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जागरण वेबिनार: धरातल पर उतरी योजनाएं तो बदलेगी किसानों की दशा और दिशा

दैनिक जागरण के वेबिनार में हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने राज्‍य में किसानों की दशा और दिशा बदलने के बारे में बनाई गई योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 05:08 PM (IST)
जागरण वेबिनार: धरातल पर उतरी योजनाएं तो बदलेगी किसानों की दशा और दिशा
जागरण वेबिनार: धरातल पर उतरी योजनाएं तो बदलेगी किसानों की दशा और दिशा

चंडीगढ़ए जेएनएन। हरियाणा में किसानों की आय, उनके कर्ज और आॢथक स्थिति को लेकर भले ही लंबे समय से सियासत होती चली आ रही है, लेकिन मनोहर सरकार के पिटारे में एक के बाद एक ऐसी कई योजनाएं हैं जो धरातल पर उतरी तो किसानों की दशा और दिशा दोनों बदल देंगी। किसानों के सुनहरे और सुखद भविष्य का एक्शन प्लान लेकर दैनिक जागरण के वेबिनार में पहुंचे हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण, बागवानी और पशुपालन व डेयरी विकास मंत्री जेपी दलाल ने कुछ ऐसी ही तस्वीर दिखाई है।

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कृषिमंत्री जेपी दलाल ने छोटे किसानों, बड़े उत्पादकों और पशुपालकों के सुनहरे भविष्य की तस्वीर दिखाई

जेपी दलाल दैनिक जागरण के वेबिनार कार्यक्रम में करीब दो घंटे तक टीम के साथ जुड़े रहे और पूरी बेबाकी के साथ हर सवाल का जवाब दिया। जेपी दलाल मानते हैं कि किसानों का भला कर्ज माफी में नहीं, बल्कि उनकी आय बढ़ाने से होगा।

आर्गेनिक खेती, पानी की कम खपत वाली किस्म, फल व सब्जी उपज संग मत्स्य पालन प्रमुख एजेंडे में

उन्‍होंने कहा कि इसके लिए सरकार न केवल किसानों को कम ब्याज के ऋण उपलब्ध कराएगी, बल्कि फसल विविधिकरण और प्राकृतिक खेती की तरफ मोड़ते हुए उन्हेंं लाभकारी बाजार भी मुहैया कराने की दिशा में अग्रसर होगी। आर्गेनिक खेती, पानी की कम खपत वाली किस्म, फल व सब्जी उत्पादन तथा बागवानी के साथ मत्स्य पालन सरकार के प्रमुख एजेंडे में शामिल है। पेश है दैनिक जागरण के वेबिनार में कृषि मंत्री जेपी दलाल के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

किसान बागवानी करें, हरसंभव मदद करेंगे

हरियाणा के किसानों को बागवानी की तरफ मोडऩे की सरकार के पास क्या योजना है। बागवानी करने वाले किसानों को क्या सब्सिडी मिल सकती है?

 जेपी दलाल- बाग लगाने को लेकर किसानों में उत्साह बढ़ रहा है। किसान खुद परंपरागत फसलों से पीछे हट रहे हैं। जहां तक सब्सिडी की बात है, हम हर तरह की मदद देने को तैयार हैं। किसान एक बार में पूरी जमीन को बाग के लिए उपयोग नहीं करता। जमीन के कुछ हिस्से में गेहूं जैसी फसल लगाकर बाग की तरफ कदम बढ़ाए जा सकते हैं। सरकार की ओर से बीज मुहैया कराने जैसी सुविधा दी जाएगी। पानीपत और सोनीपत में तो बहुत संभावनाएं हैं। घरौंडा में तकनीक का अच्छा प्रयोग किया जा रहा है।  

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एग्रो माल के बेहतरीन इस्तेमाल का विकल्प ढूंढेंगे

हरियाणा में किसानों की सुविधा का हवाल देकर कई जिलों में एग्रो माल बनाए गए थे, लेकिन आज यह किसी काम के नहीं हैं?

