टैक्स चोरों पर अफसर मेहरबान, कर वसूली में खेल
हरियाणा में व्यापारी-उद्योगपतियों, बिल्डरों और ट्रांसपोर्टरों से मिलीभगत कर 1700 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया गया।
जेएनएन. चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी विभागों में कर वसूली के नाम पर खूब खेल चल रहा है। विभिन्न विभागोंं के अफसरों ने व्यापारियों, उद्योगपतियों, बिल्डरों और ट्रांसपोर्टरों से मिलीभगत कर उन्हें करीब 1700 करोड़ का फायदा पहुंचाया। इस राशि में से मोटी रकम कुछ अधिकारियों की जेब में जाने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में राजस्व विभाग, आबकारी एवं कराधान विभाग और परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर खूब सवाल उठाए हैं। अकेले मूल्य वर्धित कर (वैट) में रियायत के नाम पर ही व्यापारियों को करीब 518 करोड़ रुपये का फायदा पहुंंचाया गया। कर निर्धारण प्राधिकारियों ने अवैध सी, ई-1, एफ और एच घोषणा फार्मों के विरुद्ध बिक्री पर गलत छूट दी। इसी तरह वैट डी-1 और डी-2 फार्मों के दुरुपयोग के बदले व्यापारियों पर लगाई 262 करोड़ की पेनल्टी वसूलना भी अफसर भूल गए।
बिक्री कर, उत्पाद शुल्क और स्टांप शुल्क में 200 करोड़ का गोलमाल
कैग के मुताबिक व्यापारियों और बिल्डरों से मिलीभगत कर अफसरों ने सरकार को करीब 200 करोड़ की चपत लगाई। बिक्रीकर में रियायत दे व्यापारियों को करीब 122 करोड़ का फायदा पहुंचाया गया। 108 अपंजीकृत ठेकेदारों और 28 डीलरों को पकड़ने के बावजूद करीब पचास करोड़ की पेनल्टी छोड़ दी। इसके अलावा कई मामलों में गलत गणना कर व्यापारियों को करोड़ों का लाभ पहुंचाया। राजस्व विभाग ने जमीन की खरीद-फरोख्त के मामलों में बिल्डरों को फायदा पहुंचाते हुए स्टांप शुल्क के 67 करोड़ रुपये छोड़ दिए।
परिवहन विभाग भी कठघरे में
धांधलियों के चलते सरकार के निशाने पर रहे परिवहन विभाग पर कैग ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। वाहनों के पंजीकरण, परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट फीस, लाइसेंस फीस, यात्री एवं माल कर के निर्धारण में फर्जीवाड़ा कर चहेतों को करीब सवा करोड़ का फायदा पहुंचाया गया। 619 ट्रांसपोर्टरों ने दो साल तक माल कर ही जमा नहीं कराया और करीब 47 लाख रुपये हजम कर गए।
742 ट्रांसपोर्टरों ने वर्ष 2015-16 मेें टोकन टैक्स जमा नहीं कराया जिससे महकमे को 17 लाख रुपये का नुकसान हुआ। बता दें कि परिवहन विभाग में अनियमितताओं की लगातार शिकायतों के बाद पिछले साल सरकार ने सभी क्षेत्रीय प्राधिकरण सचिव (आरटीए) को हटा कर अतिरिक्त उपायुक्तों को जिम्मेदारी सौंपी है।
ईंट-भट्ठा मालिक निरंकुश
कैग रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में चल रहे ईंट-भट्ठों के मालिकों पर विभाग का कोई अंकुश नहीं। चार जिलों में अप्रैल 2014 से मार्च 2017 के बीच जिन ईंट-भट्ठा संचालकों को परमिट जारी किए गए थे, उनमें से 67 लोग खदान एवं भू-विज्ञान विभाग के 37 लाख रुपये दबाए बैठे हैं। मनोरंजन कर और बिजली टैक्सों में भी 36 करोड़ की वसूली अटकी पड़ी है।
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