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मैं अब किसके सहारे जीउंगी, नहीं थमे शैली के आसू

पवन राणा, बरवाला/पंचकूला : राजेंद्र सिंह चंदेल के इकलौते बेटे की अंतिम वारिस शैली हत्यारे

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 11:15 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:15 PM (IST)
मैं अब किसके सहारे जीउंगी, नहीं थमे शैली के आसू
मैं अब किसके सहारे जीउंगी, नहीं थमे शैली के आसू

पवन राणा, बरवाला/पंचकूला : राजेंद्र सिंह चंदेल के इकलौते बेटे की अंतिम वारिस शैली हत्यारे के हाथों इसलिए बच गई, क्योंकि वह अपनी बुआ के घर पर थी। यदि शैली भी शुक्रवार रात दादी के साथ होती, तो शायद वह भी जिंदा न होती। शैली अपनी बुआ अंजना के घर पर रहती है और शनिवार को वह रोजाना की तरह माउंट कॉर्मल स्कूल बलटाना चली गई थी। अंजना और उसका पति हत्याओं की खबर सुनने के बाद गाव खटौली पहुंच गए थे। इसके बाद रिश्तेदार शैली को लेने के लिए उसके स्कूल चले गए। शैली जैसे ही खटौली स्थित अपनी दादी के घर में घुसी, तो वह अपने भाई-बहन के बारे में पूछने लगी। किसी ने उसे बता दिया कि दादी और उसके भाई-बहन का मर्डर हो गया है। इसके बाद शैली चिल्लाने लगी। रो-रोकर बोलने लगी कि मेरे भाई-बहन को किसी ने बचाया क्यों नहीं, उन्हें जब मार रहे थे, तो कोई सामने आया क्यों नहीं। शैली की चीखें सुनकर गाव के सभी लोगों की आखें भर आई। किसके साथ रहूंगी, किसको राखी बांधूंगी

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हर कोई शैली को चुप करवाने की कोशिश करने लगा। शैली बोलने लगी कि अब मैं किसके पास रहूंगी। किसके साथ खेलूंगी। किस भाई के हाथ पर राखी बाधूंगी। हर कोई शैली के शब्दों को सुनकर रोने लगा। लोगों ने शैली को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह बस अपने भाई-बहन को वापस लाने को ही बोलती रही। अब शैली अकेली रह गई है, न उसके पास मा है और न बाप। भाई-बहन जो उसका सहारा थे, उसे छोड़कर जा चुके हैं।


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