जेपी दलाल- आपकी बात बिल्कुल ठीक है। हरियाणा में एग्रो मॉल का उपयोग नहीं हो सका है। यह एग्रो मॉल नहीं बनाने चाहिए थे। इन्हेंं क्यों बनाया गया और क्यों इस्तेमाल में नहीं लाया गया, इसकी चर्चा करना अब उपयुक्त नहीं है। यह एग्रो मॉल कृषि उत्पादों के लिए सही नहीं हैं। इनका जल्द ही निपटान किया जाएगा। हम किसानों से पूछकर एग्रो माल के बेहतरीन इस्तेमाल की नीति बनाने जा रहे हैं।

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बनेगा अत्याधुनिक फिश एक्वेरियम, मछली मंडी के लिए जगह तलाशेंगे

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गुरुग्राम की खासी अहमियत है। यहां अत्याधुनिक मछली मंडी बनाने तथा फिश एक्वेरियम बनाने की योजना कब सिरे चढ़ेगी?

जेपी दलाल- गुरुग्राम में मछली मंडी बनाने की योजना पूर्ववर्ती सरकार की थी। दैनिक जागरण ने इसे याद दिलाया है तो मंडी के लिए जगह की तलाश की जाएगी। गुरुग्राम ही नहीं नूंह व पलवल में भी काफी संख्या में लोग मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। उन्हेंं भी लाभ मिलेगा। मछली पालकों को दिल्ली की ओर मुंह नहीं देखना पड़ेगा। जगह की उपलब्धता के लिए अधिकारियों से बात करेंगे। दूसरे मत्स्य पालन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गुरुग्राम में फिश एक्वेरियम भी बनाया जा रहा है। सेक्टर 29 में बनने वाले एक्वेरियम में तरह-तरह की मछलियां होंगी। यह पर्यटन स्थल भी बनेगा। लोगों को जागरुक करने के लिए एक सेंटर भी इसी के अंदर खोला जाएगा। स्कूली बच्चों को भ्रमण कराने व जानकारी देने के लिए यह एक केंद्र बन जाएगा। इमारत बन चुकी है। आगे का काम जल्द पूरा किया जाएगा।

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आलू की खपत बढ़ाने को कुरुक्षेत्र में नई इंडस्ट्री लाएंगे

कुरुक्षेत्र में आलू का सबसे अधिक उत्पादन होता है। दूसरे जिलों से भी आलू आता है, लेकिन यहां पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। क्या इसकी कोई संभावना है?

जेपी दलाल- इसमें कोई शक नहीं है कि कुरुक्षेत्र में आलू का उत्पादन अधिक होता है। यहां आलू का इंटीग्रेटिड सेंटर बनाया गया है। इसमें बीज तैयार किया जाता है। किसान को बीज तैयार कर बेचने में अधिक मुनाफा होगा। यहां इंडस्ट्री को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। किसी भी नई इंडस्ट्री को सबसे पहले लॉ एंड ऑर्डर की जरूरत होती है। वह सब यहां पर है। वह पारलेजी और नेस्ले समेत दूसरी कंपनियों को लाने का प्रयास करेंगे।

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मुर्राह हरियाणा की शान, देंगे ऋण

मुर्राह नस्ल की भैंसों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की क्या योजना है?

जेपी दलाल-  पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जा रहे हैं। अगले सौ दिन में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। जो कभी बैंक तक नहीं गया, उन्हेंं कार्ड के माध्यम से ऋण दिया जाएगा। नस्ल सुधार पर जोर दे रहे हैं। निसंदेह मुर्राह हमारी शान है। इसे बढ़ावा देने के लिए लगातार पशु मेले व प्रदर्शनी लगा रहे। मुर्राह नस्ल की भैंस के लिए किसानों को ऋण देने में भी तव्वजो मिलेगी। नस्ल सुधार का परिणाम है कि पशु कम बढ़े, लेकिन दूध उत्पादन ज्यादा बढ़ा। पहले दूध की उपलब्धता 800 ग्राम प्रति व्यक्ति थी जो अब 1115 ग्राम है। पंजाब के बाद दूध उत्पादन में हरियाणा दूसरे नंबर पर है।

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चने का खरीदेंगे एक-एक दाना

सिरसा के नाथूसरी चौपटा अनाज मंडी में दस दिन से चने की खरीद बंद है?

