गुरुग्राम में अधिगृहीत जमीन छोड़ने की सीबीआइ जांच पर निगरानी से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार
गुरुग्राम में 1407 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर 95 प्रतिशत बिल्डरों के लिए छोड दी गई थी। जांच सीबीआइ कर रही है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी से इन्कार कर दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हुड्डा सरकार के कार्यकाल में गुरूग्राम में जनहित के लिए अधिग्रहण की गई भूमि को बाद में बिल्डरों को जारी करने की सीबीआइ जांच पर निगरानी से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी पर आधारित बेंच ने पिछले दिनों सीबीआइ जांच पर निगरानी की मांग की दो अलग अलग अर्जियों को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में जांच की जो स्टेटस रिपोर्ट अभी तक दायर हुई है, वह संतोषजनक है। ऐसे में शीर्ष अदालत सीबीआइ पर निगरानी की मांग स्वीकार नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में कांग्रेस शासन के दौरान गुरुग्राम में जनहित के नाम पर पहले 1,407 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने और बाद में लगभग 95 प्रतिशत भूमि को बिल्डरों के लिए जारी करने की सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे। सीबीआइ ने जनवरी 2019 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उच्च अधिकारियों और 15 रियल एस्टेट डेवलपर्स के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया था। हालांकि शीर्ष अदालत ने दो दिसंबर 2019 को जांच एजेंसी द्वारा मामले की जांच के तरीके पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम इस मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की उम्मीद करते हैं। इससे पहले भी जब सीबीआइ ने 27 अप्रैल 2019 को स्टेटस रिपोर्ट दायर की थी तब भी सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ के रवैये पर असंतोष व्यक्त किया था क्योंकि जांच एजेंसी अदालत में जांच पूरी करने और चार्जशीट समय पर पेश करने में विफल रही थी।
शीर्ष अदालत ने पिछले दिनों जारी अपने आदेश मेंं बिल्डरों को आवेदकों को संपत्ति का कब्जा जल्द से जल्द सौंपने का भी निर्देश दिया। मामले में बिल्डर को कब्जा सौंपने के लिए निर्देशित करने के लिए अर्जी दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान हरियाणा के वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा था कि बिल्डर द्वारा खरीदारों को कब्जा सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह सब सीबीआइ जांच के बाद अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा।
कांग्रेस सरकार ने जून 2009 में गुरुग्राम में आवासीय क्षेत्र सेक्टर 58-63 और वाणिज्यिक क्षेत्र सेक्टर 65-67 विकसित करने के लिए 1,407 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा चार के तहत एक अधिसूचना जारी की थी। यह भूमि बादशाहपुर, बेहरामपुर, नंगली उमरपुरा, तिगरा, उल्लाहवास, कादरपुर, घाटता और गुरुग्राम के मेदवस में फैली हुई थी। हालांकि, लेकिन मुआवजा केवल 87 एकड़ जमीन का पारित किया गया। बाकि जमीन रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए छोड़ दी। सीबीआइ ने अपनी प्रारंभिक जांच में कहा था कि अधिग्रहण प्रक्रिया के बाद जमीन छोडऩे में अनियमितता पाई गई है।