हरियाणा में मंत्रियों को सही फीडबैक नहीं देता स्टाफ, महिला एवं बाल विकास विभाग में प्रमोशन की फाइलें अटकी
हरियाणा में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा के कार्यालय में महीनों से प्रमोशन की फाइलें लंबित हैं। राज्य के अन्य मंत्रियों के कार्यालयों का भी कमोबेश यही हाल है। स्टाफ की मनमर्जी से फाइलें समय पर सामने नहीं आती।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के महिला एवं बाल विकास विभाग में सैकड़ों पद खाली होने के बावजूद वरिष्ठ एवं पात्र सुपरवाइजरों की पदोन्नति संबंधी फाइल अटक गई है। इन सुपरवाइजरों के प्रमोशन की विभागीय औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं, लेकिन राज्य मंत्री कमलेश ढांडा के कार्यालय में फाइल लंबित होने से कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। यह वे सुपरवाइजर हैं, जिनके प्रमोशन को डीपीसी (जिला पदोन्नति कमेटी) द्वारा हरी झंडी दी गई है। 31 दिसंबर तक यदि प्रमोशन संबंधी फाइल क्लीयर नहीं हुई तो अगले साल दोबारा डीपीसी की मीटिंंग बुलानी पड़ेगी। इससे सुपरवाइजरों में आक्रोश बढ़ रहा है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इस पदोन्नति मामले में आवश्यक हस्तक्षेप करने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा के अनुसार महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) के लिए 60 पद रिक्त हैं। ज्यादातर जिलों में इस पद पर कोई काम नहीं कर रहा है। आलम यह है कि एक महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी के पास चार-चार खंडों के चार्ज हैं। इन महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारियों को दूसरे जिलों के भी अतिरिक्त चार्ज दिए हुए हैं।
जिला जींद की अधिकारियों को जिला कैथल के खंड, सोनीपत व करनाल जिले की अधिकारियों को जिला पानीपत के खंडों का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग में 43 अधिकारियों की सीधी भर्ती के पद रिक्त हैं और 17 पद पदोन्नति से भरे जाने हैं। विभाग का काम सुचारू रूप से चलाने के लिए विभाग द्वारा 15 अक्टूबर 2020 को डीपीसी की मीटिंग आयोजित की गई थी तथा 17 सुपरवाइजरों की पदोन्नति की सिफारिश कर फाइल राज्य मंत्री कमलेश ढांडा के पास भेज दी गई, लेकिन लगभग ढाई महीने के बाद भी मंत्री ने पदोन्नति की फाइल नहीं निकाली है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि मंत्रियों के इर्द-गिर्द का स्टाफ सारा खेल करता है। वह मंत्रियों को सही जानकारी, फाइलों की स्थिति और पूरा फीडबैक नहीं देता। केवल उन्हीं फाइलों को तलब किया जाता है, जिनके बारे में मंत्री के पास किसी तरह कोई सिफारिश पहुंच जाती है। बाकी फाइलों को स्टाफ छेड़ता तक नहीं है। इसके पीछे उनकी दूषित और भ्रष्टाचार वाली सोच काम कर सकती है। ऐसी स्थिति अधिकतर मंत्रियों के विभागों में बन रही है।
प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि 6 दिसंबर 2020 को सुपरवाइजरों का प्रतिनिधिमंडल एसोसिएशन की राज्य प्रधान व महासचिव के साथ मंत्री से कैथल में मिला था। मंत्री ने विश्वास दिलाया था कि जल्द ही पदोन्नति की जाएगी। इसी बीच एसोसिएशन ने कई बार मंत्री के चंडीगढ़ कार्यालय में उनके निजी सेक्रेटरी से संपर्क किया। हर बार यही आश्वासन मिला कि आज या कल ही लिस्ट जारी की जाएगी। ऐसा लगता है कि सुपरवाइजरों को बरगलाया जा रहा है या फिर किसी न किसी की मंशा ठीक नहीं है, जबकि पदोन्नति न होने से विभाग का कार्य भी बाधित हो रहा है। डीपीसी की समय अवधि केवल 31 दिसंंबर तक है। इस समय अवधि में प्रमोशन नहीं की गई तो पुन: डीपीसी की मीटिंग आयोजित करनी पड़ेगी।