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गुरमीत राम रहीम को मेदांता में भर्ती कराने का मामला HC पहुंचा, अंशुल छत्रपति का चीफ जस्टिस को पत्र

डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को गुरुग्राम के मेदांता अस्‍पताल में दाखिल कराने का मामला पंजाब एवं हरियाण हाई कोर्ट पहुंच गया है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रप‍ति ने इस संबंध में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर हस्‍तक्षेप की मांग की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 02:52 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 06:20 AM (IST)
गुरमीत राम रहीम को मेदांता में भर्ती कराने का मामला HC पहुंचा, अंशुल छत्रपति का चीफ जस्टिस को पत्र
अंशुल छत्रपति और गुरमीत राम रहीम की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, जेएनएन। रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को गुरुग्राम के निजी अस्पताल में इलाज कराने का मामला अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम साध्‍वी दुष्‍कर्म मामले और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्‍या के मामले में सजा काट रहा है। उसे इलाज के लिए गुरुग्राम के मेदांत अस्‍पताल में दाखिल कराने के खिलाफ रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश को पत्र लिखा है। अंशुल ने अस्‍पताल में गुरमीत राम रहीम की देखभाल के लिए उसके परिवार वालों और हनीप्रीत के साथ रहने पर भी एतराज किया है। अंशुल ने गुरमीत राम रहीम को गलत तरीके से मेडिकल पैरोल देने का आरोप लगाते हुए चीफ जस्टिस से इसे रद करने की भी गुजा‍रिश की है।

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अंशुल ने गुरमीत को मेडिकल पैरोल देने का आरोप लगाया, फाइव स्‍टार अस्‍पताल में भर्ती कराना गलत

अंशुल छत्रपति ने कहा है कि सजायाफ्ता गुरमीत राम रहीम को निजी अस्‍पताल में भर्ती कराने और मेडिकल पैरोल देने का हरियाणा सरकार का फैसला गलत है। इसके साथ ही अस्पताल में हनीप्रीत समेत उसके परिवार वालों को गुरमीत राम रहीम के साथ रहने की इजाजत देना गलत है। अंशुल ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

चीफ जस्टिस को लिखे मांग पत्र में छत्रपति ने कहा कि यह कानून का दुरुपयोग है जिसमें हत्या व दुष्‍कर्म के आरोपी को इस तरह की सुविधा दी जा रही है। आज तक सरकार ने इस तरह के किसी भी मामले में इस तरह के अपराधी को इस तरह के इलाज की सुविधा नहीं दी है हाई कोर्ट इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें व हरियाणा सरकार के आदेश को रद करे।

बता दें कि गुरमीत रहीम को सुनारिया जेल में रैपिड टेस्‍ट में काेरोना पाजिटिव पाया गया था। इसके बाद उसे गुरुग्राम के निजी अस्‍पताल मेदांता में भर्ती कराया गया। बाद में गुरमीत का कोरोना टेस्‍ट नेगेटिव पाया गया।  गुरमीत राम रहीम को पेट में तकलीफ बताई जाती है। मेदांता में गुरमीत राम रहीम की देखभाल के लिए उसके परिवार के साथ-साथ हनीप्रीत को भी अटेंडेंट के रूप में अनुमति दे दी गई। विवाद के बाद अब बताया जा रहा है कि हनीप्रीत को दी गई अनुम‍ति को रद कर दिया गया है।

अंशुल छत्रपति ने पत्र में आरोप लगाया है कि हत्या व दुष्कर्म जैसे संगीन मामले में सजायाफ्ता अपराधी को बीमारी के बहाने फाइव स्टार अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देकर कहा गया कि मेडिकल आधारित पैरोल केवल मेडिकल दस्तावेज के आधार पर देनी चाहिए न कि पैसे या उच्च पहुंच के आधार पर।

अंशुल ने कहा कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रीम कभी मां की बीमारी तो कभी खुद के बीमारी के बहाने गुरुग्राम के फार्म हाउस में जाकर हनीप्रीत व डेरा की मैनेजमेंट से गुप्त बैठक कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि गुरमीत कोरोना पॉजिटिव है तो उसने पीजीआइ में टेस्ट क्यों नहीं करवाया। गुरमीत को भी जेल में आइसोलेट कर उपचार दिया जाना चाहिए, लेकिन डेरा प्रमुख के मामले में विशेष रियायत बरती जा रही है। हत्या व दुष्कर्म जैसे मामलों में सजा काट रहे गुरमीत को इस तरह की सुविधाएं देना प्रदेश के लिए खतरा हो सकता है।

