हरियाणा में आगे नहीं बढ़ पाएंगे पैदल जाने वाले प्रवासी लोग यमुनानगर में श्रमिकों पर लाठीचार्ज
प्रवासी श्रमिक अब हरियाणा से आगे नहीं जा सकेंगे। हरियाणा सरकार ने उनके राज्य से आगे बढ़ने पर राेग लगा दी है। यमुनानगर में आगे बढ़ने की जिद कर रहे श्रमिकों पर लाठीचार्ज किया गया।
चंडीगढ़/यमुनानगर, जेएनएन। हरियाणा में अब पैदल जाने वाले किसी भी मजदूर या कामगार को सरकार आगे नहीं जाने देगी। सभी जिला उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि यह श्रमिक और उनके परिवार जहां भी दिखाई दें, उन्हेंं वहीं रोककर उनके रुकने, ठहरने तथा खाने पीने का बंदोबस्त करें। इसके बाद सरकार मजदूरों को रेल अथवा बसों के जरिये उनके मूल प्रदेश भिजवाने का इंतजाम करेगी। दूसरी ओर यमुनानगर में आगे बढ़ने पर अड़े श्रमिकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट के बाद ही मिलेगा दिल्ली वालों को ई-पास
इसके अलावा हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही दिल्ली से यहां आने वाले लोगों को ई-पास जारी किया जाएगा। इसके लिए जिस किसी को भी आवेदन करना होगा, उसे अपनी नेगेटिव रिपोर्ट आवेदन के साथ लगानी होगी।
हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के अनुसार ई-पास के लिए दिल्ली सरकार के उस विभाग को आनलाइन आवेदन करना होगा, जिसमें वह नौकरी करता है। मसलन नर्स के लिए स्वास्थ्य तो पुलिस जवान के लिए पुलिस विभाग को आवेदन करना होगा। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों के साथ-साथ जरूरी सेवाओं में ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों को पास जारी करने के आदेश दिए हैं।
यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में इसलिए गया क्योंकि हरियाणा ने दिल्ली से जुड़े सभी बार्डर की सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया था। दिल्ली से किसी को आने की इजाजत नहीं थी। दिल्ली से सटे गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर व पानीपत जैसे जिलों में कोरोना के केस बढऩे के बाद यह कदम उठाया गया था।
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि हम हाई कोर्ट के आदेशों का सम्मान करते हैं, लेकिन कोरोना पॉजिटिव को अपने प्रदेश में प्रवेश की इजाजत कैसे दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी लिखा है कि केवल कोरोना पॉजिटिव को ही क्वारंटाइन किया जाएगा। अब यह तो टेस्ट के बाद ही पता लगेगा कि कौन पॉजिटिव है और कौन नेगेटिव।
लॉकडाउन में सड़क पर पैदल जा रहे लोगों की मौत पर अनिल विज ने संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन राज्यों की सरकारें जिम्मेदार हैं, जो इन प्रवासियों को पैदल ही जाने दे रही हैं। अगर राज्य सरकारें अपने-अपने श्रमिकों को लेने के लिए तैयार हो जाएं तो रेलवे और अधिक ट्रेनें चलाने के लिए भी तैयार हैं और इनके साथ हो रहे हादसों को भी रोका जा सकता है। लॉकडाउन को लेकर सभी राज्यों ने अपने सुझाव पीएम मोदी को भेज दिए हैं। ऐसे में अब पीएम इस पर जो भी फैसला लेंगे वो सर्वमान्य होगा।
अब तक डेढ़ लाख प्रवासी दूसरे राज्यों में भेजे जा चुके, मनोहर ने यूपी और पंजाब के सीएम से बात की
हरियाणा से अभी तक डेढ़ लाख लोग अपने मूल प्रदेशों को भेजे जा चुके हैं। पचास हजार से एक लाख लोग खुद पैदल ही निकल पड़े, जबकि दो से ढ़ाई लाख लोग चोरी छिपे निकले हैं। पंजाब के कारण सबसे बड़ी समस्या हरियाणा के सामने आई। पंजाब इन लोगों को अपने प्रदेश में नहीं रोक सका। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने चोरी छिपे आने वाले कामगारों को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बात की। कैप्टन ने उन्हेंं इन श्रमिकों के लिए पंजाब में ही व्यवस्थाएं कराने का भरोसा दिया है। इसी तरह मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बात की।
मनोहर लाल के अनुसार अभी भी सिर्फ डेढ से दो लाख श्रमिक अपने प्रदेशों में लौटना चाहते हैं। इन्हेंं भेजने की व्यवस्था की जा रही है। बिहार व उत्तर प्रदेश में ऐसे काफी लोग हैं, जो वापस हरियाणा आना चाहते हैं। हमने उत्तर प्रदेश के सीएम से अनुरोध किया है कि इन मजदूरों को वापस हरियाणा भेजने के जरूरी इंतजाम किए जाएं।
हरियाणा में हर रोज हो रहे साढ़े तीन हजार टेस्ट
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अनुसार हरियाणा में कोरोना के टेस्ट की गति बढ़ाई गई है। प्रदेश में फिलहाल 13 लैब हैं। इनकी टेस्ट क्षमता चार हजार प्रतिदिन है, लेकिन यहां हर रोज साढ़े तीन हजार टेस्ट हो रहे हैं। यदि जरूरत पड़ी तो लैब व टेस्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी। कंटेनमेंट एरिया में डोर टू डोर स्क्रीनिंग की प्रक्रिया भी निरंतर चल रही है।
घर जाने की जिद पर अड़े मजदूरों पर पुलिस ने भांजी लाठियां
घर वापसी के लिए पंजाब और चंडीगढ़ से आ रहे प्रवासी मजदूर जैसे ही हरियाणा के यमुनानगर में करेड़ा खुर्द गांव के पास पहुंचे तो यहां पर पुलिस ने उन्हेंं रोक लिया। इससे उनका गुस्सा फूट पड़ा और गुस्साए कामगारों ने सड़क पर जाम लगा दिया। इस दौरान करेड़ा खुर्द के स्कूल में बने शेल्टर होम में रुके कामगार भी सड़क पर आ गए और उन्होंने भी हंगामा करना शुरू कर दिया। पुलिस ने उन्हेंं काफी समझाया लेकिन वे नहीं माने।
बाद में पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए कामगारों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। जिस पर कामगार वहां से भागने लगे। कुछ कामगार तो सड़क पर ही साइकिल व सामान छोड़कर भाग गए, हालांकि बाद में पुलिस ने सभी कामगारों को करेड़ा खुर्द में बने शेल्टर होम में ठहराया। बताया जा रहा है कि कुछ श्रमिक चोटिल भी हुए हैं। जिन्हेंं प्राथमिक उपचार दिया गया।
उत्तर प्रदेश के गोंडा निवासी राममेहर, सुनील कुमार, पन्ना लाल का कहना है कि पुलिस ने बुरी तरह से पीटा है। हम पहले से ही परेशान है। हम तो चुपचाप जा रहे थे जबरदस्ती हमें रोका गया। जब हमने विरोध किया तो हमें पीटा गया, हमारी साइकिल तक तोड़ डाली यह गलत है।
पंजाब और हिमाचल से कामगारों का पलायन नहीं रुक रहा है। हर रोज सैकड़ों की संख्या में कामगार पैदल ही अपने घरों को लौट रहे हैं। कोई यमुना पार कर जा रहा है तो कोई रात को छिपते छिपाते निकल रहा है। प्रशासन पर भी लगातार इसका दबाव पड़ रहा है। वही भाजपा संगठन भी कामगारों को रोकने के लिए आ गया आ गया है।
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