हरियाणा के कांग्रेस MLA छौक्कर पर कसा शिकंजा, कंपनियों में 100 करोड़ के फर्जी बिल लेने के आरोप
हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा क्षेत्र से विधायक धर्म सिंह छाैक्कर पर आयकर विभाग का शिकंजा कसता जा रहा है। अब उनकी कंपनियों में 100 करोड़ रुपये के फर्जी बिल चार फीसदी कमीशन पर लेने के आरोप लगे हैं।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। समालखा (पानीपत) से कांग्रेस के विधायक धर्म सिंह छौक्कर पर आयकर विभाग का शिकंजा कस गया है। अब आरोप लगा है कि उनकी कंपनियों में चार फीसद पर निर्माण सामग्री लोहा, सीमेंट, बजरी के फर्जी बिल लिए जाते थे। बताया जाता है कि आयकर विभाग को अब तक 100 करोड़ रुपये के फर्जी बिलों के दस्तावेज छौक्कर की कंपनियों में मिल चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार, बताया जाता है कि बादशाहपुर (सोहना) में श्री बालाजी कंपनी और बालाजी सीमेंट स्टोर के मालिकों ने आयकर विभाग की टीम के समक्ष माना कि वे केवल फर्जी बिल देने का काम करते थे। बैंक में चेक से भुगतान आने के बाद नकदी छौक्कर के बेटे सिकंदर को देकर आते थे।
सीमेंट और लोहा विक्रेताओं ने आयकर विभाग के अधिकारियों के समक्ष स्वीकार किया
यह भी बताया जा रहा है कि आयकर विभाग की टीम को अब तक बादशाहपुर के दुकानदारों से 40 करोड़ रुपये के फर्जी बिल के दस्तावेज मिले हैं जबकि दस करोड़ रुपये के फर्जी बिल के दस्तावेज रोहतक की एक कंस्ट्रेक्शन कंपनी से मिले हैं। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर आयकर विभाग की टीम छौक्कर के साथ रोहतक व बादशाहपुर में भी छापेमारी के लिए पहुंची थी।
समालखा कोठी की वेल्यूशन कराएगा आयकर विभाग
समालखा में कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर की कोठी।
धर्म सिंह छौक्कर के बेटे विकास और सिकंदर ने आयकर विभाग के समक्ष कहा है कि समालखा कोठी निर्माण में उनके सिर्फ 40 लाख रुपये ही खर्च हुए हैं। आयकर विभाग के अधिकारी हैरान हैं कि महलनुमा कोठी कैसे 40 लाख रुपये में बन सकती है। इसलिए अब विभाग इस कोठी में हुए निर्माण की वेल्यूशन कराएगा।
डायरी में हाथ से लिखी राशि और नाम देखकर चौंक रहे हैं आयकर अधिकारी
बताया जाता है कि आयकर विभाग को छौक्कर के बेटे सिकंदर के हाथ से लिखी डायरी मिली है। इस पूरी डायरी में नीला पैन कहीं इस्तेमाल नहीं हुआ। लाल या काले पैन से ही सभी एंट्री की हुई हैं। विभिन्न अफसर, राजनेता और पत्रकारों सहित घर परिवार और निजी सुरक्षा में लगे लोगों को दी राशि को किसी कोड वर्ड में नहीं बल्कि पूरे नाम व काम के साथ लिखा गया है।
सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग के हाथ जो डायरी लगी हैं, वह तो एक ही साल की है मगर डायरी का कंप्यूटर रिकार्ड पिछले दस सालों का मिल गया है। इसका अर्थ यह है कि सिकंदर अपनी डायरी को हर साल कंप्यूटर पर चढ़वा लेता था।
सूत्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार के एक अधिकारी के नाम लाइसेंस के लिए 1.25 करोड़ रुपये भी इस डायरी में लिखे हुए हैं। डायरी में अंकित नाम से पता चलता है कि छौक्कर की तरफ से छोटी रिश्वत बांटने का काम मोहन नाम का व्यक्ति करता था जबकि बड़ी रिश्वत खुद छौक्कर और उनके बेटों के माध्यम से ही जाती थीं।
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