हरियाणा में एमएसएमई को ई-कामर्स प्लेटफार्म से मिलेगा वैश्विक बाजार, दैनिक जागरण के वेबिनार में बोले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित एमएसएमई ग्रोथ कान्क्लेव वेबिनार में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रोडमैप दिखाया। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि एमएसएमई के उत्थान के लिए प्रदेश में आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़/नई दिल्ली। हरियाणा में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) उद्योगों के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ई-कामर्स प्लेटफार्म को जरिया बनाएगी। इसके लिए पिछले एक साल में ई-कामर्स कंपनियों फ्लिपकार्ट, अमेजोन, ईबे, ‘पावर-टू-एसएमई’, ‘ट्रेड इंडिया डाट काम’ के साथ समझौते किए गए हैं। आनलाइन प्लेटफार्म मिलने से गांवों और छोटे शहरों में तैयार किए जा रहे उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने वीरवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित एमएसएमई ग्रोथ कान्क्लेव वेबिनार में यह बात कही। चौटाला के पास उद्योग एवं वाणिज्य विभाग तथा श्रम एवं रोजगार विभाग भी है। ई-कामर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ ही बड़ी संख्या में छोटे और मझौले उद्यमी वेबिनार से जुड़े और विशेषज्ञों की राय जानी। इस दौरान फ्लिपकार्ट ग्रुप के चीफ कारपोरेट अफेयर्स आफिसर रजनीश कुमार, पीएचडी चैंबर आफ कामर्स के चीफ इकोनोमिस्ट डा.एसपी शर्मा और विवाती आनलाइन के टिंकू मल्होत्रा ने ई-कामर्स की चुनाैतियों और एमएसएमई उद्योगों के लिए ई-कामर्स के जरिये व्यापार के विस्तार पर अपनी बात रखी।
उपमुख्यमंत्री द़ुष्यंत चौटाला ने वेबिनार की शुरुआत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने छोटे और मध्यम उद्योगों को बेहतर मंच प्रदान करने के लिए कई पहल शुरू की हैं। एमएसएमई के उत्थान के लिए आधारभूत ढांचा खड़ा किया जा रहा है। एक साल में 200 से अधिक छोटी कंपनियों को एक्सपोर्ट हाउस से जोड़कर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर दिया है। साथ ही बड़ी कंपनियों के जरिये उन्हें समय पर भुगतान की गारंटी और बैंक क्रेडिट डिफाल्ट नहीं होने का भराेसा दिलाया है। बड़ी कंपनियों की मदद से छोटे उद्यमियों को शिपिंग, पैकेजिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है। ‘हरियाणा उद्यम मेमोरेंडम’ पोर्टल से सरकार को पूरी जानकारी है कि किस कंपनी में कितने कर्मचारी हैं। इनमें कितने स्किल्ड हैं और कितने अनस्किल्ड। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार अधिनियम से प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
एमएसएमई के लिए आपदा में अवसर
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोरोना काल को एमएसएमई के लिए आपदा में अवसर के रूप में लिया। प्रयास रहा कि लाकडाउन में उद्योग बंद न हों। इसके लिए विशेष अनुमति दी गई। खासकर निर्यात को प्रभावित नहीं होने दिया गया। अब हर जिले में औद्योगिक कलस्टर से आगे बढ़ते हुए हमने प्रदेश के 140 खंडों को औद्योगिक विजन के साथ जोड़कर ‘वन ब्लाक वन प्रोडक्ट’ योजना के तहत लघु उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए नई औद्योगिक पालिसी ‘हरियाणा औद्योगिक एवं रोजगार नीति-2020’ बनाई गई है। निर्यात को दोगुना करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। बड़ी मदर यूनिट के आने से प्रदेश की एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा। 15 दिन में एमएसएमई को उद्योग शुरू करने की मंजूरी दी जा रही है। एमएसएमई सेक्टर के लिए पहले से दोगुना बजट आवंटित किया गया है। दो करोड़ रुपये तक के मिनी क्लस्टर उद्योगों को स्थापित करने में सरकार 90 प्रतिशत सहायता राशि दे रही है। हरियाणा ग्रामीण औद्योगिक विकास योजना के तहत गांवों में ज्यादा से ज्यादा उद्योग लाने का प्रयास है। गांवों की बंजर जमीन पर उद्योग स्थापित करने के लिए पंचायत अपनी जमीन किराये पर दे सकती है।
