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विशेषज्ञ बोले- हरियाणा और एनसीआर में जरूरी हैं वायु गुणवत्ता प्रबंधन कानून में कड़े दंड प्रावधान

हरियाणा और एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर विशेषज्ञाें ने चिंता जाहिर की है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण रोकने के कारगर उपाय किए जाने चाहिए। उनका कहना है कि इसके लिए वायु प्रदूषण प्रबंधन कानून में कड़े दंड के प्रावधान किए जाएं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 08:03 AM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 08:10 AM (IST)
विशेषज्ञ बोले- हरियाणा और एनसीआर में जरूरी हैं वायु गुणवत्ता प्रबंधन कानून में कड़े दंड प्रावधान
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रूदूषण के लिए कड़े दंड के प्रावधान हों। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण बहुत बड़ी समस्‍या हो गई है। हालात ऐसे हो जाते हैं कि लाेगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पर नियंत्रण के लिए वायु प्रदूषण प्रबंधन कानून में कड़े दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।

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दरअसल दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने सरकार से 29 दिसंबर को वार्ता के लिए जो मसौदा दिया है, उसमें एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश-2020 के दंड प्रावधानों में बदलाव की मांग भी मुख्य है। इस अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है और अब यह कानून बन चुका है। ऐसे में किसान मांग कर हैं कि प्रदूषण फैलाने वाले पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और पांच साल की सजा के प्रावधान में बदलाव किया जाए। किसान इसमें बदलाव सिर्फ अपने लिए मांग रहे हैं।

दंड प्रावधानों में किसान संगठनों की संशोधन की मांग को अनुचित बता रहे हैं उद्यमी

इस पर औद्योगिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया की है। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा का कहना है कि किसान जब यह दावा करते हैं कि पराली जलाने से दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण नहीं होता तो फिर कड़े प्रावधानों में बदलाव क्यों मांगा जा रहा है।

उद्योग जगत का मानना है कि किसान आंदोलन काे लंबा खींचने के लिए यह षड़यंत्र

मल्होत्रा के अनुसार उद्यमियों को भी एक बार ये प्रावधान काफी कड़े लगे मगर पर्यावरण संरक्षण के लिए उद्योग जगत ने इन्हें भी मान लिया है। ऐसे में किसान आंदोलन के बीच में इस तरह की मांग रखना अनुचित है। किसान संगठन अपने आंदोलन को अपनी पुरानी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी व्यवस्था यथावत रखने तक ही सीमित रखें।

डा पीकेएमके दास और नरेंद्र अग्रवाल। (फाइल फोटो)

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'' किसानों की मांग पर तो सरकार संभवतया विचार कर रही है मगर उद्यमियों ने तो कभी पर्यावरण की एवज में अपने उद्योगों के लिए कभी इस तरह की कोई सहूलियत नहीं मांगी। किसान जो मांग कर रहे हैं उसमें उन्हें एक संशोधन करना चाहिए कि दंड प्रावधान सभी के लिए एक समान हों। अभी किसान सिर्फ अपने के लिए दंड प्रावधानों में कमी चाहते हैं।

                                                                               - नरेंद्र अग्रवाल, एफआइए, चेयरमैन, प्रदूषण पैनल।

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'' एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश-2020 के दंड प्रावधान किसान ही नहीं बल्कि उद्यमियों के लिए भी एक जैसे हैं। दंड प्रावधान कड़े रखने का असल मकसद यह है कि दिल्ली को प्रदूषण से बचाया जा सके। किसानों को दंड प्रावधानों में कमी करने की मांग की बजाये सरकार से पराली नहीं जलाने के लिए विकल्प मांगना चाहिए।

                                               - डा. पीकेएमके दास, सेवानिवृत्त, विज्ञानी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरियाणा।

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