सरकारी स्कूलों में बढ़ने लगा भरोसा, पांच साल बाद बढ़े छात्र
लगातार पांच साल तक राजकीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या घटने के बाद बीते सत्र में करीब छह हजार अधिक विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों का रुख कर लिया।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। निजी स्कूलों की ओर भागते बच्चों को वापस सरकारी स्कूलों की तरफ मोड़ने की शिक्षा विभाग की मुहिम रंग दिखाने लगी है। लगातार पांच साल तक राजकीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या घटने के बाद बीते सत्र में करीब छह हजार अधिक विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों का रुख कर लिया। इससे उत्साहित सरकार ने शिक्षा निदेशालय की आइटी सेल से स्कूलों की ताजा स्थिति की रिपोर्ट मांगी है।
पांच वर्षों में करीब 5.94 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ लिया था। इसके तहत वर्ष 2012-13 में जहां सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं कक्षा तक कुल 27.29 लाख बच्चे थे, वहीं यह आंकड़ा 2016-17 में 21.34 लाख पर सिमट गया। अकेले वर्ष 2015-16 में ही पौने चार लाख से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों को अलविदा कर गए।
बच्चों का पलायन रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान, एसएसए और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के सहयोग से प्लान तैयार किया। स्मार्ट क्लास, ज्वायफुल डे, अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई, लर्निंग लेवल टेस्ट सहित कई कदम उठाए गए। इसके बाद बीते सत्र में प्राथमिक स्कूलों में जहां आठ हजार बच्चे अधिक आए, वहीं नौवीं से बारहवीं तक 18 हजार अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। हालांकि छठी से आठवीं तक के करीब बीस हजार बच्चे सरकारी स्कूल छोड़ भी गए। इस तरह बीते सत्र में 6250 अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। चालू शिक्षा सत्र में भी बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है।
सरकारी स्कूलों में छात्र
सत्र | प्राथमिक | मिडल | सेकेंडरी | कुल |
2012-2013 | 13,43,958 | 7,28,389 | 6,56,544 | 27,28,891 |
2013-2014 | 12,72,491 | 7,64,373 | 6,68,485 | 27,05,349 |
2014-2015 | 12,00,871 | 7,57,341 | 6,61,398 | 26,19,610 |
2015-2016 | 9,51,254 | 6,61,397 | 6,26,738 | 22,39,389 |
2016-2017 | 9,10,206 | 6,15,962 | 6,08,751 | 21,34,919 |
2017-2018 | 9,18,241 | 5,96,516 | 6,26,412 | 21,41,169 |
शिक्षकों के साढ़े बीस हजार पद रिक्त
प्रदेश में कुल 14,436 सरकारी स्कूल हैं जिनमें शिक्षकों के 1,18,351 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 20,675 पद खाली हैं। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 14,736 लेक्चरर्स और हाई स्कूलों में 5939 पद मास्टरों के रिक्त हैं। करीब साढ़े तीन हजार स्कूल बगैर मुखिया के ही चल रहे हैं। स्टाफ की कमी के कारण ही बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम भी गिरता गया।
बुनियादी ढांचा किया दुरुस्त, शिक्षा स्तर सुधरा : शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार और सुविधाओं में इजाफे से बच्चों की संख्या फिर से बढऩे लगी है। पिछले कुछ वर्षों में छात्र संख्या में गिरावट की वजह ऑनलाइन सिस्टम है जिससे फर्जी एडमिशन बंद हो गए। एक ही बच्चे का सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में दाखिले का फर्जीवाड़ा हमने बंद किया है। पिछले पौने चार साल में सरकारी स्कूलों की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है।
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