10वीं परीक्षा: चौकीदार का बेटा टॉपर तो गोल गप्पे बेचने वाले की बेटी बनी सेकेंड टॉपर
मेहनत से गरीब परिवारों के तीन चिरागों ने माता-पिता के चेहरे पर खुशियों का नूर भर दिया। बोर्ड परीक्षा में चौकीदार का बेटा टॉपर व गाेलगप्पा बेचनेवाले की बेटी सेकेंड टाॅपर बनी।
जींद/सिरसा, [बिजेंद्र मलिक /महेंद्र सिंह मेहरा]: मेहनत और जज्बा हर मुश्किल को आसान बना देती है। दृढ़ इच्छा शक्ति और हौसला हर बाधा को पार कर कामयाबी के उजाले से जीवन को रोशन कर देती है। यह संदेश दिया है हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 10वीं की परीक्षा परिणाम में प्रथम तीन स्थान पर रहने वाले बच्चों ने। टाॅपर कार्तिक, सेकेंड टॉपर सोनाली और तीसरे स्थान पर रही रिया ने।
गरीब और अभावों के बावजूद इन बच्चों ने सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। इन तीनों ने अपनी लगन व परिश्रम से अपने गरीब माता-पिता के अरमानों को परवान चढ़ाया है और उनको गौरवान्वित किया है। कार्तिक के पिता प्रेम सिंह पीडब्ल्यूडी में डेलीवेजिज पर चौकीदार हैं तो सोनाली के पिता गोल गप्पे बेचते हैं। रिया के पिता कारपेंटर का काम करते हैं।
मां नहीं है दुनिया लेकिन उसका सपना है याद कार्तिक को, बड़ा होकर आइएफएस बनने की तमन्ना
पहला स्थान पाने वाले कार्तिक जींद के रोहतक रोड स्थित नव दुर्गा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र हैं। कार्तिक के पिता प्रेम सिंह पीडब्ल्यूडी में डेलीवेजिज पर चौकीदार हैं। पिछले साल मां का निधन हो गया था। इसके बावजूद कार्तिक ने हिम्मत नहीं हारी। मां का सपना था कि बेटा पढ़-लिखकर अफसर बने। मां तो दुनिया से चली गईं, लेेकिन कार्तिक को उनका सपना याद रहा और उसे पूरा करने के लिए सब कुछ झाेंक दिय। परिवार की गरीबी से कार्तिक विचलित नहीं हुअा।
कार्तिक का मुंह मीठा करवाते पिता प्रेम सिंह।
भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) में जाने का सपना संजोये कार्तिक ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व स्कूल स्टाफ को दिया है। उसने बताया कि उसकी मां शुगर की बीमारी से पीडि़त थी। वह अकसर कहती थी कि बेटा तुम्हें बड़े होकर अफसर बनना है। इसी टारगेट के साथ टीवी, मोबाइल व खेलकूद सब कुछ भूल कर पढ़ाई में लग गया। उसको 10वीं की परीक्षा में 500 में से 498 अंक मिले हैं।
पढ़ाई में होशियार होने के कारण कार्तिक ने कक्षा छह से 10वीं तक स्कॉलरशिप पर पढ़ाई की है। कार्तिक ने अपनी सफलता का मूलमंत्र बताते हुए कहा कि उसने कभी गाइड व ट्यूशन का सहारा नहीं लिया। पाठ्यपुस्तक से ही पढ़ाई की, जहां डाउट होता, अपने शिक्षकों से मदद लेता था। प्रतिदिन छह से सात घंटे पढ़ाई करता था और परीक्षाओं का समय नजदीक आया तो एक-दो घंटा अतिरिक्त मेहनत की। कार्तिक की प्राइमरी तक की पढ़ाई अपने पैतृक गांव बुआना के एक छोटे निजी स्कूल में हुई, उसके बाद छठी में जींद शहर में नव दुर्गा सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया।
स्कूल में अपने शिक्षकों के साथ कार्तिक।
खुशी के मारे पिता बोल नहीं पा रहे थे, आखों से निकल आए आंसू
कार्तिक के प्रदेश में टॉप करने पर भावुक हुए पिता प्रेम सिंह के मुंह से खुशी के मारे बोल भी निकल पा रहे थे। खुशी के मोर उनकी आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने बताया कि जब भी ओलंपियाड या कोई अन्य प्रतियोगी परीक्षा होती तो वे कार्तिक को परीक्षा देने से रोकते थे, ताकि पास होने के बाद वह पढ़ने के लिए उनसे दूर नहीं चला जाए। हालांकि कार्तिक कहता था कि वह केवल परीक्षा में हिस्सा लेगा, बाहर नहीं जाएगा। प्रेम सिंह ने कहा, आज बेटे ने प्रदेश में टॉप कर अपनी स्वर्गवासी मां व उनका नाम पूरे प्रदेश में रोशन कर दिया है। उन्हें बेटे पर नाज है।
