हरियाणा में भर्तियों में पारदर्शिता बनाम भ्रष्टाचार पर बढ़ी रार, पक्ष-विपक्ष हुए आमने-सामने
हरियाणा लोक सेवा आयोग के उपसचिव अनिल नागर सहित तीन आरोपितों की गिरफ्तारियों के बाद कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है। वहीं भाजपा नेता जवाहर यादव का कहना है कि हमने भ्रष्टाचार नहीं किया बल्कि अनियमितताएं पकड़ी हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पारदर्शिता बनाम भ्रष्टाचार को लेकर सरकार और विपक्षी दलों में आरोप-प्रत्यारोप थमने का नाम नहीं ले रहे। हरियाणा लोक सेवा आयोग के उपसचिव अनिल नागर सहित तीन आरोपितों की गिरफ्तारियों के बाद हमलावर हुई कांग्रेस ने आरोप जड़ा है कि मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर नीयत साफ है तो सरकार ईमानदारी से जांच कराए। कांग्रेस महासचिव एवं हरियाणा के पूर्व मंत्री रणदीप ङ्क्षसह सुरजेवाला ने कांग्रेस की ओर से बड़ा मोर्चा संभालते हुए भर्तियों की अनियमितताओं में सरकार के मंत्रियों के शामिल होने के स्पष्ट आरोप जड़े हैं।
पार्टी मुख्यालय में वीरवार को कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि विजिलेंस ब्यूरो ने हरियाणा लोक सेवा आयोग के उपसचिव अनिल नागर के दफ्तर से एक करोड़ सात लाख रुपये की बरामदगी दिखाई है। इसके उलट मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि एचपीएससी मुख्यालय से पैसा बरामद नहीं हुआ। यह पैसा नागर के घर से बरामद हुआ है। इन विरोधाभासी बयानों से स्पष्ट है कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है और अनिल नागर समेत अन्य लोगों को बचाने की पटकथा लिखी जा चुकी है।
सुरजेवाला के अनुसार अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन का रिमांड लेने के लिए भी विजिलेंस ने कोर्ट में सही से पैरवी नहीं की। इससे अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। रिमांड रिपोर्ट दिखाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि पूरे घोटाले को एचसीएस पेपर की 12 ओएमआर और डेंटल सर्जन की 14 ओएमआर शीट तक सीमित करने की कवायद चल रही है। उन्होंने दावा किया कि ये ओएमआर शीट इसलिए नागर के दफ्तर से मिली हैं क्योंकि हाई कोर्ट के आदेशों के बाद संशोधित रिजल्ट जारी होना था। ऐसे में यह ओएमआर शीट बदल कर कुछ और चहेतों को एडजस्ट करने की कोशिश थी।
सुरजेवाला ने कहा कि आरोपितों ने विजिलेंस पूछताछ में माना है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की गई स्टाफ नर्स, एएनएम और वीएलडीए की भर्ती में भी उन्होंने लाखों रुपये लेकर पेपर पास करवाए। दूसरी भर्तियों में भी उनकी सेटिंग थी। इसके बावजूद कर्मचारी चयन आयोग की जांच नहीं कराई जा रही तो साफ है कि भर्ती घोटाले को दबाने की कोशिश हो रही है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में नागर की नियुक्ति के दौरान भी अध्यापक पात्रता परीक्षा पैसे लेकर पास कराई गई। बोर्ड की नौकरियों में भी पैसों का खेल चला, इसलिए शिक्षा बोर्ड को भी जांच के दायरे में लिया जाना चाहिए। रणदीप सुरजेवाला ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो व हरियाणा पुलिस की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं। इसलिए पूरी भर्ती प्रक्रिया की न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही प्रदेश सरकार उन मंत्रियों के नाम भी उजागर करे, जिनके शामिल होने को अनिल नागर ने स्वीकार किया है।
