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चावल मिलों में नहीं होगी फिजिकल वैरीफिकेशन, धान की मिलिंग पर मिलेगा बढ़ा बोनस, रुका भुगतान जल्द

हरियाणा के राइस मिलर्स की बड़ी राहत मिली है। मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल से वार्ता में राइस मिलों को कई रियायतें देने पर सहमति बनी। अब चीनी मिलों में फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं होगी और इसके साथ ही धान की मिलिंग पर उनका बानेस बढ़ेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 08:40 AM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 08:40 AM (IST)
चावल मिलों में नहीं होगी फिजिकल वैरीफिकेशन, धान की मिलिंग पर मिलेगा बढ़ा बोनस, रुका भुगतान जल्द
हरियाणा केी चावल मिलों को बड़ी राहत मिली है। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने धान की खरीद आरंभ होने से पहले ही राइस मिल मालिकों के साथ संभावित टकराव टाल दिया है। प्रदेश सरकार ने राइस मिलर्स की करीब एक दर्जन मांगें मान लिया। प्रदेश सरकार ने भरोसा दिलाया है कि जो राइस मिलर्स निर्धारित समय अवधि पर सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) का चावल उपलब्ध कराते रहेंगे, उनकी राइस मिलों में फिजिकल वैरीफिकेशन नहीं की जाएगी। इसके अलावा सरकार इस बार भी धान की मिलिंग पर 15 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस जारी रखेगी। केंद्र सरकार की ओर से राइस मिलर्स को 10 रुपये क्विंटल मिलता है, जबकि प्रदेश सरकार 15 रुपये अपनी तरफ से जोड़कर 25 रुपये क्विंटल का लाभ राइस मिलर्स को प्रदान करेगी।

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 हरियाणा सरकार ने धान की खरीद से पहले ही मिलर्स के साथ टकराव टाला

हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हुई बातचीत में करीब एक दर्जन मांगों को मानने पर सहमति बनी। प्रदेश में 25 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू होगी। हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रधान हंसराज सिंगला, चेयरमैन ज्वैल सिंगला, उप प्रधान विनोद गोयल और महासचिव मक्खन लाल सिंगला ने मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में धान की सरकारी खरीद का बहिष्कार करने का ऐलान कर रखा था। केंद्र सरकार जितना धान खरीदती है, उसका चावल बनाकर मिलर्स प्रदेश सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजते हैं। एक क्विंटल धान के विपरीत मिलर्स को 67 किलो चावल सरकार को प्रदान करना पड़ता है।

 सीएम के साथ हुई हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन की बैठक में एक दर्जन से ज्यादा मुद्दों पर बनी सहमति

राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने करीब आधा दर्जन अधिकारियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री को बताया कि पिछले साल 25-3-3-15 की पालिसी का प्रविधान था। इसके मतलब यह हुआ कि धान से चावल बनाकर देने में 25 प्रतिशत तक टुकड़ा (टूटा हुआ चावल), तीन प्रतिशत डैमेज, तीन प्रतिशत बदरंग और 15 प्रतिशत नमी वाला चावल दिया जाएगा। अब इसे बदलकर 20-2-2-14 कर दिया गया है। मिलर्स चावल की डिलीवरी के इस अनुपात पर काम करने को तैयार नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने मिलर्स को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार से बात कर पुरानी पालिसी के आधार पर ही हरियाणा में चावल की डिलीवरी ली जाएगी।

राइस मिलर्स पर पिछली बार धान से चावल बनाकर देने में धांधली के खूब आरोप लगे थे। इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया गया। मिलर्स के लिए अगले साल 30 मई तक धान से चावल बनाकर देने की अवधि तय की गई। पहले यह अवधि 30 अप्रैल थी, जिसे एक माह के लिए बढ़ा दिया गया है। प्रदेश सरकार ने कहा है कि चावल की डिलीवरी का समय तय होता है।

यदि राइस मिलर्स विभाग द्वारा निर्धारित समय अवधि में चावल की डिलीवरी करते रहेंगे तो उनकी मिलों में फिजिकल वैरीफिकेशन नहीं की जाएगी। यदि किसी कारण से करने की जरूरत भी पड़ी तो अगले साल जनवरी-फरवरी में फिजिकल वैरीफिकेशन होगी। इससे पहले कोई अधिकारी मिलों में नहीं जाएगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी व मार्केटिंग बोर्ड के मुख्य प्रशासक विनय सिंह समेत आधा दर्जन अधिकारी बैठक में शामिल हुए।

 सीएम के साथ इन मांगों पर भी बनी सहमति

 - लोडिंग-अनलोडिंग और स्टेकिंग के पैसे एफसीआइ देगी।

 - ठेके पर राइस मिल लेकर चलाने वालों से मिल के वास्तविक मालिक की गारंटी नहीं ली जाएगी। दो अन्य राइस मिलर्स यह गारंटी दे सकते हैं

 - जिन अफसरों ने राइस मिलर्स की एनओसी के बिना ठेकेदारों की पेमेंट की है, उनसे जवाब मांगा जाएगा

 - जिन राइस मिलर्स का कोई भी बिल पेंडिंग है, उसे एक सप्ताह में क्लीयर करा दिया जाएगा। यह राशि करीब 200 करोड़ रुपये है।

- तिरपालों का किराया तुरंत मिलेगा। इसका लेटर भी जारी हो गया है।

- अगर कोई मिलर सीएमआर चावल की डंपिंग एफसीआइ में खुद की लेबर से कराना चाहता है तो जिला उपायुक्त के जरिये वह ऐसा कर सकता है।

 - सेला चावल सीएमआर के चावल में नहीं मिलाया जा सकेगा।

 - सरकार द्वारा खरीदे गए फोर्टिफाइड चावल (एफआरके) की लंबित भुगतान राशि जल्द रिलीज होगी। यह चावल 74 रुपये किलो की दर से खरीदा गया था।

- ट्रांसपोर्टर को बिना राइस मिलर की एनओसी के पेमेंट नहीं मिलेगी।

 - एफसीआइ में वेट चैकिंग आनलाइन होगी।

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पड़ोसी राज्यों का धान भी खरीद सकेंगे आढ़ती

हरियाणा सरकार अपने राज्य में विभिन्न जिलों के साथ लगते पड़ोसी राज्यों के जिलों का भी धान खरीदने पर राजी हो गई है। एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष विनोद गोयल ने बताया कि मिलर्स व आढ़तियों के संबंध पड़ोसी राज्यों के किसानों से होते हैं। वह अपने यहां धान समेत अन्य फसलें बेचने आते हैं। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड ऐसे बाहरी किसानों की फसल भी हरियाणा में होगी।

विनोद गोयल के अनुसार मुख्यमंत्री ने सभी मांगों पर दरियादिली दिखाई। बोनस के पिछले साल के रुके हुए 51 करोड़ रुपये भी जारी करने के आदेश दे दिए हैं। बैठक में जो भी सहमति बनी, उनकी लिखित प्रति आनी बाकी है। वार्ता में बनी सहमति के आधार पर मिलर्स ने हड़ताल न करने और धान की खरीद सुचारू रूप से करने का फैसला किया है।


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