जेपी दलाल- चौपटा अनाज मंडी में चना खरीद मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। इसके बारे में पता करवाया जाएगा। अधिकारियों से रिपोर्ट लेकर उम्दा व्यवस्था की जाएगी। चने के एक-एक दाने की खरीद सुनिश्चित करेंगे।

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सब्जी उत्पादक किसानों के लिए विशेष बीमा

मौजूदा दौर में सब्जी की खेती करने वाले छोटी जोत के किसान को तो ग्राहक उनके खेत तक मिल गए, लेकिन जिन किसानों की जोत बड़ी थी उन्हेंंं खासा नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे किसानों के लिए क्या योजना है?

जेपी दलाल- मैं खुद एक किसान हूं। बाजार से चेन टूटने की वजह से किसान को संकट की इस घड़ी में जो नुकसान हुआ हैं, उसकी पीड़ा को समझता हूं। अधिकारियों को गेंहू एवं सरसों की तर्ज पर विशेष सिस्टम बनाने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में किसानों की हरसंभव मदद की जा सकें। किसानों के लिए सरकार को अपनी तरफ से अलग बीमा भी कराना पड़ा तो वह कदम भी जरूर उठाया जाएगा।

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आर्गेनिक खेती वालों के लिए गुरुग्राम में बनेगी फार्मर मार्केट

आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों का बड़ा बाजार एनसीआर है, जोकि इन दिनों में किसानों से कट चुका हैं। इनकी फसल खेत में तैयार हैं, ग्राहक नहीं होने के कारण आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है?

जेपी दलाल- आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों के लिए सरकार गुरुग्राम में फार्मर मार्केट बनाने पर विचार कर रही हैं। इससे दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद सहित अन्य क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को उत्पाद मुहैया कराए जा सकेंगे जो कि उनके ग्राहक हैं। किसी भी दृष्टिकोण से किसानों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।

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फसलों के दाम में निरंतर बढ़ोतरी कर रही सरकार

खरीफ की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढोतरी नाकाफी है? धान की फसल के दाम में महज 53 रुपये बढ़े?

जेपी दलाल- देश और किसान की जरूरतों के मुताबिक केंद्र सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है। कोई रेट कम होता है तो कोई ज्यादा। इसलिए दलहन फसलों सरसों के दाम में 50 से 60 फीसद की भी बढ़ोतरी की गई है। इसी तरह बाजरा व कपास के दाम में भी वृद्धि हुई है। सरकार किसानों की फसल को उचित दाम देने के लिए कृतसंकल्प है। फसलों के दाम में निरंतर बढ़ोतरी की जा रही है।

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रोहतक फूडपार्क के लिए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल से बात होगी

रोहतक आइएमटी में पीएम मोदी ने आठ सितंबर 2019 को फूड पार्क का शिलान्यास किया था। इससे किसानों को सीधा लाभ होगा। यह फूड पार्क कब तक बन पाएगा?

जेपी दलाल- आइएमटी रोहतक में 50 एकड़ जमीन पर फूड पार्क का निर्माण हो रहा है। इससे किसानों को काफी फायदा होगा। यह प्रोजेक्ट मेरे कृषि मंत्रालय के अधीन नहीं है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का प्रोजेक्ट है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल से इस प्रोजेक्ट के बारे में मैं बातचीत करूंगा।

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गेम चेंजर साबित होगी पशुधन क्रेडिट कार्ड योजना

दूध उत्पादन में पंजाब साल-दर-साल हरियाणा को चुनौती दे रहा है। केंद्र सरकार ने भी डेयरी सेक्टर के लिए अहम घोषणाएं की हैं। दूध उत्पादन बढ़ाने को सरकार की क्या योजना है?

