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चौकसी ब्यूरो की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, इन विभागों में हैं सर्वाधिक भ्रष्टाचारी

चार साल में चौकसी ब्यूरो के पास भ्रष्टाचार के 542 मामले पहुंचे। इनमें 338 मामलों में 62 राजपत्रित व 58 गैर राजपत्रित अधिकारियों व 74 कर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 10:40 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 08:59 AM (IST)
चौकसी ब्यूरो की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, इन विभागों में हैं सर्वाधिक भ्रष्टाचारी
चौकसी ब्यूरो की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, इन विभागों में हैं सर्वाधिक भ्रष्टाचारी

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में भ्रष्टाचारी अफसरों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसने लगा है। पिछले चार साल में राज्य चौकसी ब्यूरो के पास भ्रष्टाचार के 542 मामले पहुंचे। इनमें 338 मामलों में 62 राजपत्रित व 58 गैर राजपत्रित अधिकारियों और 74 कर्मचारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। इसके अलावा 119 मामलों में 54 आपराधिक और 18 मामलों में आपराधिक व विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

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चार साल के दौरान सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के कुल 530 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। राज्य चौकसी ब्यूरो ने 426 स्थानों पर छापामारी की जिसमें 40 राजपत्रित व 411 गैर राजपत्रित अधिकारी और 57 कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए। चौकसी ब्यूरो की तकनीकी शाखा ने पूरे राज्य में भ्रष्टाचार के 362 मामलों की जांच कर 14.45 करोड़ रुपये की रिकवरी और 552 अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है।

152 अधिकारी व कर्मचारियों और 47 अन्य को मिली सजा

अदालतों ने 139 मामलों का निपटारा करते हुए 152 अधिकारी व कर्मचारियों और 47 अन्य लोगों को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया। इनमें राजस्व विभाग के 30, पुलिस के 28, शिक्षा विभाग के 16, बिजली विभाग के 14 और सहकारिता विभाग के दस अफसर व कर्मचारी शामिल हैं। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग के आठ, शहरी स्थानीय निकाय के सात, जनस्वास्थ्य विभाग के पांच, परिवहन और सिंचाई विभाग के चार-चार, पशुपालन एवं डेयरी, हुड्डा और कृषि विभाग के तीन-तीन कर्मचारियों को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया गया।

पंचायती राज, श्रम, वक्फ बोर्ड, खजाना, उत्पाद शुल्क और कराधान और उद्योग विभागों के दो-दो तथा खाद्य और नागरिक आपूर्ति, सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग, खेल और युवा मामलों, विकास और पंचायत और न्याय प्रशासन का एक-एक कर्मचारी दोषी करार दिया गया। राजस्व, पुलिस, शिक्षा और बिजली से संबंधित मामलों में दोषियों को पांच साल तक जेल की सजा सुनाई गई है।

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