नागरिक उड्डयन, रक्षा क्षेत्र, सूचना एवं प्रौद्योगिकी में शुरू होंगे नए स्टार्ट-अप
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश में नागरिक उड्डयन, रक्षा क्षेत्र, सूचना एवं प्रौद्योगिकी में नए स्टार्ट-अप शुरू होंगे। किराना और शिल्पकारों को ई-कामर्स के जरिये उत्पाद की बिक्री के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। नरवाना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस ब्लाक में 300 से ज्यादा जूतियों की फैक्ट्री हैं। इसी तरह गुरुग्राम में खाद्य उत्पादों, फरीदाबाद में सेना के लिए बुलेट प्रूफिंग जैसे उत्पाद तैयार करने में एमएसएमई अहम भूमिका निभा रही हैं। मेवात जैसे क्षेत्र में वाहनों की मरम्मत का बड़ा कारोबार है।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि झज्जर के आठ गांवों में 200 महिलाएं 400-500 रुपये की लागत से गुडियाएं बनाकर सिंगापुर आधारित कंपनी को 1200 रुपये तक में बेच रही हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसएमई को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा है। एक खंड-एक उद्योग की योजना से स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। अगले एक साल में सभी 140 ब्लाक में आधारभूत ढांचा खड़ा किया जाएगा। व्यवसाय शुरू करने के लिए न्यूनतम लागत पर अधिकतम सुविधाएं मिलेंगी। प्रदेश सरकार 117 बिंदुओं पर उद्योगों को मदद देती है। पिछले दो साल में 17 बड़े उद्योगों के साथ ही बड़ी संख्या में एमएसएमई को बिजली दरों में छूट, जमीन खरीद में छूट, स्टांप फीस में छूट सहित अन्य रियायतें दी गई हैं।
एक्सपोर्ट प्रोमोशन ब्यूरो बढ़ाएगा निर्यात
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो’ बनाने जा रही है जो निर्यातकों को संस्थागत सहयोग देगा। उद्यमियों और निर्यातकों को न केवल इंसेन्टिव दिए जा रहे हैं बल्कि बिजनेस का माहौल, लिंकेज तथा अन्य सरकारी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। हर जिले में निर्यात को सुगम बनाने के लिए जिला स्तरीय एक्सपोर्ट प्रोमोशन कमेटी (डीएलईपीसी) बनाई गई हैं। व्यापार संबंधी विषयों जैसे लाजिस्टिक्स, कृषि संबंधी निर्यात और सर्विस एक्सपोर्ट्स की समीक्षा के लिए राज्य स्तर पर ट्रेड प्रोमोशन कमेटी बनाई गई हैं। औद्योगिक क्लस्टर में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए सुविधाओं से लैस वन स्टाप सेंटर बनाए जाएंगे जहां पैकेजिंग, शिपिंग आदि की सुविधाएं होगी। इससे छोटे उद्यमी गांव में बनने वाले अपने उत्पादों को विदेश में भी बेच सकेंगे।
देश-दुनिया के क्रेता-विक्रेताओं में बढ़ रही ई-कामर्स की अनिवार्यता
देश और दुनिया में क्रेता-विक्रेताओं के लिए ई-कामर्स प्लेटफार्म अब परंपरागत बाजारों का एक विकल्प नहीं बल्कि अनिवार्य संसाधन बन रहा है। ई-कामर्स प्लेटफार्म की उपयोगिता अब महानगरों, छोटे शहरों से गांव स्तर पर भी बढ़ रही है। इसका विस्तार रिटेल से थोक कारोबार में भी हो रहा है। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित एमएसएमई ग्रोथ कान्क्लेव वेबिनार में ई-कामर्स के जरिए व्यापार के विस्तार विषय पर विचार रखते हुए इस कारोबार से जुड़े विशेषज्ञों ने माना है कि देश की अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ डालर (5 ट्रिलियन डालर) तक पहुंचाने का लक्ष्य भी इस प्लेटफार्म से पूरा होगा। विशेषज्ञों ने ई-कामर्स प्लेटफार्म को एमएसएमई सेक्टर की ग्रोथ के लिए भी काफी उपयोगी माना है। इस प्लेटफार्म को विशेषज्ञों ने क्रेता और विक्रेताओं के लिए पूरी तरह पारदर्शी और ईमानदार माना है।