जेपी दलाल- इसके लिए पशुधन क्रेडिट कार्ड योजना पेश की गई है, जो पूरे हरियाणा के लिए गेम चेंजर साबित होगी। 100 दिन में प्रदेश के आठ लाख किसानों को पशुपालन प्रोत्साहन के लिए महज चार प्रतिशत ब्याज पर ऋण के रूप में आधारभूत पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी। कृत्रिम गर्भाधान के साथ शोध-अनुसंधान को भरपूर बढ़ावा दिया जाएगा तो देसी नस्लों में सुधार के लिए दूरगामी कदम उठाए जाएंगे। ऐसे तमाम समन्वित प्रयासों की बदौलत हरियाणा दुग्ध उत्पादन में न केवल अग्रणी बने बल्कि, देश-दुनिया के सामने आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करे।

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किसान की कृषि योग्य जमीन की मैपिंग होगी

नारनौल में सरसों खरीद में गोलमाल सामने आया है। जहां बिल्डिंग बनी हुई है, उसे खेत दिखाकर फसल का रजिस्ट्रेशन करा दिया गया। इस तरह की खामियों की क्या वजह रही?

जेपी दलाल- नारनौल में गोलमाल सामने आने के बाद हमने चार मार्केट कमेटी सचिवों को निलंबित कर दिया। कुछ को स्थानांतरित भी किया है। हम प्रदेश के हर किसान की कृषि योग्य भूमि की मैपिंग करा रहे हैं। इससे भविष्य में हमें यह मालूम चल जाएगा कि किसान ने कितने एकड़ में कौन से फसल पैदा की है। किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा।

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गन्नौर मंडी देश की आधुनिक मंडी होगी

गन्नौर में बनने वाली अंतरराष्ट्रीय फसल, फूल, सब्जी एवं डेयरी उत्पाद टॢमनल उद्घाटन तक ही सीमित है। दो साल पहले इसके लिए एक बोर्ड का भी गठन हुआ था लेकिन काम आगे नहीं बढ़ सका?

जेपी दलाल- इसका काम अभी भी चल रहा है, लेकिन इसकी गति काफी धीमी है। यह मंडी काफी आधुनिक है। यहां फाइव स्टार होटल, किसानों-व्यापरियों के रहने की जगह सब होंगी। यह देश की सबसे आधुनिक मंडी होगी और काफी बड़ा प्रोजेक्ट है। 3-4 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है। मंत्री बनने के बाद मैंने इस संबंध में तीन बैठकें की है। अगले 4-5 माह में इसके निर्माण की गति तेज होगी। एक-डेढ़ माह में इसके लिए बड़ा, करीब 1000-1500 करोड रुपये का टेंडर होगा। इसके बाद काम दिखेगा और इसमें तेजी आएगी।

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युवा प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करें, फूल उगाएं

फरीदाबाद और गुरुग्राम में कृषि का रकबा लगातार कम हो रहा है। कंकरीट के जंगल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में युवा वर्ग को कृषि क्षेत्र से जोडऩे के लिए सरकार क्या सोच है?

जेपी दलाल- हां, यह सही है। दोनों ही शहर एनसीआर का हिस्सा हैं और राजधानी के पड़ोस में हैं। इसीलिए यहां शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और खेती योग्य जमीन कम हो रही है। अब कृषि क्षेत्र में कई नई तकनीक आ गई हैं। हमारी सलाह है कि युवा प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करें, फूलों की खेती करें। इसमें कम जमीन की जरूरत होती है। हैचरी लगाएं। सरकार इसके लिए ऋण सुविधा भी उपलब्ध कराती है।

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एक लाख 10 हजार एकड़ में नहीं लगाया जाएगा धान

मेरा पानी मेरी विरासत योजना का किसान विरोध कर रहे हैं। धान की खेती छोडऩा नहीं चाहते। विपक्ष भी विरोध में उतरा हुआ है। किसानों पर ऐसा दबाव क्यों?

