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हरियाणा में स्कालरशिप घोटाला : दो साल की रुकी हुई राशि देगी मनाेहरलाल सरकार

हरियाणा में छात्रवृत्ति घोटाले के खुलासे के बाद से इसका भुगतान बंद है। अब मनोहरलाल सरकार दो साल की बकाया छात्रवृत्ति राशि का भुगतान करेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 11:30 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 11:30 AM (IST)
हरियाणा में स्कालरशिप घोटाला : दो साल की रुकी हुई राशि देगी मनाेहरलाल सरकार
हरियाणा में स्कालरशिप घोटाला : दो साल की रुकी हुई राशि देगी मनाेहरलाल सरकार

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में हुए एससी-बीसी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप (छात्रवृत्ति) घोटाले की जांच के बीच प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों की दो साल से रुकी हुई स्कालरशिप देने का बड़ा निर्णय लिया है। विजिलेंस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) 2012 से 2018 तक हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रहा है। इसके बाद से वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 की छात्रवृत्ति विद्यार्थियों को आवंटित नहीं की जा सकी। अब सरकार ने तय किया है कि इन दोनों सालों की स्कालरशिप की राशि विजिलेंस तथा ईडी की जांच के दायरे में नहीं है। इसलिए विद्यार्थियों को रुकी हुई स्कालरशिप की राशि प्रदान की जा सकती है।

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विजिलेंस और ईडी की जांच के बीच प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों के हित में लिया फैसला

हरियाणा के अनुसूुचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग को इस स्कालरशिप आवंटन कार्य का नोडल विभाग बनाया गया है। इस विभाग के मंत्री डा. बनवारी लाल हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने दो साल से वंचित छात्र-छात्राओं को स्कालरशिप आवंटित किए जाने का प्रस्ताव रखा, जिस पर विभागीय अधिकारियों की बैठक में चर्चा के बाद इसके आवंटन को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। अनुसूुचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग की ओर से स्कालरशिप की राशि सीधे विद्याॢथयों को देने की बजाय संबंधित विभाग को दी जाएगी, जिसे विभाग आगे विद्यार्थियों को आवंटित करेंगे।

सीधे विद्यार्थियोंं की बजाय संबंधित विभाग के पास भेजी जाएगी स्कालरशिप की राशि

हरियाणा के सहकारिता एवं एससी-बीसी वेलफेयर मंत्री डा. बनवारी लाल ने सरकार के इस निर्णय की पुष्टि की है। बता दें कि राज्य में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है, जिसे विभाग के निदेशक रहते हुए आइएएस अधिकारी संजीव वर्मा ने उजागर किया। इस छात्रवृत्ति घोटाले में एक तत्कालीन राज्य मंत्री, एक एसीएस स्तर के अधिकारी और तत्कालीन निदेशक समेत विभिन्न अधिकारियों व शिक्षण संस्थानों की भूमिका संदेह के दायरे में आई है।

उन्‍होंने कहा‍ कि विपक्ष के दबाव के चलते प्रदेश सरकार ने विजिलेंस ने छात्रवृत्ति घोटाले की विजिलेंस जांच कराई, जिसने रिपोर्ट दी कि बच्चों के आधार कार्ड नंबर और बैंक खाते बदलते हुए फ्राड किया गया है। सोनीपत और रोहतक समेत तीन जिलों में ही 26 करोड़ रुपये का घपला हुआ है। पूरे प्रदेश में जांच होने पर यह राशि कई करोड़ हो सकती है।

विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट में ईडी से जांच कराने की सिफारिश की थी। अब ईडी ने बिना किसी औपचारिकता के यह जांच आरंभ कर दी है। ईडी अधिकारियों ने विभाग के अधिकारियों से रिकार्ड तलब कर लिया तथा संबंधित जिलों के अधिकारियों तथा शिक्षण संस्थाओं से पूरी जानकारी मांगी है।

स्कालरशिप घोटाले की ईडी जांच के बाद संबंधित अधिकारियों व राजनेताओं के हाथ पैर फूले हुए हैं, जबकि विभाग के मौजूदा मंत्री डा. बनवारी लाल का कहना है कि पात्र लोगों के साथ अन्याय करने वालों को न तो सरकार बख्शेगी और न ही जनता माफ करेगी।


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