हरियाणा में रबी की फसलों की खरीद 1 अप्रैल से, भुगतान पर सरकार व आढ़ती आमने-सामने, हड़ताल की तैयारी
हरियाणा सरकार 1 अप्रैल से शुरू हो रही रबी की फसलों की खरीद की रकम सीधे किसानों के खाते में डालने की तैयारी में है। वहीं आढ़ती इसके विरोध में हैं। सरकार के इस फैसले के खिलाफ आढ़ती हड़ताल की तैयारी में हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में पहली अप्रैल से शुरू हो रही रबी फसलों गेहूं, जौ, चना, सरसोंं आदि की सरकारी खरीद का भुगतान जहां सीधे किसानों के बैंक खातों में डालने की तैयारी है, वहीं आढ़तियों ने इसका विरोध करते हुए बेमियादी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। ऐसे में फिर से इस मुद्दे पर सरकार और आढ़तियों के बीच टकराव के आसार बन गए हैं।
हरियाणा सरकार की कोशिश है कि किसानों को उनकी फसल का पूरा भुगतान मिले। इसके लिए कई वर्षों से फसल खरीद का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में डालने की योजना बनाई जाती रही है। हर बार आढ़तियों के विरोध के चलते यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। आढ़तियों की हड़ताल और लंबे विरोध प्रदर्शनों के बाद पिछले रबी सीजन में प्रदेश सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए फसलों की आधी खरीद का पैसा सीधे किसानों के खाते में डाला, जबकि आधा भुगतान आढ़तियों की मार्फत किया गया। हाल ही में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें इस बार फसल खरीद का सौ फीसद भुगतान सीधे किसानों के खातों में करने का आदेश दे चुके हैं।
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इसका विरोध कर रहे हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि पहले की तरह आढ़तियों के जरिये फसल खरीद कर उसका भुगतान उनके माध्यम से ही किया जाए। अगर सरकार ने इस फैसले में कोई बदलाव किया तो मंडियां में अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी जाएगी। उन्होंने आरोप जड़ा कि मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारी अपने निजी स्वार्थ के लिए मंडी की दुकानें, फैक्टरी व गोदामों में नाजायज चेकिंग कर आढ़तियों व मिलरों को तंग कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
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उन्होंने कहा कि सरकारी ठेकेदार अनाज उठान में जानबूझ कर देरी करके गेहूं उठान के नाम पर आढ़तियों से पांच से दस रुपये प्रति बोरी ऐंठते है। सरकार को ऐसे ठेकेदारों का लाइसेंस कैंसिल कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अनाज उठान और बोरी सिलाई का ठेका पहले की तरह प्राइवेट ठेकेदारों केे बजाय आढ़ती एसोसिएशन को देना चाहिए।
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