जेपी दलाल- देखिये, यह योजना भविष्य की भयावह तस्वीर की चिंता करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तैयार की है। पानी सबकी जरूरत है। हरियाणा वैसे भी पानी की कमी वाला राज्य है। किसान स्वेच्छा से धान की फसल की पैदावार छोडऩे को तैयार हैं। चार जून तक एक लाख 10 हजार एकड़ कृषि योग्य भूमि का पंजीकरण धान की फसल छोड़कर दूसरी फसलें बोने के लिए हो चुका है। सरकार प्रति किसान प्रति एकड़ सात हजार रुपये दे रही है। इससे न तो किसानों को नुकसान होगा और पानी भी बचेगा। विपक्ष का विरोध सिर्फ विरोध करने के लिए है। उसे किसान सिरे से खारिज कर चुके हैं।

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पानी की कम खपत वाली धान की किस्म होगी तैयार

उत्तर हरियाणा को धान का कटोरा कहा जाता है। यदि किसान धान की फसल बोना ही चाहते हैं और विपक्ष उनके साथ खड़ा है तो इसका विकल्प क्या है?

जेपी दलाल - हम धान बोने के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं। न ही सरकार के पास किसान को रोक पाने की कोई अथॉरिटी है। सबसे बड़ी चिंता का विषय बहुत से गांवों में पीने तक का पानी नहीं है। भूजल पर सभी का हक है। इसके चलते ही सरकार ने आठ खंडों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी। सरकार धान की ऐसी किस्म लाने की भी कोशिश कर रही है, जिसमें पानी कम लगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और विभागाध्यक्षों से इस दिशा में चर्चा की है।

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कम बजट की प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देगी सरका

हरियाणा सरकार कम लागत वाली प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन की दिशा में क्या कदम उठा रही है। गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आचार्य देवव्रत के फार्म हाउस का कई बार अवकोलन किया जा चुका?

जेपी दलाल- बीमारियों से बचाव के लिए प्राकृतिक खेती जरूरी है। हम इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी गंभीर हैं, लेकिन कोरोना ने हमारी राह रोक दी। हर जिले से कुछ किसानों व प्रगतिशील लोगों को आचार्य देवव्रत के फार्म हाउस का अवलोकन कराया जाएगा। हम गुरुग्राम में ऐसी मार्केट विकसित करेंगे, जहां सिर्फ आर्गेनिक यानी प्राकृतिक खेती वाली कीटनाशक रहित सब्जियां या फल अथवा अन्य सामान मिलेगा। इस पर गंभीरता से विचार चल रहा है।

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ड्रिप इरीगेशन की रुकी हुई सब्सिडी होगी जारी

हरियाणा में कई किसान ऐसे हैं, जिन्हेंं अभी तक ड्रिप इरीगेशन और अंडरग्राउंड वाटर की बजट के लिए पाइप डालने की सब्सिडी नहीं मिल पाई है?

जेपी दलाल- मैं मंत्री बाद में और किसान पहले हूं। मैं खुद भूजल संरक्षण की मुहिम का प्रहरी बनूंगा। कोई भी किसान अपनी अगली पीढ़ी को बंजर जमीन विरासत में नहीं देना चाहता। वे अगर सीधी बिजाई की विधि को भी अपनाएंगे तो 20 से 30 प्रतिशत तक पानी की बचत होगी। सरकार ने ड्रिप इरीगेशन पर मिलने वाली सब्सिडी को 85 प्रतिशत कर दिया है। कई जगह तो इसे 100 प्रतिशत तक करने का प्राविधान है। मैं रुके हुए पैसे की वजह जानते हुए इसे रिलीज कराऊंगा।

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फसल का ब्योरा होगा तो रेट भी अच्छा मिलेगा

मेरी फसल मेरा ब्योरा के तहत सूरजमुखी बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया। कम पढ़े लिखे किसान रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे? जिन किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ, उनको 5600 रुपये और जनका नहीं हुआ, उन्हेंं 3600 रुपये में फसल बेचनी पड़ी?