डा. एसपी शर्मा।
एमएसएमई और ई-कामर्स रोजगार के संसाधन बढ़ाएगा
पीएचडी चैंबर आफ कामर्स के चीफ इकोनामिस्ट डा. एसपी शर्मा ने कहा कि ई-कामर्स के जरिए एमएसएमई अपने कारोबार को देश-दुनिया तक विस्तार दे सकते हैं। देश में छह करोड़ एमएसएमई हैं। एमएसएमई की देश की अर्थव्यवस्था में 32 फीसद हिस्सेदारी है। इसे अगले पांच साल में 50 फीसद पर ले जाने के लिए एमएसएमई को ई-कामर्स प्लेटफार्म अपनाना होगा। ई-कामर्स प्लेटफार्म ने डिजिटल बाजार में क्रांति ला दी है। सरकार देश में रोजगार के संसाधन बढ़ाने के लिए प्रयत्न कर रही है। यदि छह करोड़ एमएसएमई एक भी मैनपावर ई-कामर्स प्लेटफार्म के लिए रखती है तो एक साथ छह करोड़ रोजगार सृजित होते हैं। कोरोना वायरस की महामारी के दौरान ई-कामर्स प्लेटफार्म लोगों के लिए जरूरत बन गया है। हां, ई-कामर्स से जुड़ने वाले क्रेता को सरकारी सहायता मिलनी चाहिए। इसमें सबसे अहम है बैंक ऋण देने में उदारीकरण नीति अपनाएं, ताकि एमएसएमई, रिटेलर और थोक विक्रेता के समक्ष वित्त संबंधी समस्या पैदा न हो। सरकार की अनेक ऐसी योजनाएं हैं जिनके प्रति जागरूकता से एमएसएमई को सहयोग मिल सकता है।
रजनीश कुमार।
किसान भी अपने उत्पाद बिक्री के लिए अपनाएं ई-कामर्स
फ्लिपकार्ट के चीफ कार्पोरेट अफेयर्स अफसर रजनीश कुमार का कहना है कि ई-कामर्स ऐसा प्लेटफार्म है जिसको महानगर, नगर और कस्बों के क्रेताओं के अलावा किसान भी अपना सकते हैं। अभी तक उनके पास अपना उत्पादन बेचने के लिए स्थानीय मंडी ही एक विकल्प है, लेकिन किसान ई-कामर्स प्लेटफार्म को अपनाते हैं तो उनके पास देश-दुनिया के किसी भी हिस्से में अपना उत्पाद बेचने का अवसर मिल जाता है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। ई-कामर्स प्लेटफार्म पर ग्राहकों की जरूरत का फीडबैक भी मिलता है। इससे किसानों को लोगों की जरूरत के बारे में ज्ञान होगा। किसान लोगों की मांग के अनुरूप भी अपने उत्पादन में बदलाव कर सकते हैं। फिलिपकार्ट की तरफ से उत्पादन कर गुणवत्ता और इसकी मार्केट के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। हरियाणा में राज्य सरकार के सहयोग से महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को क्वालिटी,पैकेजिंग,वित्त आयोजन संबंधी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। फिलिपकार्ट यह भी व्यवस्था करता है कि छोटे उद्यम की किसी बड़े उद्यम के साथ साझेदारी करवा दी जाए।
टिंकू मल्होत्रा।
रिटेल से थोक कारोबार में भी पहुंच रहा ई-कामर्स
विवाती आनलाइन के टिंकू मल्होत्रा का कहना है कि ई-कामर्स प्लेटफार्म पर काम करते हुए मेरा अनुभव आठ साल का है। हमें उम्मीद नहीं थी कि ई-कामर्स प्लेटफार्म पर एक बार में कितना आर्डर मिल सकता है। इस प्लेटफार्म पर ग्राहकों की मांग सिर्फ एक शहर, क्षेत्र, प्रदेश या देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया से मिलती है। इसमें कारोबार की बढ़ोतरी कल्पना से बाहर होती है। यहां सबसे बड़ी चुनौती यह रहती है कि ग्राहकों की मांग की आपूर्ति कैसे समयबद्ध हो। 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के बाद ई-कार्मस की उपयोगिता को बड़ा बूस्ट मिला है। कोरोना महामारी के बाद तो इसकी उपयोगिता समय की जरूरत बन गई है। अभी हमें लगता है कि यह केवल रिटेल बिजनेस तक ही सीमित है मगर जिस तरह फिलिपकार्ट ग्रुप ने रिटेल के साथ थोक कारोबार भी शुरू किया है, इससे तो बड़े क्रेता को पहले छोटे क्रेता मिलेंगे और फिर छोटे क्रेता को मार्केट में विक्रेता मिलेंगे। सरकारों के लिए ई-कामर्स प्लेटफार्म से न सिर्फ रोजगार बढ़ रहे हैं, बल्कि कारोबारी इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ रहा है।