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तो अब दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला के हाथों में होगी देवीलाल की विरासत

जींद उपचुनाव के परिणाम ने हरियाणा की राजनीति में बड़ा संदेश दिया है। लगभग साफ हो गया है कि चौटाला परिवार में कलह के बीच देवीलाल की विरासत दुष्‍यंत और दिग्विजय चौटाला के पास होगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 12:07 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 08:43 PM (IST)
तो अब दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला के हाथों में होगी देवीलाल की विरासत
तो अब दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला के हाथों में होगी देवीलाल की विरासत

चंडीगढ़, जेएनएन। जींद उपचुनाव के नतीजे ने राज्‍य की राजनीति के कई संकेत दिए हैं। इससे चौटाला परिवार में कलह और विरासत की जंग को लेकर भी स्थिति साफ हुई है। जींद उपचुनाव में जननाय‍क जनता पार्टी के प्रदर्शन से लग रहा है कि चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत अब उनके पड़पोतों दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला को हाथों में होगी। इनेलो की कोख से पैदा हुई जननायक जनता पार्टी ने इस चुनाव में खुद को साबित करके दिखाया है।

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पूरी मजबूती के साथ लड़े दोनों भाई, चाचा अभय चौटाला को दी चुनौती 

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भले ही जींद उपचुनाव हार गई, लेकिन भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी उभरकर सामने आई है। अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जेजेपी और आम आदमी पार्टी का गठबंधन यदि परिपक्व हुआ तो तमाम दलों के लिए चुनौती पेश कर सकता है।

चुनावी मैदान में सांसद दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय पूरे दमखम के साथ लड़े। चुनाव में हारने के बावजूद दिग्विजय चौटाला खुद को राजनीति में स्थापित करने में कामयाब हो गए हैं। दिग्विजय के लिए इस चुनाव में अपनी जीत से ज्यादा इनेलो प्रत्याशी की हार व अपने चाचा अभय चौटाला को सबक सिखाना मायने रखता है, जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब हो गए हैं।

भविष्य में जेजेपी और आप का गठजोड़ संभव, शहरी मतदाता भी साथ

वर्तमान में दिग्विजय ने यह चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था। क्योंकि जननायक जनता पार्टी को अभी चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिली है। इस कारण आधिकारिक तौर पर जेजेपी का अभी जन्म नहीं हुआ है। दिग्विजय ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने के बावजूद खुद को जेजेपी प्रत्याशी के रूप में ही प्रचारित किया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय का खुलकर समर्थन किया था।

चुनाव परिणाम के अनुसार दिग्विजय दूसरे नंबर पर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के हैवीवेट प्रत्याशी एवं मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला को  हराया है। इसके साथ ही उन्‍होंने अपने सबसे बड़े राजनीतिक विरोधी एवं चाचा अभय चौटाला के समक्ष यह साबित कर दिया है कि अब उनकी राजनीतिक राह आसान नहीं है। दिग्विजय को पूरे हलके से वोट मिले हैं। किसी भी पोलिंग बूथ पर उनकी स्थिति कमजोर नहीं रही है। यानी कहा जा सकता है कि अब असली इनेलो जेजेपी ही है।

शहरी क्षेत्र में जहां इनेलो व भाजपा विरोधी अन्य दलों की हालत पतली रही है वहीं दिग्विजय को जींद शहर से भी वोट मिले हैं। पूरे चुनाव अभियान और परिणाम ने यह साफ कर दिया है कि जेजेपी प्रत्याशी को जाटों के साथ-साथ गैर जाटों का भी समर्थन हासिल है। खासकर युवा और महिलाएं इसमें शामिल हैं।

दिग्विजय के पिता एवं पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला तथा विधायक मां नैना चौटाला का राजनीतिक प्रभाव भी इस चुनाव में उनके काम आया है। उपचुनाव में दिग्विजय का नंबर दो पर आना भविष्य की राजनीति के लिए नया संकेत है।


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