परिवहन विभाग ऐसा पहला विभाग है, जिसमें सरकार ने दलालों की सूची तैयार कराई है और उनके विभाग में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके लिए उनकी सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होगी।
न काहू से दोस्ती और न काहू से बैर
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई का राजनीतिक सफर संघर्ष से भरा रहा है। पिछले दिनों कुलदीप को गले का कैंसर हो गया था। डाक्टरों ने उन्हेंं आराम करने और ज्यादा न बोलने की सलाह दी थी। कई माह तक चले इलाज के बाद अब कुलदीप फिट हैं तथा निरंतर कार्यकर्ताओं के बीच जा रहा है। कुलदीप ने इस बार अपनी राजनीति का तरीका बदल लिया है। पहले वह यह स्पष्ट कर देते थे कि किसके साथ हैं और किसके विरोध में हैं, लेकिन अब उनके बदले अंदाज में यह पता ही नहीं चलता कि साथ किसका दे रहे और विरोध में किसके हैं। उनकी राजनीति का आधार न काहू से दोस्ती और न काहू से बैर वाला बन गया। इसका उन्हेंं फायदा भी मिल रहा है। तभी तो कांग्रेस हाईकमान के साथ-साथ हुड्डा और सैलजा की नजर में कुलदीप के दस बटा दस नंबर हैं।
कुछ तो बात है सांसद महोदय में
हरियाणा के करनाल से भाजपा सांसद संजय भाटिया को संगठन में काम करने के अनुभव का निरंतर लाभ मिल रहा है। सुभाष बराला की टीम में रहते हुए संजय भाटिया ही सारा काम करते थे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की चुनावी रथयात्राएं हों या फिर अन्य संगठनात्मक आयोजन, उनमें संजय भाटिया की अहम भूमिका रही है। संजय भाटिया को मुख्यमंत्री की कोर टीम का प्रमुख पायदार माना जाता है। यही वजह है कि कुछ लोग उन्हेंं बहुत ज्यादा पसंद करते हैं और कुछ लोग कम पसंद करते हैं। यह बात अलग है कि भाटिया को पसंद करना सबकी मजबूरी है। हाईकमान ने भी भाटिया के संगठनात्मक क्षमता को देखते हुए उनका जम्मू-कश्मीर का चुनाव सह प्रभारी नियुक्त कर दिया है। वैसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल की राय के बिना यह काम नहीं हुआ होगा, लेकिन भाटिया को जिस तरह से संगठन में भाव मिल रहा है, वह उनके लिए शुभ संकेत हैं।
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