अंशुल ने पत्र में लिखा है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज को किसी से मिलने भी नहीं दिया जाता है, लेकिन रामरहीम के मामले में हनीप्रीत को अटेंडेंट कार्ड जारी किया गया। हनीप्रीत दिन में कई बार गुरमीत राम रहीम से मुलाकात कर रही है, जिससे लगता है कि कोई बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है।

अंशुल छत्रपति ने कहा है कि गुरमीत राम रहीेम जैसे कैदी को इस तरह मेदांता अस्पताल में भर्ती कराना और वीआइपी सुविधाएं देना बड़ा सवाल उठाता है। हनीप्रीत पंचकूला हिंसा की मुख्य आरोपित है जिसमें काफी लोगो को जान देनी पड़ी थी। ऐसे में उसे गुरमीत राम रहीम के करीब इस तरह रहना कोई बड़ी साजिश हो सकती है। अंशुल ने कहा कि इस राम रहीम को इस तरह की सुविधा देकर कानून को ठेंगा दिखाकर कानून का मजाक बनाया जा रहा है।

अंशुल छत्रपति ने सवाल किया है कि आखिर जेलों में बंद कितने कैदियों को उपचार के लिए फाइव स्टार अस्पतालों में ले जाया जाता है। पत्र में बताया गया कि राम रहीम के साथ एक अन्य मामले में सह आरोपी कृष्ण लाल को हाई कोर्ट ने उसकी मां की मौत पर भी पैरोल देने से मना कर दिया था। अंशुल ने चीफ जस्टिस से आग्रह किया कि वह इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करते हुए सरकार द्वारा राम रहीम को 6 जून को जारी मेडिकल पैरोल को रद कर उसे जेल में ही आइसोलेट करने के आदेश जारी करें ताकि राज्य में अमन- शांति बनी रहे।

गुरमीत राम रहीम की निगरानी में तैनात नंबर व जेल स्‍टाफ के कोरोना टेस्‍ट भी नेगेटिव

उधर रोहतक की सुनारिया जेल में गुरमीत सिंह की निगरानी में तैनात नंबरदार व जेल स्टाफ का कोरोना टेस्ट कराया गया। सभी की रिपोर्ट नेगेटिव मिली है। जेल मैनुअल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें किसी कैदी को प्राइवेट अस्पताल में अटेंडेंट दिया जा सके। जेल में अगर कोई कैदी बीमार है तो उसे अटेंडेंट देने की प्रावधान जेल मैनुअल में है। जेल मैनुअल अंग्रेजों के समय का बना हुआ है, उसमें प्राइवेट अस्पताल का कोई जिक्र नहीं है।

सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे डेरामुखी गुरमीत सिंह को विगत रविवार को गुरुग्राम के मेंदाता अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अस्पताल ले जाने से पहले उसके पेट में असहनीय दर्द और बीपी अनियंत्रित था। चिकित्सकों के अनुसार बीपी 58 तक पहुंच गया था। मेदांता में उसकी कोरोना की रैपिड जांच की तो वह पाजिटिव मिली। एक दिन बाद आरटीपीसी की तो रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई। गुरमीत की रिपोर्ट पाजिटिव मिलने के बाद सुनारिया जेल में उसकी बैरक में तैनात सभी नंबरदार व स्टाफ का भी कोरोना टेस्ट कराया गया, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई।

एक साल से नहीं हुई थी स्वजनों से मुलाकात

सुनारिया जेल में कोरोना महामारी के चलते कैदी और पुराने बंदियों की मुलाकात पर मार्च 2020 से ही प्रतिबंध है। इससे पहले हर सप्ताह गुरमीत से मिलने उसके स्वजन आते थे। करीब एक साल से तो गुरमीत से स्वजनों की जेल में मुलाकात ही नहीं हुई थी। पिछले दिनों इमरजेंसी पैरोल लेकर गुरुगाम के मानेसर स्थित फार्म हाउस में गुरमीत की मां से जरूर मुलाकात हुई थी। स्वजनों से मुलाकात नहीं होने के कारण भी गुरमीत ज्यादा परेशान था।


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