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पंचायतों को फिर मिली वित्तीय शक्तियां, हरियाणा में 5 लाख तक के कामों पर निगाह रखेंगे निवर्तमान जनप्रतिनिधि

हरियाणा में पंचायत चुनाव में अभी समय लगेगा। राज्य में पांच लाख से ऊपर के काम प्रशासकों के माध्यम से टेंडर के जरिये होंगे। मौजूदा सरपंच और जिला परिषद अध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्रों के प्रशासकों को भरोसे में लेकर वित्तीय कार्य करा सकते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 04:55 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 06:33 PM (IST)
पंचायतों को फिर मिली वित्तीय शक्तियां, हरियाणा में 5 लाख तक के कामों पर निगाह रखेंगे निवर्तमान जनप्रतिनिधि
हरियाणा में पंचायतों को फिर मिला वित्तीय अधिकार। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के पंचायत चुनाव में अभी समय लग सकता है। पंचायतों के कामकाज को प्रशासकों के हवाले कर चुकी प्रदेश सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए निवर्तमान जनप्रतिनिधियों को सोमवार से एक बार फिर वित्तीय शक्तियां प्रदान कर दी हैं। मौजूदा सरपंच और जिला परिषद अध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्रों के प्रशासकों को भरोसे में लेकर वित्तीय कार्य करा सकते हैं। उनके सामने एक लक्ष्मण रेखा भी खींची गई है। पांच लाख रुपये से अधिक के काम आनलाइन टेंडर के जरिये ही अलाट होंगे।

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पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के नाते हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने यह आदेश जारी किए। उन्होंने चंडीगढ़ में रविवार को बताया कि सभी अधिकारियों को पंचायत प्रतिनिधियों को सशर्त वित्तीय अधिकार प्रदान करने के बारे में सूचित कर दिया गया है। सरकार ने 16 फरवरी को सभी पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर दिए थे। पंचायतों का कार्यकाल 23 फरवरी को पूरा हो चुका है।

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राज्य में अब 100 नई पंचायतें बनी हैं, जबकि 400 पंचायतें ऐसी हैं, जो गुरुग्राम, पानीपत और फरीदाबाद जिलों में आती हैं और पूरी तरह से शहरी परिक्षेत्र में मानी जाती हैं। पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के दौरान सैकड़ों काम चल रहे थे। उन कामों में दखल न पड़े, इसलिए जनप्रतिनिधियों से कहा गया है कि वह अपनी देखरेख में सारे काम कराएं। इसके लिए राशि प्रशासकों को जारी की जा रही है। पांच लाख रुपये से अधिक के काम आनलाइन टेंडर के जरिये ही होंगे।

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पंचायत चुनाव की तारीख से जुड़े सवाल पर दुष्यंत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग को जनवरी में लिखा जा चुका है। डाटा तैयार हो रहा है। कई जगह नई वार्डबंदी की प्रक्रिया जारी है। यह प्रक्रिया खत्म होते ही राज्य में नए पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले साल 1800 पंचायतों में मनरेगा का पैसा खर्च नहीं हो पाया था, लेकिन इस बार यह राशि एक हजार करोड़ रुपये तक खर्च होने का अनुमान है। इनमें से 861 करोड़ 60 लाख रुपये की राशि मनरेगा के कामों पर खर्च हो चुकी है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत राज्य में 690 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण होना था। इसका एक चरण पूरा हो चुका है। 550 करोड़ की लागत से 120 नई सड़कें स्वीकृत हुई हैं, जो 1217 किलोमीटर लंबाई की हैं। 14 जिलों में यह सड़कें बनेंगी।

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शराब का ठेका नहीं चाहते तो 15 मार्च तक करें आवेदन

डिप्टी सीएम के अनुसार वैसे तो वित्तीय वर्ष 31 मार्च को खत्म होता है, लेकिन कोविड की वजह से इस बार 19 मई को वित्तीय वर्ष आरंभ हुआ था, इसलिए अब 20 मई से नया वित्तीय वर्ष आरंभ होगा। गांव के अंदर यदि कोई पंचायत ठेका नहीं खुलवाना चाहती तो उसे डीसी के माध्यम से सरकार के पास 15 मार्च तक प्रस्ताव भिजवाना होगा। 2019-20 में 3048 ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव आए थे, लेकिन 57 ही स्वीकार हुए थे और 48 को रिजेक्ट कर दिया गया था। बाकी प्रस्तावों में तमाम खामियां थी। 2020-21 में 898 अप्लीकेशन आई। 430 गांवों में ठेके नहीं खोले गए। 2021-22 में ठेका निषेध के लिए प्रस्ताव आमंत्रित हैं।

राजस्व विभाग के 400 अफसरों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई

डिप्टी सीएम ने बताया कि हरियाणा के इतिहास में आबकारी एवं कराधान विभाग ने इस साल सबसे अधिक राजस्व एकत्र किया है। प्रदेश में तीसरी तिमाही में 1421 करोड़ रुपये का राजस्व आया है। 20-21 में 668 केस दर्ज कर 90.13 करोड़ की पेनल्टी लगाई गई। एसईटी और एसआइटी की जांच से जुड़े सवाल पर दुष्यंत ने कहा कि इनसे हमारे विभाग का कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन रजिस्ट्री की जांच के मामले में सिस्टम को सुधारने के लिए हमने छह मंडलायुक्तों से जांच कराई। करीब 400 छोटे-बड़े अधिकारियों व कर्मचारियों की खामियां मिलीं। उनका अध्ययन किया जा रहा है। सिस्टम को सुधारने के लिए हम उनके विरुद्ध कार्रवाई करेंगे।

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