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हरियाणा में अनापत्ति प्रमाण पत्र को लेकर रद नहीं हो सकती जमीन की रजिस्ट्री, दुष्‍यंत चौटाला ने किया साफ

हरियाणा में जमीन की रजिस्‍ट्री के लिए अब अनापत्ति प्रमाण पत्र को लेकर दर नहीं हो सकती। उपमुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला ने विधानसभा में एक विधायक के सवाल के जवाब में यह बात साफ की। इसके साथ ही कृषि भूमि पर कालोनी विकसित करने वाले कालोनाइजरों पर शिकंजा कसेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 12:33 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 12:33 PM (IST)
हरियाणा में अनापत्ति प्रमाण पत्र को लेकर रद नहीं हो सकती जमीन की रजिस्ट्री, दुष्‍यंत चौटाला ने किया साफ
हरियाणा में जमीन रजिस्‍ट्री के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। (सांकेतिक फोटो।)

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा शहरी विकास विनियमन अधिनियम 1975 का उल्लंघन करने वाली किसी  रजिस्ट्री को सरकार रद नहीं कर सकती। असल में पंजीकरण अधिनियम (रजिस्ट्रेशन एक्ट) 1908 के तहत जमीन की रजिस्ट्री को ऐसे किसी आधार पर रद नहीं किया जा सकता। हरियाणा सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री के लिए शहरी विकास विनियमन अधिनियम 1975 की धारा सात ए के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने का आदेश दिया हुआ है।

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कोराेना काल में हरियाणा शहरी विकास विनियमन अधिनियम 1975 का उल्लंघन कर 6223 रजिस्ट्री हुई

कृषि योग्य जमीन पर छोटे रिहायशी प्लाटों के रूप में अनधिकृत कालोनियां विकसित करने वाले कालोनाईजरों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। हालांकि, राजस्व विभाग संभाल रहे उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सदन में रोहतक के विधायक भारत भूषण बतरा के सवाल पर बताया कि कोरोना संक्रमण काल के 11 माह में एक फरवरी 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में 6223 रजिस्ट्री  हरियाणा शहरी विकास विनियमन अधिनियम 1975 का उल्लंघन करके हुई हैं।

-कांग्रेस विधायक बतरा के सवाल पर दुष्यंत ने बताया कि इन रजिस्ट्रियों को रद करने का प्रावधान नहीं

अधिनियम की धारा सात ए के तहत इन रजिस्ट्रियों में अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया। दुष्यंत ने यह भी साफ किया कि इन रजिस्ट्रियों को रद करने के लिए दोनों कानूनों में कोई प्रावधान नहीं है। हरियाणा शहरी विकास विनियमन अधिनियम 1975 की धारा सात ए के तहत जिला योजनाकार रजिस्ट्री से पहले यह अनपापत्ति प्रमाण पत्र देते हैं कि संबंधित जमीन टुकड़ों में बेची जा सकती है या नहीं।

रजिस्ट्री घोटाले में निलंबित हुए थे छह तहसीलदार

जुलाई माह में जब राज्य सरकार को यह पता चला कि कोरोना काल में भी भ्रष्ट तहसीलदारों ने कानून की आड़ लेकर अनधिकृत कालोनियों में रजिस्ट्रियां कर दी हैं तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक तहसीलदार सहित पांच अन्य नायब तहसीलदारों  को निलंबित कर दिया। वैसे, सरकार यह जानती थी कि कोर्ट का सहारा लेकर ये तहसीलदार बहाल हो जाएंगे मगर सरकार प्रदेशवासियों के बीच एक बड़ा सार्थक संदेश देना चाहती थी।

विपक्ष ने इसे रजिस्ट्री घोटाले का नाम दिया। अब विपक्ष का कहना है कि जब   हरियाणा शहरी विकास विनियमन अधिनियम 1975 की धारा सात ए का उल्लंघन करने वालों पर कोई कार्रवाई ही नहीं हो सकती है तो फिर इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।         

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'' रोहतक से विधायक भारत भूषण बतरा ने विधानसभा में यह सवाल पूछकर सरकार की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को बेनकाब कर दिया है। इसमें गरीब व्यक्ति लुटता है मगर अवैध कालोनी विकसित करने वाले भूमाफिया  गरीब को लूटकर अपनी तिजोर भर लेते हैं। सरकार के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने के अनेक साधन हैं, लेकिन अभी तक किसी भूमाफिया के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है कि अन्य भूमाफिया की भी ऐसा काम करने से पहले रूह कांप जाए।हम चाहते हैं कि सरकार ऐसे भूृमाफिया के खिलाफ उन सभी गरीब लोगों से शपथ पत्र लेकर आपराधिक मुकमदमें दर्ज करें, जिन्होंने गरीब जनता को धोखे में रखकर जमीन बेची है।

                                                                                                      - नीरज शर्मा, विधायक, कांग्रेस।

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