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दिल्ली व हरियाणा में तकरार की जड़ पराली बनी किसानों की आय का जरिया, ऐसे हो रही कमाई

हरियाणा में पराली किसानों के लिए आय का स्रोत बन रही है। गुजरात राजस्थान और दिल्ली के प्राइवेट प्लेयर हरियाणा की पराली खरीद रहे हैं। हरियाणा की चीनी मिलों ने भी की पराली की खरीद शुरू की है। शुरू में इसका मूल्य 120 रुपये क्विंटल था जो बढ़ रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 05:13 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 07:34 AM (IST)
दिल्ली व हरियाणा में तकरार की जड़ पराली बनी किसानों की आय का जरिया, ऐसे हो रही कमाई
हरियाणा में पराली की सांकेतिक फोटो ।

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा के बीच जिस पराली को लेकर बरसों से तकरार चली आ रही है, वही पराली अब किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया बन गई है। हरियाणा की पराली को खरीदने के लिए जहां गुजरात, राजस्थान और दिल्ली के प्राइवेट प्लेयर (निजी खरीदार) मार्केट में उतर गए हैं, वहीं प्रदेश की चीनी मिलों ने भी पराली की खरीद चालू कर दी है। गुजरात में पराली सात रुपये किलो यानी सात सौ रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रही है।

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हरियाणा सरकार ने चीनी मिलों के लिए पराली खरीद का मूल्य 120 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। दिल्ली और गुजरात के प्राइवेट खरीदार हरियाणा के किसानों से पराली खरीदते हैं और उसके गट्ठे बनाकर गुजरात सप्लाई करते हैं। इन प्राइवेट खरीदारों ने प्रदेश में करीब 20 खरीद केंद्र बनाए हैं, जहां आसपास के जिलों व गांवों के लोग अपनी पराली बेचने आ रहे हैं। कई खरीदार सीधे किसानों के खेत और घेर से पराली उठा रहे हैं और वहीं पर अपनी निजी मशीनों के जरिये उसकी गांठ बांध रहे हैं।

हरियाणा में सबसे ज्यादा पराली खरीद केंद्र फतेहाबाद, टोहाना, हिसार और सिरसा के आसपास हैं। जीटी रोड बेल्ट को धान का कटोरा कहा जाता है। हरियाणा में हर साल 60 से 70 लाख मीट्रिक टन धान की फसल पैदा होती है। इस पैदावार की करीब 70 से 80 फीसदी पराली खेतों से निकलती है। अभी तक किसान अगली फसल के लिए अपने खेत खाली करने की जल्दबाजी में पराली को खेतों में ही जला देते थे, जिस पर दिल्ली व हरियाणा के बीच अक्सर तलवारें खिंची रहती थी। दो साल पहले सरकार ने जब एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से पराली खरीद का ऐलान किया तो लोगों में जागरूकता आई।

दो साल पहले शुरू हुई इस मुहिम के अब प्रदेश में शानदार नतीजे देखे जा रहे हैं। राज्य में एक दर्जन से ज्यादा चीनी मिलें हैं। कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल के अनुसार ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए चीनी मिलों ने इस पराली की खरीद चालू कर दी है। सभी चीनी मिलों को सरकार की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि वह पराली की खरीद करें। सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल के मुताबिक चीनी मिलों के लिए 120 रुपये क्विंटल का रेट निर्धारित किया गया है। यह पराली ईट-भट्ठों पर भी ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए जा रही है।

गुजरात और राजस्थान के साथ हिमाचल में हो रही खपत

गुजरात और राजस्थान दो राज्य ऐसे हैं, जहां पराली की सबसे ज्यादा खपत सामान की पैकिंग में हो रही है। गुजरात में सात सौ रुपये क्विंटल तक पराली के रेट हैं। हरियाणा से पराली की गुजरात में ढुलाई पर दो से ढ़ाई रुपये क्विंटल का खर्चा आता है। ऐसे में यदि प्राइवेट खरीदार सरकार द्वारा निर्धारित रेट से अधिक पर भी पराली खरीदें तो उन्हें मुनाफा हो रहा है।

उन्होंने अपने खरीद सेंटर बना लिए हैं। वहां हर रोज खरीदी जाने वाली पराली के बंडल बनाए जाते हैं। फिर उन्हें गुजरात और राजस्थान भेज दिया जाता है। हिमाचल में भी पैकिंग में पराली का इस्तेमाल संभव है, लेकिन फिलहाल वहां खपत कम है, मगर आने वाले दिनों में खपत बढ़ने की संभावना है।

कृषि मंत्री जेपी दलाल के अनुसार उन्हें कई ऐसे लोग मिले हैं, जिन्होंने हरियाणा में पराली की खरीद और गुजरात व राजस्थान में बिक्री से कई सौ करोड़ की टर्नओवर बना ली है। इस खरीद से प्राइवेट खरीदार और किसान तो खुश हैं ही, साथ ही प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलती जा रही है।

अगले दो चार साल में रोजगार का जरिया बन जाएगी पराली

कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि आने वाले सालों में पराली की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी। पराली प्रदेश में रोजगार और आमदनी का बड़ा साधन बनने जा रही है। दिल्ली में जितना प्रदूषण होता है, उसके लिए हरियाणा की पराली इतनी जिम्मेदारी नहीं है, जितना उसे ठहराया जाता है। अब लोग जागरूक हो गए हैं। उन्होंने पराली को खेतों में जलाना बंद कर दिया है। आने वाले सालों में किसी खेत में पराली नहीं जलेगी और लोगों को इसकी बिक्री से आय होने लगेगी।

प्राइवेट व सरकारी खरीदारों के बीच माध्यम बनेगी सरकार

सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल का कहना है कि पराली निस्तारण के लिए प्रदेश सरकार बेहद गंभीर है। किसानों को जागरूक किया जा रहा है। प्राइवेट खरीदार मार्केट में आने से किसानों की आय बढ़ने लगी है। प्राइवेट चीनी मिलें हालांकि फिलहाल कम रेट में पराली खरीद रही हैं, लेकिन किसानों का ढुलाई व उसके बांधने पर होने वाला अन्य खर्च बच रहा है। भविष्य में सरकार और चीनी मिलों तथा प्राइवेट खरीदारों के साथ बातचीत को आगे बढ़ाकर पराली के रेट बढ़ाने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

बिजली उत्पादन के लिए आठ कंपनियों को मिले लाइसेंस

हरियाणा में पराली निस्तारण के लिए सरकार प्राइवेट सेक्टर के लोगों को बिजली उत्पादन, गत्ता उत्पादन, प्लाई बनाने और एथोनाल बनाने के लाइसेंस भी प्रदान करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। मंत्री जेपी दलाल और डा. बनवारी लाल के अनुसार इंडियन आयल को पानीपत में एथोनाल बनाने की अनुमति दी गई है। बिजली बनाने की दिशा में प्राइवेट सेक्टर की छोटी-छोटी कंपनियों को सात से आठ तक लाइसेंस प्रदान किए जा चुके हैं, जिन्हें भविष्य में बढ़ाया जाएगा। जेपी दलाल के अनुसार वह दिन दूर नहीं, जब राज्य में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में पराली निस्तारण को लेकर हरियाणा पूरे देश में आदर्श राज्य बन जाएगा।

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