दो साल पहले मिल चुकी मंजूरी, लेकिन अब तक नहीं बना हरियाणा में अनुसूचित जाति आयोग
हरियाणा में सात साल से अनुसूचित आयोग का गठन नहीं हो पाया जबकि दो वर्ष पूर्व राज्यपाल अनुसूचित जाति आयोग के विधेयक को मंजूरी दे चुके हैं। हुड्डा सरकार ने 2013 में आयोग बनाया था। इसे भाजपा सरकार ने 2014 में भंग कर दिया था।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के राज्यपाल द्वारा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक को मंजूरी देने के दो साल बाद भी अभी तक आयोग का गठन नहीं हो पाया है। पिछली हुड्डा सरकार में हरियाणा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फूलचंद मुलाना आयोग के अध्यक्ष थे। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन रह चुके चौ. ईश्वर सिंह फिलहाल हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में शामिल हैं।
कांग्रेस छोड़कर गुहला चीका से जजपा के टिकट पर चुनाव जीते ईश्वर सिंह ने यह मुद्दा पिछले दिनों विधानसभा में भी उठाया था। अब सरकार पर आयोग को पुनर्गठित करने का पूरा दबाव है। यह आयोग 2014 में भाजपा सरकार ने भंग कर दिया था। उसके पांच साल बाद इसके गठन को मंजूरी दी गई, मगर अभी तक कुछ नहीं हो पाया है।
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हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 18 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश में दलित उत्पीडऩ के मामलों की सुनवाई के लिए पुलिस के अलावा राज्य में कोई दूसरी एजेंसी नहीं है। आयोग के अभाव में पीडि़त लोग अपनी समस्या के समाधान की आस छोड़ चुके हैं। थानों-चौकियों में उनकी वाजिब सुनवाई नहीं होने से ऐसे हालात बने हैं।
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ढ़ाई वर्ष पूर्व सितंबर 2018 में मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक 2018 पारित करवाया गया, जिसे राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य द्वारा पांच नवंबर 2018 को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी। 30 नवंबर 2018 को इसे हरियाणा सरकार के गजट (राजपत्र) में प्रकाशित कर अधिसूचित भी किया जा चुका है।
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग अधिनियम 2018 की धारा 1 (2) में प्राविधान है कि यह कानून हालांकि उस तिथि से लागू होगा, जो राज्य सरकार सरकारी गजट में नोटिफिकेशन जारी कर निर्धारित करेगी। इस संबंध में ठीक दो वर्ष पूर्व 15 फरवरी 2019 को हरियाणा सरकार के अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह द्वारा एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर उसी तिथि से यह कानून लागू कर दिया गया, परंतु दो वर्ष बीत जाने के बाद भी इस आयोग का गठन नहीं किया गया है।
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हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग कानून 2018 की धारा तीन के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होगा। आयोग में अध्यक्ष के अलावा अधिकतम चार सदस्य होंगे, जो अनुसूचित जाति से संबंधित होंगे, जिनमें एक महिला होगी। इसके अलावा आयोग में एक सदस्य सचिव होंगे, जो सरकारी अधिकारी या स्पेशल सेक्रेटरी (विशेष सचिव) रैंक के होंगे। आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष या उनकी 65 वर्ष तक की आयु तक होगा। आयोग के पास सिविल कोर्ट जैसे शक्तियां भी होंगी।
हरियाणा की हुड्डा सरकार द्वारा साढ़े सात वर्ष पूर्व 10 अक्टूबर 2013 को एक सरकारी नोटिफिकेशन द्वारा भी हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना की गई थी, परंतु इसके चेयरमैन के रूप में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष फूल चंद मुलाना एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति इसके 10 महीने बाद अगस्त 2014 में की गई थी। अक्टूबर 2014 में भाजपा की सरकार बनी तो दिसंबर 2014 में आयोग को भंग कर दिया गया था, जिसे मुलाना ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका डालकर चुनौती भी थी। मुलाना की इस याचिका को दिसंबर 2016 में हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।