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हरियाणा में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बावजूद निजी स्कूल संचालकों ने बनाया कक्षाएं शुरू करने का दबाव

हरियाणाा में कोरोना बढ़ते संक्रमण के बावजूद निजी स्‍कूल संचालक कक्षाएं शुरू करना चाहते हैं। इसकी अनुमति के लिए वे दबाव बढ़ा रहे हैं। इसके साथ वे 20 से 35 हजार रुपये तक की सालाना फीस वाले स्‍कूलों को फ्री रेगुलेटरी एक्‍ट से बाहर करने की मांग कर रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 09:30 AM (IST)
हरियाणा में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बावजूद निजी स्कूल संचालकों ने बनाया कक्षाएं शुरू करने का दबाव
हरियाणा में निजी स्‍कूल संंचालक कक्षाएं शुरू करना चाहते हैं। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार 26 जनवरी के बाद कोरोना संक्रमण कम होने की स्थिति में स्कूलों को एक तिहाई क्षमता के साथ खोलने की तैयारी में हैं, तो निजी स्कूल संचालकों ने तुरंत प्रभाव से पूरी क्षमता के साथ स्कूल खोलने की मांग की है। इसके साथ ही पांचवीं और आठवीं कक्षाओं की वार्षिक परीक्षा बोर्ड के जरिये लेने की मंशा पर भी सवाल उठाए। वैसे राज्‍य में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है।  

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नेशनल इंडिपेंडेट स्कूल एलायंस (निसा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल एलायंस के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा नेकहा कि पिछले दो वर्षों से कोरोना के चलते पढ़ाई बाधित होने से बच्चों का लर्निंग लास पहले ही बहुत ज्यादा हो चुका है। एक तरफ जिम, क्लब, शराब के ठेके, बाजार सब खुले हैं ताे दूसरी तरफ शिक्षा के मंदिर बंद हैं। वर्ल्ड बैंक एजुकेशन के डायरेक्टर ने भी कहा है कि संक्रमण के नाम पर स्कूलों को बंद नहीं करना चाहिए। इसलिए तुरंत प्रभाव से नर्सरी से लेकर 12वीं तक के स्कूलों को खोला जाए।

20 से 35 हजार तक की सालाना फीस वाले स्कूलों को फी-रेगुलेटरी एक्ट के दायरे से बाहर करने की मांग

कुलभूषण शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर 20 हजार से 35 हजार रुपये तक की सलाना फीस लेने वाले स्कूलों को फी-रेगुलेटरी एक्ट के दायरे से बाहर किया जाए। नियम 134-ए तहत बकाया राशि का भी तुरंत भुगतान होना चाहिए। पिछले आठ वर्षों से यह राशि सरकार पर बकाया है। गांव व शहरों की प्रतिपूर्ति राशि एक समान होनी चाहिए। नौवीं और 10वीं के छात्रों के लिए 1500 रुपये और 11वीं व 12वी के छात्रों के लिए 2000 रुपये की मानदेय राशि सुनिश्चित कर इसे तुरंत प्रभाव से स्कूलों के खाते में डाला जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों वर्ष 2003 से पहले से चल रहे स्कूलों को भूमि से जुड़े नियमों में कुछ राहत दी है। गांव व शहरों के स्कूलों के लिए भूमि के मानक एक जैसे होने चाहिए। इसके अलावा प्ले-वे स्कूलों की भूमि का मापदंड प्राइमरी स्कूलों के लिए तय भूमि के अनुपात में होना चाहिए। पुराने स्कूलों को भूमि के मानदंडों में अधिकतम राहत मिलनी चाहिए।

फार्म- 6 भरने की अंतिम तिथि बढ़ाए सरकार

निसा प्रधान ने कहा कि सरकार ने हाल ही में गाइड लाइन जारी कर प्राइवेट स्कूलों को पहली फरवरी तक फार्म-6 आनलाइन जमा करने के निर्देश दिए हैं। परंतु अभी तक पोर्टल पर फार्म-6 भरने की विंडो शुरू नहीं हुई है। ऐसे में इतने कम समय मे फार्म-6 भर पाना संभव नहीं है। फार्म-6 भरने की अवधि 15 मार्च तक बढ़ाते हुए ब्लाक स्तर पर स्कूल संचालकों को फार्म-6 भरने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।


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