Haryana, Baroda Byelection 2020: भाजपा के योगेश्वर जीते तो बढ़ेगा दुष्यंत का सियासी रुतबा
Haryana Baroda Byelection 2020 हरियाणा के बरोदा सीट विधाानसभा सीट के उपचुनाव में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की भूमिका महत्वपूर्ण है। यदि भाजपा के उम्मीदवार योगेश्वर दत्त की जीत हुई तो दुष्यंत चौटाला का राज्य में सियासी रुतबा भी बढ़ेगा।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के सोनीपत जिले की बरोदा विधानसभा सीट पर तीन नवंबर को हो रहे उपचुनाव में जितनी प्रतिष्ठा सत्तारूढ़ दल भाजपा की दांव पर लगी है, उससे कहीं ज्यादा यह चुनाव भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। यदि इस उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार योगेश्वर दत्त की जीत होती है तो उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का हरियाणा की राजनीति में रुतबा बढ़ेगा।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा व जजपा ने अलग-अलग लड़े थे चुनाव
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। बरोदा में जजपा के भूपिंदर मलिक को भाजपा के पहलवान योगेश्वर दत्ता से मात्र पांच हजार वोट कम मिले थे। अब योगेश्वर दत्त भाजपा व जजपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं। इसलिए सरकार में साझीदार होने के नाते जजपा ने भी भाजपा उम्मीदवार को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
हरियाणा में होने वाले अधिकतर चुनावों की तासीर जातीय समीकरणों और क्षेत्रवाद पर आधारित रही है। हालांकि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह तासीर उचित नहीं है, मगर इसमें उलझकर विकास, ढांचागत निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और रोजगार के मुद्दे गौण हो रहे हैं। बरोदा में भी हाल-फिलहाल कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है।
भाजपा के योगेश्वर दत्त की हार के अंतर को पाटना गठबंधन के लिए चुनौती
पानीपत और रोहतक के बीच पड़ने वाला बरोदा हलका भाजपा के लिए हमेशा बंजर भूमि की तरह रहा है। यहां छह बार कांग्रेस, छह बार लोकदल व इनेलो तथा एक बार विकास पार्टी चुनाव जीती है। 2019 की तरह इस बार भी लोकदल का परंपरागत वोट जजपा व इनेलो में बंटा हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में जजपा इस वोट बैंक को जितना अधिक अपनी तरफ खींच सकेगी, उतना ही सत्तारूढ़ भाजपा के पहलवान योगेश्वर दत्त को फायदा मिलने की उम्मीद है।
भाजपा में सीएम मनोहर लाल और ओमप्रकाश धनखड़ की प्रतिष्ठ से भी जुड़ा चुनाव
कहने को बरोदा में सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव है, लेकिन यह चुनाव कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र हुड्डा, भाजपा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, जजपा में डा. अजय सिंह चौटाला व दुष्यंत चौटाला तथा इनेलो में ओमप्रकाश चौटाला व अभय सिंह चौटाला की प्रतिष्ठा से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। कांग्रेस ने यहां इंदु नरवाल, भाजपा व जजपा ने अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त तथा इनेलो ने जोगिंदर मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है। पूर्व सांसद राजकुमार सैनी भी यहां से खुद चुनाव लड़ रहे हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में बतौर भाजपा उम्मीदवार योगेश्वर दत्त ने बरोदा में 37 हजार 726 वोट हासिल किए थे। कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा ने उन्हें मात्र 4840 वोटों के अंतर से हरा दिया था। श्रीकृष्ण हुड्डा को 42 हजार 379 तथा जननायक जनता पार्टी के तीसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार भूपिंदर मलिक को 32 हजार 419 वोटों हासिल हुए थे।
कांग्रेस और इनेलो ने हालांकि यहां चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन भाजपा और जजपा को पिछले चुनाव में मिले वोटों का जोड़ कर लिया जाए तो यह रिजल्ट ग ठबंधन के नेताओं के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए काफी है। भाजपा यहां अगर जीत हासिल करती है तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल और ओमप्रकाश धनखड़ के साथ-साथ उनकी टीम और जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला तथा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के राजनीतिक वजूद में भी बड़ी बढ़ोतरी हो सकेगी। अजय सिंह और दुष्यंत चौटाला अगले दो दिनों तक बरोदा हलके में ही रहने वाले हैं।
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अपनी टीम को पहले से ही बरोदा में उतार रखा है। दुष्यंत के मुख्य रणनीतिकार इस चुनाव पर अपनी बारीक नजर बनाए हुए हैं। इन्हीं रणनीतिकार ने 2019 का विधानसभा चुनाव पूरी मुस्तैदी के साथ लड़ा था। जजपा के सामने अब अपनी पार्टी के विधायकों के असंतोष का भी खतरा नहीं है, क्योंकि पार्टी नारनौंद के बड़बोले विधायक रामकुमार गौतम को छोड़कर बाकी विधायकों को बोर्ड एवं निगमों की चेयरमैनी देकर काफी हद तक उनका भरोसा जीत चुकी है।