शिक्षक की अनुपस्थिति में लेता था क्लास
गणित के शिक्षक कुलभास्कर ने बताया कि जब वह किसी कारण से स्कूल नहीं आ पाते थे तो कार्तिक गणित की क्लास लिया करता था। उसके गणित, संस्कृत व साइंस में सौ फीसद अंक हैं। हालांकि हिंदी व एसएस में एक-एक अंक कट गया है, जिसका कार्तिक को मलाल है।
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गोल गप्पे बेचने वाले की बेटी सोनाली रही प्रदेश में द्वितीय
सिरसा जिले के ऐलनाबाद के सरस्वती हाई स्कूल की छात्रा सोनाली ने प्रदेश में द्वितीय स्थान हासिल किया है। सोनाली ने दसवीं कक्षा में 99 फीसद अंक हासिल किए हैं। उसने गणित विषय में 100 और हिंदी व विज्ञान विषय में 99 अंक प्राप्त किए हैं। ऐलनाबाद के कुटिया निवासी सोनाली के पिता भूदेव सिंह नोहर रोड पर गोल गप्पे की रेहड़ी लगाते हैं।
अपने परिजनों और श्ािक्षकों के साथ सोनाली।
प्रदेशभर में बेटी के द्वितीय स्थान पर रहने पर पिता की खुशी का भी ठिकाना नहीं रहा। सोनाली ने बताया कि उसकी इच्छा इंजीनियर बनने की है। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह जी जान से पढ़ाई कर रही है। उसके पिता भी यही चाहते हैं। वह प्रतिदिन छह घंटे तक पढ़ाई की। वहीं परीक्षा के दिनों में आठ घंटे तक पढ़ाई की। सोनाली का कहना है कि उसकी सफलता में उसकी मां का काफी योगदान रहा।
पिता बोले गोल गप्पे बेचते-बेचते जवानी बीत गई, अब मिली जीवन में खुशी
पिता भूदेव ने कहा, मेरी तो जवानी गोल गप्पे बेचते-बेचते बीत गई। आज बेटी ने जीवन में असली खुशी दी है। लग रहा है कि आज जीवन की सारी मेहनत रंग ला रही है। भूदेव ने बताया कि 28 साल से गोल गप्पे बेचकर घर चला रहे हैं। उनका एक बेटा जेबीटी है और छोटी बेटी कशिश अब दसवीं कक्षा में गई है।
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कारपेंटर की बिटिया का कमाल, टॉप थ्री में आई
अंबाला शहर : अंबाला जिले के नारायणगढ़ की रिया ने न केवल प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया है। कारपेंटर की बेटी रिया ने 98.8 फीसद अंक हासिल किए हैं। इससे पहले जिले में इतने अंक किसी ने हासिल नहीं किए थे। पिछले पांच वर्षों में अंबाला से न तो 10वीं और न ही 12वीं में प्रदेश में पहले तीन स्थान पर कोई विद्यार्थी आ सका था। जिले का कुल परिणाम 44.18 फीसद रहा और प्रदेश में अंबाला को 18वां स्थान मिला। रिया शुरू से अभी तक नारायणगढ़ के ही श्रीमदभागवत गीता सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ रही है। वर्तमान में 11वीं में नॉन मेडिकल में दाखिला लिया है। रिया का छोटा भाई शिवम छठी में है।
रिया का मुंह मीठा करवातीं मां।
पिता को नहीं हुआ विश्वास, बोले-नहीं जानते कैसे किया बेटी ने कमाल
रिया के पिता सुभाष धीमान कस्बे में ही कारपेंटर का काम करते हैं। 10वीं का परिणाम आ गया है। इसीलिए वह एक दुकान पर रिजल्ट पूछने गए थे। इसी दौरान श्रीमद्भगवत गीता वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के प्रिंसिपल सुधीर ने उन्हें फोन कर बताया कि बेटी ने पूरे प्रदेश में तीसरा स्थान पाया है। सुनकर सुभाष को विश्वास नहीं हुआ और वह स्कूल पहुंच गए। स्कूल में उनका मुंह मीठा कराया गया।
सुभाष ने बताया कि उनकी बेटी ने कभी ट्यूशन नहीं पढ़ा। मुझे तो यही नहीं पता कि उनकी बेटी किस समय पढ़ाई करती थी। वह घर के काम में भी अपनी मां रजनी को सहयोग देती है। सुभाष पांचवीं पास है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने उन्हें जो खुशी दी है उसका इजहार वह शब्दों में नहीं कर सकते। उनका जीवन धन्य हो गया।