तनाव के कारण लगातार बढ़ रहे मानसिक रोगी, जानें क्या है इसकी मुख्य वजह
बढ़ते काम का बोझ और टूटते संयुक्त परिवारों के चलते इंसान लगातार मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है।
चंडीगढ़ [डॉ. रविंद्र मलिक]। बढ़ते काम का बोझ और टूटते संयुक्त परिवारों के चलते इंसान लगातार मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है। माह दर माह मानसिक रोगियों का आंकड़ा बढ़ रहा है। संयुंक्त परिवार टूटकर छोटे हो गए और बढ़ते तनाव को शेयर के लिए अब परिजन भी पास नहीं रहे। इंसान बढ़ते काम और लाइफ स्टाइल के बीच भी संतुलन नहीं बना पा रहा है। इसका खुलासा पीजीआइ के आंकड़ों और एक्सपर्ट्स ने किया।
पिछले डेढ़ साल में पीजीआइ के मनोचिकित्सा विभाग में आने वाले मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। साल 2017 में हर माह औसतन 8 हजार से नीचे मरीज आ रहे थे तो साल 2018 के पहले छह महीनों में औसतन करीब 8368 मरीज हर माह आए। आंकड़ों से साफ है कि मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फेमिली एक सपोर्ट सिस्टम होता है, जो दुख व तनाव की स्थिति में इंसान के साथ खड़ा होता है लेकिन छोटे परिवार होने के चलते अब यह सपोर्ट सिस्टम खत्म हो रहा है।
पिछले साल 95 हजार से ज्यादा मरीज पीजीआइ आए
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ है कि साल 2017 में 95100 मरीज पीजीआइ के साइकियाट्री विभाग में इलाज के लिए आए। हर माह औसतन 7933 मरीज इलाज के लिए आए। जनवरी महीने में सबसे कम मरीज आए तो सबसे ज्यादा मरीज मई माह में आए और आंकड़ा 9 हजार से भी ऊपर चला गया।
इस साल करीब 433 मरीज हर माह बढ़े
इस साल के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2017 की तुलना में पीजीआइ आने वाले मरीजों की संख्या में मासिक रूप से चार सौ ज्यादा मरीजों का इजाफा हुआ। साल 2018 में पहले छह महीने में 50209 मरीज आए। पिछले साल के पहले छह महीने के आंकड़ों से तुलना करें तो साफ है कि हर माह 433 मरीज ज्यादा आए हैं। वास्तव में चिंताजनक हैं। पहले जहां हर माह औसतन 7933 मरीज इलाज के लिए आ रहे थे।
खुद का ख्याल नहीं रखा तो कोई नहीं रखेगा
एक्सपर्ट्स की मानें तो किसी भी इंसान के लिए सबसे जरुरी है कि वो खुद को प्राथमिकता देना शुरू करें। अपने लिए समय निकालें। काम और व्यक्तिगत जिंदगी के बीच संतुलन बनाए। ऐसा नहीं हुआ तो चीजें खराब होना शुरू हो जाएंगी। इसके अलावा डाइट का ध्यान विशेष रूप से रखें। इन सब पहलुओं पर नियमित रूप से ध्यान दें।
दोस्तों, परिजनों के लिए समय निकालें
पीजीआइ के साइकियाट्री विभाग के प्रो. डी बासु का कहना है कि पहले का सामाजिक ताना बाना मजबूत था, इंसान परिवार से हर बात शेयर करता था, अब ऐसा नहीं है। दोस्तों, परिजनों के लिए समय निकालें। एक्सरसाइज, योगा व मेडिटेशन को हर रोज अपनाएं।
इसका ध्यान जरूर रखें
- रोज कम से कम 30 मिनट दोस्तों और परिवार के साथ समय जरूर बिताएं
- मेडिटेशन व योग को रूटीन में शामिल करें
- तनाव ज्यादा है तो अपने करीबियों से शेयर करें
- शराब, धूम्रपान व किसी भी तरह के नशे से बचें