Manesar Land Scam में नया मोड़, उद्योग मंत्री को आरोपित न बनाने पर कोर्ट में उठे सवाल
Manesar Land Scam हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मानेसर जमी घोटाले को नया मोड़ देने की कोशिश की है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले में राज्य के उद्योग मंत्री को आरोपित नहीं बनाने पर सवाल उठाए गए।
पंचकूला, जेएनएन। Manesar Land Scam: हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मानेसर जमीन घोटाले के मामले को नया मोड़ देने की कोशिश की है। मानेसर जमीन घोटाले में मुख्य आरोपित हुड्डा ने सीबीआइ पर गंभीर सवाल उठाए हुड्डा की ओर से उनके वकील ने पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में हुड्डा की ओर से बहस की। इन दलीलों में उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के तत्कालीन उद्योग मंत्री को मामले में आरोपित न बनाने पर सवाल उठाया । उन्होंने कहा कि, यदि हुड्डा ने फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए, तो उससे पहले फाइल उद्योग मंत्री के पास से होकर आई है। ऐसे में केवल हुड्डा को आरोपित बनाना, राजनीतिक षड्यंत्र है।
बहस में रखा तर्क, मानेसर की जमीन उद्योग मंत्री ने पहले साइन की थी
हुड्डा ने वकील के माध्यम से कोर्ट में कहा कि भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और भाजपा नेताओं ने बयान दिए थे कि मुझे जमीन घोटालों में जेल भेजेंगे, जिसके बाद मुझ पर केस बनाया गया। इस पर सीबीआइ की विशेष अदालत ने कहा कि जिस उद्योग मंत्री या अन्य लोगों के खिलाफ ट्रायल के दौरान जो सबूत कोर्ट में आएंगे और आरोपित याचिका देंगे, तो उन्हें आरोपित बना लेंगे।
सीबीआइ जज ने लोकसेवकों को बचाने के लिए जांच अधिकारी पर उठाया सवाल
यह मामला गुरुग्राम के मानेसर, लखनौला और नौरंगपुर गांवों में किसानों से जमीन खरीदने से संबंधित है । घोटाले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश जगदीप सिंह द्वारा हरियाणा के गृह सचिव राजीव अरोड़ा सहित चार अन्य को आरोपित बनाकर समन देने के मामले में विस्तृत आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि इस मामले में कुछ लोगों को टारगेट किया गया और कुछ को छोड़ दिया गया। एक पुरानी कहावत है कि व्यक्ति झूठ बोल सकता है, लेकिन हालात नहीं।
न्यायाधीश ने हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य सचिव राजीव अरोड़ा सहित अन्य चार आरोपितों को जांच में आरोपित न बनाए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जांच अधिकारी ने कुछ लोगों की भूमिका पर आंखें बंद कर लीं। जांच एजेंसी हमेशा सभी संवेदनशील मामलों में उच्च स्तरीय लोगों से ऊपर रहती है। आम आदमी के विश्वास को कायम रखने के लिए ऐसे उदाहरणों की अनुमति नहीं दी जा सकती। कुछ जांच अधिकारियों की कलंकित जांच के कारण सीबीआइ को छवि को खराब नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा है कि, इस तरह के उदाहरण जांच एजेंसी के लिए पिंजरे में बंद तोते के उदाहरण लाने के लिए पर्याप्त हैं। सीबीआइ द्वारा इस मामले में एचएसआइआइडीसी के तत्कालीन प्रबंध महानिदेशक राजीव अरोड़ा (वर्तमान में गृह एवं स्वास्थ्य सचिव), चीफ टाउन प्लानर टाउन एंड कंट्री विभाग सुरजीत सिंह, एचएसआइआइडीसी के तत्कालीन सीटीपी धारे सिंह, तत्कालीन उप अधीक्षक कुलवंत लांबा, तत्कालीन निदेशक उद्योग और वाणिज्य डीआर ढींगरा को समन करके 17 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं।
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