Haryana By Election: हरियाणा की राजनीति पर असर डालेगा ऐलनाबाद उपचुनाव का नतीजाा, कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
Haryana By Election हरियाणा के ऐलानाबाद उपचुनाव के लिए आज सुबह से मतदान हो रहा है। इस उपचुनाव के नतीजे का हरियाणा की सियासत पर काफी असर पड़ेगा। इसके साथ ही इस उपचुनाव में उम्मीदवार ही नहीं कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Haryana By Election: सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर आज सुबह से मतदान हो रहा है। इस उपचुनाव में हरियाणा के कई राजनेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसमें हालांकि भाजपा-जजपा गठबंधन के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन इस चुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला तथा सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल की राजनीतिक प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। कांग्रेस में अकेले प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा तथा इनेलो में पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व उनके उम्मीदवार बेटे अभय सिंह चौटाला की प्रतिष्ठा से यह चुनाव सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इस सीट पर अक्सर देवीलाल परिवार की जीत होती रही है।
भाजपा-जजपा गठबंधन के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं, जीत हुई तो बोनस
एक लाख 86 हजार मतों वाली ऐलनाबाद विधानसभा सीट का नतीजा दो नवंबर को चुनाव नतीजाा आएगा। भाजपा इस सीट पर कभी चुनाव नहीं जीत सकी है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ हलोपा अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री गोपाल कांडा ने जिस तरह से गोबिंद कांडा के लिए दिन-रात मेहनत की है, उससे वह इनेलो के निवर्तमान विधायक अभय सिंह चौटाला को चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं।
जजपा जब इस सीट पर लड़ने को तैयार नहीं हुई तो धनखड़ ने आगे बढ़कर ऐसा माहौल तैयार किया कि गोबिंद कांडा भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा-जजपा-हलोपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी घोषित कर दिए गए। गोबिंद को जिताने के लिए ओमप्रकाश धनखड़ समेत भाजपा के तमाम नेता, मंत्री रंजीत चौटाला, जेपी दलाल, कमलेश ढांडा, पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी व मनीष ग्रोवर और विधायक ऐलनाबाद में डेरा डाले रहे। यह चुनाव भाजपा-जजपा व हलोपा नेताओं की प्रतिष्ठा से जुड़ा है।
ताऊ देवीलाल परिवार की परंपरागत सीट पर जीत का परचम लहराने को लालायित अभय
इनेलो उम्मीदवार के रूप में अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद में सबसे मजबूत प्रत्याशी हैं। उन्होंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से उस समय इस्तीफा दे दिया था, जब उनका कार्यकाल साढ़े तीन साल से भी ज्यादा का पड़ा था। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अभय चौटाला की जीत सुनिश्चित करने के लिए इलाके में काफी मेहनत की है। अभय भी दिन रात नहीं रूके।
उन्हें इस राजनीतिक सफर में भाकियू नेता राकेश टिकैत, इनेलो के पूर्व नेता रामपाल माजरा, नफे सिंह राठी, सुनैना चौटला, श्याम सिंह राणा, नरेश शर्मा और अपना भारत मोर्चा के संयोजक पूर्व सांसद डा. अशोक तंवर का खुलकर साथ मिला। कांग्रेस के एक बड़े नेता का हाथ भी अभय चौटाला के सिर पर बताया जाता है।
कांग्रेस के पवन बैनीवाल हुए फूट का शिकार, सैलजा की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दांव पर
कांग्रेस ने पवन बैनीवाल को ऐलनाबाद से चुनाव मैदान में उतार रखा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी और दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस उम्मीदवार के लिए यहां प्रचार करते दिखाई दिए, लेकिन राजनीतिक रूप से पवन बैनीवाल का यह चुनाव प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा व पार्टी प्रभारी विवेक बंसल की प्रतिष्ठा से जुड़ा है।
टिकट के दूसरे दावेदार भरत बैनीवाल भी रिश्ते में अपने भतीजे लगने वाले पवन बैनीवाल के लिए कुछ खास कम नहीं कर पाए। ऐसे में पवन बैनीवाल यदि तीसरे मुकाबले में बने रहते हैं तो यह उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। कुमारी सैलजा सिरसा से सांसद रह चुकी हैं और हुड्डा के साथ उनके राजनीतिक रिश्ते बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते।