सड़कों की सफाई मशीनों की खरीद विवादों में, 50 लाख कीमत की मशीन के दे दिए 76 लाख रुपये
हरियाणा मेें सड़कों की सफाई की मशीन की खरीद शक के दायरे में आ गई है। आरोप है कि 50 लाख रुपये की मशीन के लिए 76 लाख रुपये चुकाए गए।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में नगर निगमों और परिषदों में सड़कों की सफाई के लिए पिछले दिनों 44 मशीनों की खरीद विवादों में है। करीब 50 लाख रुपये की कीमत वाली प्रत्येक ट्रक माउंटिड स्वीपिंग मशीन के लिए 76 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जिसमें बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा एक ही कंपनी को पूरे प्रदेश में इन मशीनों को पांच साल तक चलाने और मरम्मत का ठेका दिया गया है। हर महीने संबंधित नगर निगम या परिषद इस कंपनी को प्रत्येक मशीन के बदले 4.70 लाख रुपये देंगे। डीजल का खर्च अलग से होगा।
50 लाख रुपये की कीमत वाली स्वीपिंग मशीन के लिए दिए 76 लाख, कुल 44 मशीनें खरीदी
शहरी स्थानीय निकाय विभाग की पहल पर आपूर्ति एवं निस्तारण विभाग ने पिछले साल सात मार्च को 44 ट्रक माउंटिड स्वीपिंग मशीनें खरीदने के लिए टेंडर निकाला था। आरोप है कि मशीनों की खरीद के लिए ओपन टेंडर निकालने की बजाय दिल्ली की एक कंपनी को यह टेंडर अलॉट कर दिया गया।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक कई कंपनियां इससे काफी कम कीमतों पर टेंडर लेने की इच्छुक थीं, लेकिन 17 सितंबर को ऊंची दरों पर एक ही कंपनी को यह टेंडर दे दिया गया। टेंडर की शर्तों के मुताबिक कंपनी इन सफाई मशीनों को चलाने के लिए एक ड्राइवर और एक क्लीनर उपलब्ध कराएगी।
मशीनों के संचालन और मरम्मत के लिए संबंधित निगम या परिषद कंपनी को प्रत्येक मशीन के लिए 4.70 लाख रुपये मासिक देंगे। इसके अलावा प्रतिदिन करीब दस हजार रुपये का डीजल भी निगमों को देना होगा। यही वजह है कि स्थानीय निकायों के अधिकारी और कर्मचारी इन मशीनों को सफेद हाथी के रूप में देख रहे हैं।
हर दिन इस मशीन के संचालन और रखरखाव पर करीब 26 हजार रुपये का खर्च आएगा। बदले में यह मशीन रोजाना अधिकतम 30 किलोमीटर तक की सड़क की सफाई करेंगी। इससे अधिक सफाई की जरूरत पड़ी तो मशीनों को चालू नहीं किया जाएगा।
ऐसे काम करती है मशीन
शहरी क्षेत्रों में सड़कों के दोनों तरफ और डिवाइडरों पर रेत या गंदगी जमा हो जाती है जिससे प्रदूषण फैलता है। ट्रक माउंटिड स्वीपिंग मशीन खरीदने का उद्देश्य सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ ही प्रदूषण खत्म करना है। यह मशीन धूल की सफाई के साथ ही मुख्य सड़कों पर पड़ी पॉलिथिन, कागज, फलों के छिलके, कपड़ों के चिथड़े को भी उठाने का काम करती है। गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे बड़े नगर निगमों को चार-चार मशीनें दी गई हैं तो करनाल जैसे छोटे नगर निगमों को दो-दो।
26 हजार में साफ होगा सड़क का टुकड़ा
सड़क के 30 किलोमीटर हिस्से को साफ करने के लिए औसतन करीब 26 हजार रुपये निगमों को देने होंगे। सड़क दो लेन हुई तो इस पैसे में करीब 15 किलोमीटर की सफाई हो पाएगी। तीन लेन के मामले में दस किलोमीटर और चार लेन होने पर करीब सात किलोमीटर की सफाई ही 26 हजार रुपये में हो सकेगी। वहीं, शहर के भीतरी हिस्सों में ज्यादातर सड़कें टाइल से बनी हुई हैं।
इसके उलट स्वीपिंग मशीन तारकोल और सीमेंट की सड़कों पर ही कामयाब हो सकती है। मशीन में ब्रश लगा होता है जो सड़कों की सफाई करता है। फिर वैक्यूम सेक्शन से धूल खींची जाती है जो टाइल वाली सड़क पर सफल नहीं होगी। रोड की हालात ठीक होने पर ब्रश और जाली एक माह तक चल सकते हैं।
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