संपत्ति की जानकारी छिपा रहे अफसर-कर्मचारी, 30 जून तक का समय दिया, विभागाध्यक्षों की जवाबदेही तय
हरियाणा में हजारों कर्मचारियों ने पोर्टल पर वर्ष 2017-18 2018-19 और 2019-20 का ब्योरा दर्ज नहीं किया है। सरकार ने अब 30 जून तक का समय दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में बड़ी संख्या में अफसर और कर्मचारी कई बार की चेतावनी के बावजूद अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक नहीं कर रहे। इनमें ग्रुप ए के अफसरों से लेकर ग्रुप बी और सी के कर्मचारी शामिल हैं जो तीन साल से ऑनलाइन रिटर्न नहीं भर रहे। प्रदेश सरकार ने अब फिर से 30 जून तक की समय सीमा निर्धारित करते हुए चल-अचल संपत्ति की जानकारी तलब की है। सभी विभागाध्यक्ष 10 जुलाई तक एक प्रमाणपत्र मुख्यालय में भेजेंगे कि उनके महकमे में किसी की प्रॉपर्टी रिटर्न लंबित नहीं है। निर्धारित समय में प्रॉपर्टी की जानकारी नहीं देने वाले लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम 1966 के नियम 18 के तहत वाॢषक प्रॉपर्टी रिपोर्ट हर साल दाखिल होनी चाहिए। इसके बावजूद विभिन्न महकमों के कर्मचारियों और अफसरों ने वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की ऑनलाइन रिटर्न दाखिल नहीं की है। इनमें भी सर्वाधिक शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल 16 मार्च और चार दिसंबर तथा विगत 29 जनवरी को नोटिस जारी किए गए, लेकिन अधिकतर शिक्षक लोग साधे रहे। निर्धारित प्रोफार्मा में जानकारी देने के लिए वेतन रोकने तक की धमकी दी गई, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
इसके उलट जमीन-जायदाद के साथ ही नकदी, ज्वेलरी, बीमा पॉलिसी, शेयर बाजार में निवेश, वाहन, बैंकों में जमा राशि सहित तमाम जरूरी चीजों का ब्योरा देने से बच रहे कर्मचारियों ने प्रोफार्मा के कई बिंदुओं पर सवाल उठा दिए। इसके बाद सरकार ने गैरजरूरी कॉलम को भरने की छूट भी दी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।गौरतलब है कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए कर्मचारियों की संपत्ति का ऑनलाइन ब्योरा मांगा जाता है। हर साल प्रॉपर्टी की डिटेल मांगने का मकसद यह देखना है कि सरकारी कर्मचारी कहीं भ्रष्टाचार कर प्रॉपर्टी तो नहीं बना रहे।
संपत्ति छिपाने में गुरुजी भी नहीं पीछे
संपत्ति की जानकारी छिपाने में गुरुजी भी पीछे नहीं हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षक नहीं बताना चाहते कि साल दर साल उनकी प्रॉपर्टी बढ़ रही या कम हो रही है। ग्रुप ए से लेकर ग्रुप सी तक के कर्मचारियों ने तीन साल से प्रॉपर्टी संबंधित जानकारी शिक्षा निदेशालय को नहीं दी है। अब शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों को अलग से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विभिन्न जिलों में कई शिक्षक नियमों को ताक पर रखते हुए प्राइवेट स्कूलों के साथ-साथ अकेडमी भी चला रहे हैं। इसी कारण वह अपनी संपत्ति का ब्योरा देने से बचते हैं।