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हरियाणा पुलिस की वरिष्ठता सूची में जाति का जिक्र, और भी कई खामियां, हाई कोर्ट पहुंचा मामला

हरियाणा पुलिस की वरिष्ठता सूची में जाति का जिक्र भी किया जा रहा है। इसके अलावा इस सूची में और भी कई खामियां हैं। पुलिस की वरिष्ठता सूची को मोहिंदर सिंह और 15 अन्य ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:01 AM (IST)
हरियाणा पुलिस की वरिष्ठता सूची में जाति का जिक्र, और भी कई खामियां, हाई कोर्ट पहुंचा मामला
हरियाणा पुलिस की वरिष्ठता सूची पर विवाद। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस द्वारा वरिष्ठता सूची (Haryana Police Seniority List) तैयार करने के लिए निर्धारित प्रोफार्मा में अपने कर्मचारियों की जाति (Caste) का जिक्र करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में विभाग द्वारा तैयार वरिष्ठता सूची को रद करने की भी मांग की गई है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) के जस्टिस गिरीश अग्निहोत्री ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के गृह सचिव, डीजीपी व रेंज पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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उप निरीक्षक मोहिंदर सिंह और 15 अन्य ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में 21 मई, 2020 को जारी वरिष्ठता सूची को रद करने व राज्य पुलिस अधिकारियों और गृह विभाग को वरिष्ठता सूची में कर्मचारी की जाति का जिक्र करने से रोकने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

मामले की सुनवाई के दौरान याची पक्ष के वकील कर्मवीर सिंह बनयाना ने बेंच को बताया कि विभाग के अधिकारी डीजीपी के आदेश को नजरअंदाज कर नियमों को ताक पर रखकर वरिष्ठता सूची तैयार कर रहे हैंं। याची ने कोर्ट को बताया कि अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओं के जूनियर के डेट आफ कन्फर्मेशन को दस साल बाद बदल कर जूनियर को सीनियर बना दिया तथा एएसआइ के 149 पदों के बदले 749 को योग्य करार दिया गया।

बनयाना ने बेंच को बताया कि हैरानी की बात तो यह है कि उच्च अधिकारियों ने भी इस सूची पर अपने हस्ताक्षर कर दिए, जबकि कोई नियम दस साल बाद किसी कर्मचारी की डेट आफ कन्फर्मेशन बदलने की इजाजत नहीं देता। इतना ही नहीं वरिष्ठता सूची में कर्मचारियों की जाति का उल्लेख राज्य पुलिस अधिकारियों द्वारा किया गया है, जाति के कॉलम का वरिष्ठता सूची में रखना असंवैधानिक और अप्रासंगिक है।

दरअसल, जाति के कालम के आधार पर भेदभाव किया जा सकता है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने रिकवरी मेमो, एफआइआर और अन्य संबंधित में आरोपी, शिकायतकर्ता और साक्षियों के जाति का उल्लेख करने पर अपने एक फैसले में रोक का आदेश दिया हुआ है लेकिन पुलिस विभाग अभी भी वरिष्ठता सूची में जाति का उल्लेख कर रहा है। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब देने का आदेश दिया है।


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