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हरियाणा के पूर्व सीएम चौटाला को EC से राहत मिली तो लड़ सकते हैं चुनाव, जानें क्‍या हैं नियम

हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी हो गई है और वह रिहा हो रहे हैं। ऐसे में वह हरियाणा की राजनीति में खुलकर सक्रिय हो सकेंगे। चौटाला को चुनाव लड़ने के लिए छह साल इंतजार करना होगा लेकिन चुनाव आयोग उनको इससे राहत दे सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 11:19 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 07:45 AM (IST)
हरियाणा के पूर्व सीएम चौटाला को EC से राहत मिली तो लड़ सकते हैं चुनाव, जानें क्‍या हैं नियम
हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, जेएनएन। पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला सजा पूरी होने के बावजूद छह साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। लेकिन चुनाव आयोग से उनको राहत दे सकता है। चौटाला की प्रार्थना के बाद चुनाव आयोग इस अवधि को कम कर सकता है या उनको चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध को पूरी तरह खत्‍म कर सकता है।

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चौटाला छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, आयोग अवधि कम कर सकता है या प्रतिबंध खत्‍म कर सकता है

लोक प्रतिनिधित्व कानून के अनुसार चौटाला अपनी रिहाई से छह वर्ष की अवधि तक अर्थात जून 2026 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि रिहाई के बाद चौटाला के पास भारतीय चुनाव आयोग के पास इस कानून की धारा 11 में याचिका दायर करने का विकल्प है जिसमें छह वर्ष चुनाव नहीं लड़ पाने की अवधि को कम करने या पूर्णतया खत्म करने की प्रार्थना करने का विकल्प है। छूट देने में तीन सदस्यीय चुनाव आयोग कानूनन सक्षम है।

भ्रष्टाचार में दोषी सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम ¨सह तमांग को 13 महीने बाद ही चुनाव लड़ने की दी थी छूट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि चुनाव आयोग सिक्किम के वर्तमान मुख्यमंत्री और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के नेता प्रेम सिंह तमांग के मामले में ऐसा कर चुका है। सितंबर, 2019 में चुनाव आयोग ने तमांग को भ्रष्टाचार में सजा के बाद उन पर छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाने की रोक को घटाकर 13 महीने कर दिया था।

आयोग ने यह निर्णय तमांग द्वारा जुलाई 2019 में दायर एक याचिका पर लिया। सजा के बाद तमांग अगस्त 2024 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते थे परंतु चुनाव आयोग के फैसले के बाद वह 10 सितंबर 2019 के बाद चुनाव लड़ने के लिए कानूनी तौर पर सक्षम हो गए। इसी कारण वह सिक्किम विधानसभा का उपचुनाव चुनाव लड़ने में सक्षम हुए क्योंकि मई 2019 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते समय वह विधायक नहीं थे।

हर चुनाव में जनता ने कांग्रेस से लिया हिसाब : दिग्विजय

जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि उनके दादा ओमप्रकाश चौटाला व पिता अजय चौटाला के खिलाफ कांग्रेसियों द्वारा रचा गया षड्यंत्र किसान-कमेरे वर्ग की विचारधारा पर दूषित मानसिकता का प्रहार था। प्रदेश की जनता ने इसका हिसाब कांग्रेस से हर चुनाव में लिया। दादा चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई पर खुशी जताते हुए उन्‍होंने कहा कि उन्होंने उम्र के इस पड़ाव में भी कांग्रेसी षड्यंत्र से मिली जेल रूपी चुनौती का दृढ़ता से सामना किया। उनका वैचारिक संघर्ष जेल से भी जारी रहा।

दिग्विजय चौटाला ने कहा कि उन्हें जेल से रिहाई पर हमारा परिवार, सभी कार्यकर्ता और किसान, कमेरे वर्ग की विचारधारा से जुड़े लोगों के लिए खुशी का पल है। वह हमारे आदर्श हैं और उनका संघर्ष हम सभी के लिए एक मिसाल है। उनकी अंगुली पकड़कर राजनीति में आए और उनकी सीख व आशीर्वाद की बदौलत ही राजनीति में खड़े हो पाए।


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