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--एसएमओ ने एमडी स्वास्थ्य विभाग को लिखा पत्र, बेडों की संख्या 200 करने की उठाई मांग

सिविल अस्पताल में जननी वार्ड से लेकर शिशु वार्ड तक सभी दवाइयों और टेस्ट का खर्चा निशुल्क होने के चलते लोग इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। इसके चलते अब 100 बेड के सरकारी अस्पताल में मरीजों की संख्या 248 के पार हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 06:03 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 06:03 PM (IST)
--एसएमओ ने एमडी स्वास्थ्य विभाग को लिखा पत्र, बेडों  की संख्या 200 करने की उठाई मांग
--एसएमओ ने एमडी स्वास्थ्य विभाग को लिखा पत्र, बेडों की संख्या 200 करने की उठाई मांग

बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर : सिविल अस्पताल में जननी वार्ड से लेकर शिशु वार्ड तक सभी दवाइयों और टेस्ट का खर्चा निशुल्क होने के चलते लोग इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। इसके चलते अब 100 बेड के सरकारी अस्पताल में मरीजों की संख्या 248 के पार हो चुकी है। इतनी भारी संख्या में मरीजों के सिविल अस्पताल गुरदासपुर में पहुंचने पर प्रबंधकों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रबंधकों को पुराने फो¨ल्डग बेड ठीक करवा कर मरीजों को वहां पर लिटाना पड़ रहा है। सीनियर मेडिकल अधिकारी डॉक्टर विजय ने इस मामले संबंधी सिविल सर्जन डॉक्टर किशनचंद और विभाग के डायरेक्टर को पत्र लिखकर बेड की संख्या 200 करने की मांग उठाई है।

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सरकारी अस्पतालों में निशुल्क सेवाएं लेने के लिए लोग भी किस कदर जिले भर से पहुंच जाते हैं । इस बात का अंदाजा सिविल अस्पताल की गायनियां वार्ड से लगाया जा सकता है। जहां पर सरकारी टारगेट के मुताबिक सिविल अस्पताल प्रशासन को 80 महिला मरीजों की डिलीवरी केस करने होते हैं, लेकिन यहां पर तो हर माह 200 से अधिक मरीजों की डिलीवरी केस आ रहे हैं। नियर मेडिकल अधिकारी डॉक्टर विजय का कहना है कि उन्होंने बेड की संख्या बढ़ाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने गुरदासपुर में मरीजों की संख्या ज्यादा देखते हुए वार्ड संख्या 200 करने की मांग उठाई है।

जिले भर से आते हैं मरीज

गुरदासपुर के सिविल अस्पताल में एक दूसरे स्वास्थ्य केंद्रों से भी डॉक्टर मरीज इसी अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए रेफर कर देते हैं। जिसके चलते भारी संख्या में मरीजों को संभालने में अस्पताल प्रबंधकों को परेशानी हो रही है। सीनियर मेडिकल अधिकारी डॉक्टर विजय ने इस मामले संबंधी सिविल सर्जन किशनचंद को अन्य स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों को निर्देश देने के लिए भी कहा है कि मरीजों को अपने ही स्वास्थ्य केंद्रों में हैंडल करें जबकि गंभीर अवस्था में ही मरीज को सिविल अस्पताल गुरदासपुर में रेफर किया जाए।


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