छठ पर्व की तैयारियां पूरी, घग्गर घाट पर होगा शानदार नजारा
बिहार झारखंड और पूर्वांचल के लोगों का त्योहार छठ के व्रत को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। घग्गर नदी पर पहली बार घाट पर छठ का नजारा देखने लायक होगा।
जागरण संवाददाता, पंचकूला: बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के लोगों का त्योहार छठ के व्रत को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। घग्गर नदी पर पहली बार घाट पर छठ का नजारा देखने लायक होगा। चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा की तैयारी महीने भर से ही शुरू हो जाती है। छठ में गीतों का भी बहुत महत्व होता है। सालों से इन गीतों को दुनिया भर में सुना जा रहा है, लेकिन इस पर्व के दौरान घरों में छठी मइया के गीत भी गाए जाते हैं और लगभग भोजपुरी के सभी गायक छठ पर्व के दौरान गाने बनाते हैं जो खूब सुने भी जाते हैं। पंचकूला में पूर्वांचल की राजनीति करने वाले नेता और पूर्व पार्षद इस छठ पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं। पूर्व पार्षद हरेंद्र सिंह सैनी, पूर्व पार्षद सुभाष निषाद, गौतम प्रसाद एवं ओमपाल आर्य द्वारा अलग-अलग स्थानों पर छठ पर्व का आयोजन किया जाएगा। पूर्व पार्षद हरेंद्र सैनी ने बताया कि चार दिवसीय अनुष्ठान नहाये-खाये से कार्तिक शुक्ल चतुर्थी गुरुवार 31 अक्टूबर से शुरू होगा। छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। गंगा घाटों व पवित्र नदियों में लाखों की तादाद में व्रती अर्घ्य देते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ सूर्य देवता की बहन है। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माई प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति व धन धान्य से संपन्न करती हैं। सुभाष निषाद ने बताया कि सौम्य और स्थिर योग में चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत होगी। आदित्य ह्रदय और रावण संहिता के अनुसार रविवार को सप्तमी तिथि में सूर्य का प्रभाव एक हजार गुणा अधिक होगा। इस तिथि को गंगा स्नान मात्र से शरीर के सारे कष्टों का नाश हो जाएगा और सौ अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होगी।
अर्घ्य के सामानों का महत्व
सूप:- अर्ध्य में नए बांस से बनी सूप व डाला का प्रयोग किया जाता है।
ईख:- ईख आरोग्यता का द्दोतक है। ठेकुआ:- ठेकुआ समृद्धि का द्दोतक है।
मौसमी फल:- मौसम के फल, फल प्राप्ति के द्दोतक हैं। छठ महापर्व नहाये खाये
31 अक्टूबर खरना: एक नवंबर सायंकालीन अर्घ्य: दो नवंबर प्रात:कालीन अर्घ्य: तीन नवंबर सायंकालीन अर्घ्य : शाम 5:35