Haryana Municipal Election: हरियाणा में पुराने आरक्षण के आधार पर ही शहरी निकाय चुनाव संभव
Haryana Municipal Elections हरियाणा स्थानीय निकाय चुनाव जल्द ही होगा। ये चुनाव अब पुराने आरक्षण पर ही कराए जाएंगे। चुनाव के लिए नए सिरे से आरक्षण की तैयारी चल रही थी लेकिन चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर इसका विरोध हुआ था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में 45 शहरी निकायों के चुनाव में भले ही देरी हो, लेकिन प्रदेश सरकार प्रधान पद के हो चुके पुराने ड्रा के आधार पर ही यह चुनाव कराने की संभावनाएं तलाश रही है। शहरी निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे संभावित दावेदारों ने जब प्रधान पद के आरक्षण के लिए दोबारा होने वाले ड्रा का विरोध किया तो प्रदेश सरकार ने ए़डवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन की राय मांग ली। इन दावेदारों की दलील थी कि वह काफी समय से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। नए सिरे से यदि ड्रा निकलेगा तो सब कुछ नए सिरे से करना पड़ेगा। इसलिए पुराने ड्रा के आधार पर ही शहरी निकाय चुनाव कराए जाएं तो प्रदेश सरकार ने हाल फिलहाल नए सिरे से ड्रा कराने का इरादा त्याग दिया है।
चुनाव की तैयारी कर रहे लोगों ने किया था नए सिरे से आरक्षण के लिए ड्रा निकालने का विरोध
हरियाणा में 45 शहरी निकायों के प्रधान और पार्षदों के चुनाव होने हैं। नगर निगम की तरह प्रधान पद के चुनाव भी डायरेक्ट (सीधे मतदान के जरिये) होंगे। इसका फायदा यह होगा कि पार्षदों में से किसी एक को प्रधान बनाने के लिए न तो जबरदस्त तरीके से लाबिंग करनी पड़ेगी और न ही पार्षदों को मुंहमांगी कीमत पर खरीदा जा सकेगा। शहरी निकाय चुनाव कराने के लिए प्रदेश सरकार ने जून में ड्रा निकाल दिया था, जिसके आधार पर यह तय हो चुका था कि किस शहरी निकाय में प्रधान पद महिला, पुरुष, अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग या सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होगा। इस ड्रा के निकलने के बाद संभावित दावेदारों ने तभी से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी।
सीएम मनोहर लाल ने एडवोकेट जनरल बलदेव राज महासन से मांगी ड्रा को लेकर कानूनी राय
शहरी निकाय विभाग ने जब यह ड्रा निकाला था, उस समय छह निकायों की वार्डबंदी का काम चल रहा था। अब इन निकायों की वार्डबंदी पूरी हो चुकी है तो नए सिरे से ड्रा निकालने की मांग उठने लगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने 22 सितंबर की तारीख भी घोषित कर दी थी, लेकिन जब पुराने आरक्षण के आधार पर तैयारी कर रहे लोगों को इसका पता चला तो उन्होंने नए सिरे से होने वाले ड्रा का विरोध कर दिया।
इसके लिए वह शहरी निकाय मंत्री अनिल विज और सीधे मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी मिले। इन दावेदारों ने कहा कि वह काफी समय से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। वार्डों में लोगों के साथ उनका सीधा संपर्क है। यदि नए सिरे से ड्रा निकाला गया तो उसकी सारी तैयारी पर पानी फिर जाएगा।
एडवोकेट जनरल की राय पर सरकार तय करेगी चुनाव पहले ड्रा से होगा या नए ड्रा कराएंगे
हरियाणा सरकार खासकर मुख्यमंत्री ने नए ड्रा का विरोध करने वाले दावेदारों की इस समस्या को समझा और एडवोकेट जनरल से यह कानूनी राय मांग ली कि क्या पुराने ड्रा के आधार पर शहरी निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं। इस दौरान 22 सितंबर को होने वाला ड्रा स्थगित कर दिया गया।
एडवोकेट जनरल की राय आनी अभी बाकी है, लेकिन सरकार के रुख को देखते हुए लग रहा है कि ए़डवोकेट जनरल की राय पुराने ड्रा को सही ठहराने वाली हो सकती है। कागजों में यह राय लिखित तौर पर दाखिल कर दिए जाने के बाद सरकार पहले ड्रा के आधार पर ही शहरी निकाय चुनाव कराने का फैसला ले सकती है।
दीपावली के बाद होंगे निकाय और पंचायत चुनाव
हरियाणा में शहरी निकाय और पंचायत चुनाव लगातार लेट होते जा रहे हैं। पंचायतों का कार्यकाल फरवरी माह में पूरा हो चुका है, जबकि शहरी निकायों का कार्यकाल मई में पूरा हो चुका है। पंचायतों में आरक्षण व्यवस्था को चुनौती देने संबंधी कई केस हाईकोर्ट में चल रहे हैं, जिनका फैसला आने के बाद ही सरकार कोई निर्णय लेगी। इस केस में सुनवाई की तारीख 10 अक्टूबर को है। लिहाजा पंचायत चुनाव दीपावली के बाद ही होने की संभावना है।
इसके विपरीत सरकार शहरी निकाय चुनाव जल्दी करा सकती है, लेकिन एडवोकेट जनरल की राय आने के बाद ही सरकार कोई फैसला लेगी। ऐसे में इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि यह चुनाव भी दीपावली के बाद होंगे। दीपावली चार नवंबर की है। भाजपा, कांग्रेस, इनेलो व जजपा इन शहरी निकायों के चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। भाजपा यह चुनाव सिंबल पर लड़ेगी, जबकि कांग्रेस ने अभी फैसला नहीं किया है। भाजपा के साथ जजपा गठबंधन में यह चुनाव लड़ने जा रही है।