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निजी स्‍कूलों की मनमानी पर नकेल, सरकारी स्कूलों में बगैर एसएलसी मिलेगा बच्चों को दाखिला

हरियाणा में निजी स्‍कूलों की मनमानी रोकने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया गया है। अब सरकारी स्‍कूलों में बच्‍चों को बिना एसएलसी के दाखिला होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 03:49 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 03:49 PM (IST)
निजी स्‍कूलों की मनमानी पर नकेल, सरकारी स्कूलों में बगैर एसएलसी मिलेगा बच्चों को दाखिला
निजी स्‍कूलों की मनमानी पर नकेल, सरकारी स्कूलों में बगैर एसएलसी मिलेगा बच्चों को दाखिला

चंडीगढ़,जेएनएन। हरियाणा सरकार ने निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लेना चाह रहे बच्चों को बड़ी राहत दी है। निजी स्कूलों के छात्रों को राजकीय विद्यालयों में स्कूल लीविंग सॢटफिकेट (एसएलसी) के बगैर दाखिला मिलेगा। एसएलसी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है।

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दाखिलों में स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की अनिवार्यता हुई खत्म

शिक्षा विभाग को शिकायतें मिल रही थी कि कई निजी स्कूल स्कूल छोडऩे वाले बच्चे का ऑनलाइन एसएलसी जारी नहीं कर रहे। इससे वह सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं ले पा रहे। इस पर एक्शन लेते हुए सभी निजी स्कूलों को 15 दिन के भीतर ऑनलाइन एसएलसी जारी करने का निर्देश दिया गया है।  अगर कोई प्राइवेट स्कूल संचालक एसएलसी जारी नहीं करता है तो स्वभाविक रूप से उस एसएलसी को जारी हुआ मान लिया जाएगा और संबंधित विद्यार्थी का नियमित दाखिला कर दिया जाएगा।

निजी स्कूलों की मनमानी रोकने को शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश

दरअसल किसी भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल में पढऩे वाले बच्चे को पहली ही कक्षा से ऑनलाइन एडमिशन पोर्टल पर एसआरएन (स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर) जारी किया जाता है। अगर बच्चे को पहला स्कूल छोड़कर दूसरे स्कूल में दाखिला लेना है तो पहला स्कूल बच्चे का ऑनलाइन एसएलसी भेजता है। इसके बाद उस बच्चे का नाम दूसरे स्कूल के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है। यदि पहला स्कूल एसएलसी जारी न करे तो बच्चे का दूसरे स्कूल में दाखिला नहीं हो पाता। इससे बच्चों को परेशानी आती है। इसलिए किसी भी बच्चे के लिए एसएलसी की अनिवार्यता जरूरी होती है।

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निजी स्कूलों को हाई कोर्ट से राहत नहीं, सुनवाई स्थगित

हरियाणा सरकार द्वारा निजी स्कूलों की फीस वसूली के लिए समय-समय पर जारी किए गए आदेशों को निजी स्कूलों द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दिए जाने व अभिभावकों द्वारा इस मामले में प्रतिवादी बनाए जाने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों की तरफ से आंशिक तौर पंजाब की तर्ज पर 70 प्रतिशत फीस लेने की छूट देने की मांग की लेकिन कोर्ट ने किसी भी तरह की राहत देने से मना करते हुए सभी केस अलग करते हुए मामले की सुनवाई 17 जून तक स्थगित कर दी। सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों की तरफ से इस अभिभावकों  को इस मामले में प्रतिवादी बनाने का विरोध किया गया। स्कूलों की तरफ से  कहा गया कि यह मामला सरकार व स्कूलों के बीच का है।

अभिभावकों की तरफ से उनके वकील प्रदीप रापडिया ने बहस के दौरान कहा कि अभिभावकों के पक्ष को इस मामले में अनदेखा नहीं किया जा सकता। अभिभावकों की तरफ से दलील दी गई कि लॉकडाउन होने के कारण अभिभावकों की आय भी प्रभावित हुई है।

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