जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में अत्यधिक भूजल दोहन व डार्क जोन के 13 जिलों की 1895 ग्राम पंचायतों की करीब 12.55 लाख हेक्टेयर भूमि पर जल संरक्षण की विशेष मुहिम चलाई जाएगी। अटल भूजल योजना के तहत इन क्षेत्रों के लिए अगले पांच वर्षों के लिए 723 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे भूमिगत जल स्तर को ऊपर उठाने के प्रयास होंगे। तालाबों के पानी को भी खेती के काम लाया जाएगा जिसके लिए पांच पोंड व तीन पोंड तकनीक से 200 तालाबों के पानी को उपचारित करने की शुरुआत की गई है।
हरियाणा में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। वर्ष 1974 की तुलना में प्रदेश में भूजल स्तर 10 मीटर नीचे गया है। इस दौरान भूमिगत जल स्तर 10.65 मीटर से 20.65 मीटर पर पहुंच गया। खासकर डार्क जोन में पड़ते कुरुक्षेत्र में भूमिगत जलस्तर 41.4 मीटर, करनाल में 21.2 मीटर, कैथल में 31.95 मीटर तक नीचे जा चुका है। महेंद्रगढ़ में भूजल स्तर सबसे खराब स्थिति में है जहां यह 47.36 मीटर तक जा चुका।
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इस स्थिति से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने मई में मेरा पानी-मेरी विरासत योजना लागू की थी, जिसके सार्थक नतीजे आए। तरंग संवाद के जरिये किसान समूहों व अन्य स्टेक होल्डर्स से सुझाव आमंत्रित किए गए और अच्छे सुझावों को इस योजना में शामिल किया गया। करीब 1.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती करने के लिए किसानों ने पंजीकरण करवाया। ऐसे किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि का भी प्रविधान किया गया है।
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जल संरक्षण की अन्य योजनाओं के तहत सिंचाई के लिए भूमिगत पाइपलाइन स्कीम के तहत दस रुपये प्रति एकड़ व अधिकत 60 हजार रुपये प्रति किसान सब्सिडी दी जाती है। इसी तरह फव्वारा व अन्य सूक्षम ङ्क्षसचाई संयंत्रों पर 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है।
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जल संरक्षण के लिए मिलकर करना होगा काम : सीएम
मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि भूजल स्तर में गिरावट किसान के साथ सरकार के लिए भी बड़ा चिंता का विषय है। इसमें किसान सरकार का सहयोग करें। किसान फसल विविधीकरण अपनाएंगे तो हम इस चुनौती का बेहतर तरीके से मुकाबला करने की स्थिति में होंगे। भविष्य के लिए पानी की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। बहुत से किसान वर्तमान में भी अन्य किसानों के सामने उदाहरण बने हैं।
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