हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के घर पर पकी चौटाला परिवार की नई सियासी खिचड़ी
Chautala Family हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के घर पर चौटाला परिवार की सियासी खिचड़ी एक बार फिर पकने लगी है। राज्य के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने पोते दुष्यंत चौटाला के घर पर पहुंचे। वहां दुष्यंत उनके पिता अजय चौटाला व रणजीत ने मंत्रणा की।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Chautala Family Politics: हरियाणा में किसान आंदोलन और निर्दलीय विधायकों की बैठक के बीच बृहस्पतिवार का दिन राजनीतिक रूप से खासा गरम रहा। ठंडी हवाओं और हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में चौटाला परिवार के तीन राजनीतिक दिग्गजों की मुलाकात राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा का विषय बनी रही। हरियाणा के डिप्टी सीएम के निवास पर हुई इस मुलाकात में स्वयं दुष्यंत चौटाला, उनके पिता जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अजय सिंह चौटाला और प्रदेश सरकार में बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला शामिल हुए। इस मुलाकाल को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। यह भी कहाजा रहा है कि रणजीत एक फिर चौटाला परिवार में एकता की भूमिका तैयार करना चाहते हैं।
निर्दलीय कोटे से मंत्री बने रणजीत चौटाला पोते दुष्यंत और भतीजे अजय से मिलने पहुंचे
रणजीत चौटाला रिश्ते में दुष्यंत चौटाला के दादा और अजय सिंह चौटाला के चाचा लगते हैं। रानियां से निर्दलीय चुनाव जीतकर आए रणजीत चौटाला को भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में जाट और निर्दलीय विधायकों के कोटे से बिजली व जेल मंत्री बनाया गया है। करीब एक सप्ताह पहले दुष्यंत के निवास पर हुई मंत्री समूह की बैठक में भी हालांकि रणजीत चौटाला शामिल हुए थे, लेकिन बृहस्पतिवार की मुलाकात कुछ अलग और विशेष बताई जा रही है। चर्चा यह भी है कि रणजीत की चाहत पूरे परिवार को पुन: एकजुट करने की है।
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तीनों के बीच काफी देर तक हुई मंत्रणा, रणजीत ने इसे पारिवारिक मुलाकात बताया
गौरतलब है कि इससे पहले बदले राजनीतिक घटनाक्रम में निर्दलीय विधायकों ने बैठक कर सरकार पर संभावित मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का दबाव बढ़ा दिया है। हालांकि इस बैठक का आधार किसान आंदोलन को बनाते हुए उनकी मांगों को मानने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया गया, लेकिन निर्दलीय विधायकों ने उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सरकार के साथ होने का इशारा भी कर दिया।
सूत्रों के अनुसार निर्दलीय विधायक चाहते हैं कि उन्हें भी सरकार में शामिल किया जाए। जब यह दलील दी गई कि रणजीत चौटाला सरकार में उनका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो बरोदा उपचुनाव में उनकी परफारमेंस का आकलन किया जाने लगा। कुछ निर्दलीय विधायक इस हक में भी बताए जाते हैं कि अभी सरकार के चार साल बाकी हैं। लिहाजा एक-एक विधायक को हर साल मंत्री बनाने का मौका दिया जाए।
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इसलिए अपनों की शरण में गए मंत्री रणजीत चौटाला
निर्दलीय विधायकों की बैठक, सरकार में चल रही मंत्रिमंडल बदलाव की चर्चा और बरोदा उपचुनाव में हार के लिए जाट नेताओं के सिर ठीकरा फोड़ने की राजनीति के बीच माना जा रहा है कि रणजीत चौटाला को अपनों की शरण में जाना ही बेहतर समझ रहे हैं। बताया जाता है कि दुष्यंत चौटाला, अजय चौटाला और रणजीत के बीच किसान आंदोलन से उपजे हालात तथा मंत्रिमंडल में होने वाले संभावित उलट-फेर पर चर्चा हुई है।
दादा के पर कतरने की कोशिश हुई तो पोता मोर्चा संभाले
रणजीत चौटाला चाहते हैं कि यदि मंत्रिमंडल में बदलाव के दौरान उनके पर कतरने की कोशिश हुई तो दुष्यंत चौटाला उनके लिए मोर्चा संभालें और उनका बचाव करें। हालांकि खुद दुष्यंत के लिए अपने विधायकों को एडजेस्ट करना तथा उन्हें संभालकर रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। संभावना इस बात की भी जताई जा रही है कि रणजीत सरकार के दूत बनकर अपने पोते व भतीजे के घर गए, ताकि आगे की परिस्थितियों से निपटने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा सके।
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