जेपी दलाल- मेरी फसल मेरा ब्योरा योजना बेहद लाभकारी है। इससे पता चल जाता है कि किस किसान ने क्या बोया। अगर कम बोया तो उसे ज्यादा बुआया जा सकता है। ज्यादा बोया तो उसे कम बोने को कहा जा सकता है। इससे हमें किसानों की रुचि का पता चलता है। इससे राज्य सरकार खरीद, मार्केटिंग की व्यवस्था कर लेगी। पोर्टल पर पंजीकरण कराने पर किसानों को पचास-सौ रुपये उनके खाते में डाल दिए जाते हैं। फसल का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए गांव में सीएससी सेंटर खुल गए हैं। इससे किसानों को पंजीकरण में दिक्कत नहीं हो रही। वह अपने परिवार या मार्केट कमेटी के अधिकारियों की मदद ले सकते हैं।

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मार्केट में तीन बार पैसा घुमा, इसलिए हुई देरी

हरियाणा में गेहूं खरीद का सीजन खत्म हो गया, लेकिन 72 घंटे में पेमेंट के दावे के बावजूद किसान को पैसा नहीं मिला। गेहूं का उठान भी नहीं हो पाया। विपक्ष धरने दे रहा है?

जेपी दलाल- ऐसा पहली बार हुआ कि कोरोना काल में भी 1900 मंडियां बनाकर हमने 75 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी। मंडियों से एक भी केस कोरोना पाजिटिव का नहीं आया। हम किसानों को सीधे पेमेंट देना चाहते थे, लेकिन आढ़तियों ने कहा कि उनका किसान के साथ हिसाब-किताब चलता है। इसलिए इस बार रहने दीजिए। हमने उनकी बात भी मान ली। इस बार पैसा मार्केट में तीन बार घुमा। पहले आढ़तियों के खाते में गया। फिर उन्होंने किसानों से पूछा कि उन्होंने आढ़ती से जो पैसा ले रखा है, वह कितना काटा जाए। किसान की सहमति के बाद पैसा वाल सरकारी पूल में आया। फिर सीधे किसान के खाते में गया। अभी तक साढ़े 12 हजार करोड़ रुपये की पेमेंट हो चुकी है। करीब एक हजार करोड़ रुपया बाकी है। वह भी जल्द किसानों तक पहुंच जाएगा। सिर्फ पांच लाख मीट्रिक टन अनाज उठाने की वजह से बाहर है। मंडियों में लेबर नहीं मिली तो ऐसी स्थिति बनी। अगले तीन दिनों में सब सामान्य हो जाएगा।

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ब्याज माफ नहीं उत्पादन बढ़ाने पर फोकस

हरियाणा में गन्ने के रेट नहीं बढ़ाए गए। किसान कर्जदार हैं। वे चाहते हैं कि किसान क्रेडिट कार्ड का ब्याज माफी होना चाहिए। धान व कपास के दाम भी कम बढ़े हैं। ऐसे में किसान की आमदनी दोगुनी कैसे होगी?

जेपी दलाल- गन्ने का एमएसपी हरियाणा में सबसे ज्यादा 340 रुपये प्रति क्विंटल है। हमारा प्रयास है कि किसान को गन्ने का उत्तम बीज दिया जाए, जिससे उसका उत्पादन बढ़े। बीते पांच साल में इसमें 47 फीसदी की वृद्धि हुई है। किसानों को ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों की बिजाई के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। जहां तक क्रेडिट कार्ड के लोन का ब्याज माफ करने की बात है, तो सरकार कई बार ब्याज माफ कर चुकी है। इससे किसी किसान की हालत नहीं सुधरी। इसलिए सरकार चाहती है कि किसान का उत्पादन बढ़े और उसे अच्छा भाव मिले। इसके लिए किसानों को मछली पालन, दुग्ध उत्पादन व सब्जी उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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नुकसान के फार्म न भरवाने वाले अधिकारी होंगे निलंबित

किसानों का फसल बीमा का प्रीमियम कंपनी समय पर काट लेती है, लेकिन किसान को क्लेम देने के समय एक साल तक लग जाता है। किसानों को यह भी नहीं पता कि उन्हेंं तीन दिन में नुकसान की ऑनलाइन जानकारी देनी होती है?

जेपी दलाल- इस काम के लिए हमने कृषि विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। वे गांवों में किसानों के पास जाएंगे और नुकसान के फार्म भरवाएंगे। जो अधिकारी किसानों के पास जाकर फार्म नहीं भरवाएगा, उन्हेंं निलंबित भी किया जाएगा। साथ ही, अधिकारियों से कहा गया है कि विभाग की अपनी बीमा कंपनी बनाई जाए। इस पर काम चल रहा है।

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