हुड्डा सरकार में सात भर्तियां कोर्ट ने की थी रद, तब कहां थे सुरजेवाला
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा हरियाणा लोक सेवा और कर्मचारी चयन आयोग की भर्तियों में गड़बड़ होने के आरोपों के बाद सरकार भी हमलावर हो गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पूर्व ओएसडी और भाजपा के प्रांतीय प्रचार एवं संपर्क प्रमुख जवाहर यादव ने सिलसिलेवार हुड्डा सरकार के समय कोर्ट द्वारा रद की गई भर्तियों का ब्योरा सार्वजनिक किया है।
जवाहर यादव ने रणदीप सिंह सुरजेवाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को टैग करते हुए एक ट्वीट भी किया है, जिसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय द्वारा सात भर्तियां रद करने का मतलब साफ है कि या तो सरकार उन कांडों में शामिल थी या फिर सोती रहती थी। जवाहर यादव ने ट्वीट में कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में जैसे ही कोई शिकायत आती है, उस पर तुरंत कार्रवाई होती है। फिलहाल जितनी भी अनियमिताएं सामने आई, उन्हें हुड्डा सरकार की तरह हमने दबाया नहीं, बल्कि आगे बढ़कर भ्रष्टाचारियों को पकड़कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया है।
हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन रह चुके जवाहर यादव ने कहा कि हुड्डा सरकार में रणदीप सिंह सुरजेवाला मंत्री थे। इसलिए भर्तियां रद होने के मामलों में हुड्डा के साथ सुरजेवाला भी गुनाहगार हैं। जब कोर्ट ने यह भर्तियां रद की थी, तब सुरजेवाला कहां चले गए थे।
हुड्डा सरकार के समय कोर्ट द्वारा रद भर्तियां
1. 2006 में शुरू की 1983 पीटीआइ की भर्ती को कोर्ट ने रद किया
2. मई 2007 में शुरू कैनाल पटवारी के 786 पदों की भर्ती रद हुई
3. 2011 में लोअर डिविजन क्लर्क के 437 पदों की भर्ती रद हुई
4. 2013 में 146 पदों पर कंप्यूटर आपरेटर एवं प्रोग्रामर की भर्ती रद
5. 2013 में एग्रीकल्चर इंस्पेक्टर के 102 पदों की भर्ती रद
6. 2013 में जूनियर इंजीनियर सिविल के 381 पद, बिजली विभाग में सहायक लाइनमैन के 1586 पद और आपरेटर के 188 पदों की भर्ती रद
7. 2006 में भर्ती हुए आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों की भर्ती कोर्ट ने रद की। (जवाहर यादव द्वारा उपलब्ध जानकारी के आधार पर)
हुड्डा सरकार ने छीने रोजगार, मनोहर सरकार ने दी नौकरियां
जवाहर यादव ने कहा कि हुड्डा सरकार की कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की पालिसी को भी हाईकोर्ट ने रद किया है। हुड्डा सरकार ने पालिसी के अनुसार ग्रुप सी व डी के पदों पर 4645 कर्मचारियों को पक्का किया था, जिन्हें कोर्ट ने पालिसी रद करते हुए छह महीने में हटाने के आदेश दिए। इन कच्चे कर्मचारियों को मनोहर सरकार ने एडजस्ट किया। हुड्डा सरकार के समय के 9455 जेबीटी अध्यापकों को कोर्ट में पैरवी कर मनोहर सरकार ने ज्वाइन करवाया। चौटाला सरकार में भर्ती हुए औद्योगिक सुरक्षा बल के 3500 सिपाहियों को हुड्डा सरकार द्वारा हटाया गया, जिन्हें मनोहर सरकार ने एडजस्ट किया। गेस्ट टीचर्स से हर सरकार खोखले वादे करती रही, लेकिन मनोहर सरकार ने पालिसी बनाकर उनका रोजगार सुरक्षित किया। कंप्यूटर शिक्षकों और लैब सहायकों के रोजगार को भी मनोहर सरकार ने सुरक्षा चक्र प्रदान किया।