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हरियाणा में किसानों के नाम पर राजनीति गरमाई, हुड्डा ने MSP की गारंटी मांगी, मनोहर बोले- इस पर खरीद हो ही रही है

हरियाणा में किसानों को लेकर राजनीति गरमा गई है। आज नेता प्रतिपक्ष कृषि विधेयकों के खिलाफ राजभवन पहुंचे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 01:16 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 02:01 PM (IST)
हरियाणा में किसानों के नाम पर राजनीति गरमाई, हुड्डा ने MSP की गारंटी मांगी, मनोहर बोले- इस पर खरीद हो ही रही है
हरियाणा में किसानों के नाम पर राजनीति गरमाई, हुड्डा ने MSP की गारंटी मांगी, मनोहर बोले- इस पर खरीद हो ही रही है

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में किसानों के नाम पर राजनीति तेज हो गई है। कृषि विधेयकों का विरोध करने वाले किसान कम हैं, जबकि अधिकतर किसान चाहते हैं कि कृषि विधेयकों को जल्द से जल्द लागू किया जाए। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इन कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए अपने विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे। हुड्डा ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए सरकार से पूछा कि वह भले ही किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की का भरोसा दिला रही है, लेकिन मंडी से बाहर बिकने वाली फसल का क्या होगा।

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पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों को मंडी से बाहर बिकने वाली फसल पर भी MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी दे। हुड्डा चाहते हैं कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इन विधेयकों तथा किसान व आढ़तियों के हितों के मुद्दे पर आमने-सामने बात की जाए। हुड्डा की इस मांग को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हास्यास्पद बताया है।

मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों की फसल MSP पर खरीदने के लिए कटिबद्ध है। कृषि अध्यादेशों में इस बात का प्रावधान है कि प्राइवेट खरीदार किसान के घर और खेत में जाकर सीधे फसल खरीद सकते हैं। जाहिर सी बात है कि यदि किसान को सरकार द्वारा निर्धारित MSP से ज्यादा रेट मिलेंगे, तभी वह प्राइवेट खरीदार को अपनी फसल बेचेगा।

मुख्यमंत्री ने हुड्डा को जवाब दिया कि MSP पर तो सरकार किसानों की फसल खरीद ही रही है। यदि कोई खरीदार किसान से MSP से कम रेट पर फसल खरीदना चाहे तो किसान को उसे बेचना ही नहीं चाहिए। इसलिए हुड्डा की मंडी से बाहर MSP पर फसल बिकने की मांग न केवल बेबुनियाद है, बल्कि किसानों को गुमराह करने वाली है। हुड्डा इन कृषि विधेयकों का सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहे हैं।

किसानों को उनकी फसल के ज्यादा से ज्यादा दाम मिलें, इसके लिए सरकार ने प्राइवेट खरीददारों के लिए बाहर से फसल खरीदने की स्थिति में मार्केट फीस या एचआरडीएफ शुल्क वसूलने में भी छूट दी है। सरकार मानकर चल रही है कि यदि प्राइवेट खरीददार किसानों से सीधे उनके खेत या घर से फसलों की खरीद करेंगे तो सरकार को 673 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है, लेकिन सरकार को इस नुकसान की भी कोई परवाह नहीं है। इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार न केवल केंद्र की मदद लेगी, बल्कि अन्य मदों से इस नुकसान की भरपाई कर किसान को मालामाल होने से नहीं रोका जाएगा।

इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा अपने विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे तथा कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए उन्होंने राज्यपाल की सचिव जी अनुपमा को ज्ञापन सौंपा। हुड्डा ने कहा कि सरकार मंडी से बाहर होने वाली खरीद पर MSP का भरोसा नहीं दिला रही है। यदि सरकार वास्तव में किसानों की हितैषी है तो उसे दलीलें देने की बजाय इस बात की गारंटी देनी चाहिए कि मंडी के बाहर किसानों की फसल MSP से कम दाम पर नहीं बिकने दी जाएगी।

उन्होंने इस मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए कहा कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ना जानता है। कांग्रेस उनकी लड़ाई मजबूती से लड़ेगी। किसानों को गुमराह नहीं किया जा सकता। हरियाणा की सहयोगी पार्टी जजपा भी किसान विरोधी है। वह भाजपा पर किसानों के हित में कोई दबाव नहीं बना पा रही है। हुड्डा ने ऐलान किया कि कोरोना से राहत मिलने के बाद कांग्रेस प्रदेश में बड़ा किसान आंदोलन करने को तैयार है। हुड्डा के साथ राजभवन पहुंचने वालों में चंडीगढ़ में उपलब्ध एक दर्जन कांग्रेस विधायक शामिल रहे।


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