एनसीआर के लिए मास्टर प्लान बनाने में जुटा प्लानिंग बोर्ड, आप भी दे सकते हैं सुझाव
एनसीआर मास्टर प्लान बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड में जुट गया है। इसके लिए आम लोग भी सुझाव दे सकते हैं। हरियाणा सरकार ने इसकी शुरूआत अपने जिलों से की है।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) प्लानिंग बोर्ड 2041 का मास्टर प्लान बनाने में जुट गया है। इसके लिए बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर लोगों से सुझाव भी मांगने शुरू कर दिए हैं। साथ ही हरियाणा सरकार ने जून माह की शुरूआत में अपने उन शहरों के भी आगामी डेवलपमेंट प्लान करने के शुरू कर दिए हैं जो एनसीआर में शामिल हुए हैं।
ड्राफ्ट तैयार करने के लिए आम लोगों से मांगे फीडबैक, हरियाणा सरकार ने की अपने जिलोंं में शुरूआत
बता दें कि दिल्ली ,उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के एनसीआर में शामिल 55 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के सतत विकास के लिए अगले 20 साल की योजना 2021 तक बनाने के संबंध में हुई । इस बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार एनसीआर क्षेत्र में अगले 20 साल की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए लंदन,टोक्यो, शंघाई सहित दुनिया के सात शहरों के विकास मॉडल को अपनाते हुए डेवलमेंट प्लान तैयार करना है। एनसीआर 2041 में जमीन की सीमित उपलब्धता, सामाजिक, आॢथक, पर्यावरण, भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते डेवलपमेंट प्लान तैयार होगा।
हरियाणा सरकार को बोर्ड की 38वीं बैठक में गुरुग्राम-मानेसर 2031,फरीदाबाद-बल्लभगढ़ 2031,रोहतक 2031,सोनीपत-कुंडली 2031 तथा रेवाड़ी-2041 ड्राफ्ट में क्षेत्रफल और जनसंख्या घनत्व के अनुपात में निर्माण की ज्यादा अनुमति दे देने पर भी चेताया गया था। इसके जवाब में अब हरियाणा सरकार ने कहा है कि ये प्लान ट्रांजिट ऑरियंटिड डेवलपमेंट (टीओडी) के कारण बनाए गए थे।
हरियाणा सरकार देगी सुझाव
एनसीआर प्लानिंग बोर्ड द्वारा तैयार किए जाने वाले 2041 के डेवलपमेंट प्लान में हरियाणा सरकार अब पंजाब भूमि संरक्षण एक्ट (पीएलपीए) 1900 में किए गए संशोधन को लागू करवाने के लिए भी सुझाव देगी। बता दें, हरियाणा सरकार ने 27 फरवरी 2019 को पंजाब भूमि संरक्षण एक्ट (पीएलपीए) 1900 में संशोधन एक्ट पारित कर दिया था।
राज्य सरकार ने इस संशोधित एक्ट की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बावजूद जारी रखी हैं। संशोधित एक्ट के अनुसार राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25 फीसद 10945 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र संरक्षित वन क्षेत्र के दायरे में आ रहा है। इससे गुरुग्राम, रेवाड़ी,महेंद्रगढ़, यमुनानगर,अंबाला, भिवानी, पलवल,नूंह सहित रोहतक जिले का आंशिक क्षेत्र प्रभावित हो रहा था। पेड़ों की कटाई के लिए इसमें कोई नियम नहीं था। अब इसके लिए नियम बनाया गया है। इस पर पर्यावरणविदों ने नाराजगी व्यक्त की है।
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