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हारे हुए किसी मंत्री को भाजपा अध्यक्ष पद की बागडोर नहीं, पद के लिए लॉबिंग हुई तेज

भाजपा ने नीतिगत निर्णय लिया है कि किसी भी चुनाव हारे हुए पूर्व मंत्री अथवा विधायक को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। पार्टी मेंं अध्यक्ष पद के लिए लॉबिंग तेज हो गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 10:11 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 08:40 AM (IST)
हारे हुए किसी मंत्री को भाजपा अध्यक्ष पद की बागडोर नहीं, पद के लिए लॉबिंग हुई तेज
हारे हुए किसी मंत्री को भाजपा अध्यक्ष पद की बागडोर नहीं, पद के लिए लॉबिंग हुई तेज

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में नए भाजपा अध्यक्ष पद के लिए लॉबिंग एकाएक तेज हो गई है। भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला इस बार विधानसभा चुनाव हार गए हैं। उनके साथ पिछली मनोहर सरकार में सत्ता चलाने वाले आठ मंत्री भी चुनाव हारे हैं। भाजपा ने नीतिगत निर्णय लिया है कि किसी भी चुनाव हारे हुए पूर्व मंत्री अथवा विधायक को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।

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भाजपा के इस आंतरिक फैसले से प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल आधा दर्जन नेताओं की उम्मीदेें टूट गई हैं। हालांकि कुछ पूर्व मंत्री खुद भी संगठन में एंट्री नहीं चाहते थे, लेकिन भाजपा हाईकमान के फैसले के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार नेताओं की संख्या सीमित हो गई है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नई कैबिनेट में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला समेत चार जाट मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा का मानना है कि विधानसभा चुनाव में जाटों ने पार्टी को इस बार वोट नहीं दिए, इसलिए उनकी नाराजगी दूर करने के लिए नई कैबिनेट में जाटों को अधिक अहमियत दी गई है। इसके बावजूद पार्टी अध्यक्ष पद पर किसी जाट नेता को नहीं बैठाने पर सहमति बनाई जा रही है।

भाजपा के इस आंतरिक फैसले से गैर जाट नेताओं को अध्यक्ष बनने की आस जगी है। भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए चार सांसद जबरदस्त लाबिंग कर रहे हैं। इनमें केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का नाम सबसे ऊपर है। गुर्जर की मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ अच्छी ट्यूनिंग भी हैं। लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव में अक्सर पार्टी ने गुर्जर की राय को खास अहमियत दी है। गुर्जर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मजबूत सिपाही हैं। इसलिए केंद्रीय स्तर पर यदि किसी तरह की अड़चन नहीं आई तो गुर्जर को प्रदेश अध्यक्ष पद सौंपा जा सकता है। उन्हें सभी को साथ लेकर चलने की कला आती है और पूर्व में अध्यक्ष रह चुके हैैं।

गुर्जर के अलावा कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी, करनाल के सांसद संजय भाटिया और अंबाला के सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया के नाम भी अध्यक्ष पद के लिए चल रहे हैं। रतनलाल कटारिया पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं। स्वास्थ्य कारणों से वह खुद भी अपना नाम वापस ले सकते हैं, जिसकी उम्मीद कम है। हालांकि संगठन किसी सक्रिय नेता को यह जिम्मेदारी सौंपना चाहता है।

करनाल के सांसद संजय भाटिया की गिनती मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सबसे विश्वनसनीय साथियों में होती है। वह संगठन में महामंत्री भी हैं। मुख्यमंत्री की रथयात्रा का पूरा शेड्यूल संजय भाटिया ने तैयार कर उसे क्रियान्वित किया है। टिकटों के बंटवारे में उनकी राय को खासी अहमियत मिली। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि संजय भाटिया को संगठन में सक्रिय किया जाए, लेकिन भाटिया चूंकि पंजाबी हैं और मुख्यमंत्री भी पंजाबी समुदाय से हैं, इसलिए उनका नंबर कट सकता है।

कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी पिछली मनोहर सरकार में श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर भी काफी रहा। वह भी मुख्यमंत्री के बेहद करीबी हैं। गैर जाट चेहरे हैं, इसलिए नायब सिंह सैनी के नाम को भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए काफी मजबूत मानकर चला जा रहा है।

महीपाल ढांडा व कंवरपाल गुर्जर के नाम भी

भाजपा संगठन ने यदि किसी विधायक को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी तो पानीपत ग्रामीण हलके से दूसरी बार एमएलए बने महीपाल सिंह ढांडा का नाम नए अध्यक्ष के रूप में लिया जा सकता है। वहीं शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए कुछ समय के लिए चला, लेकिन अब वह अध्यक्ष पद के लिए किसी भी सूरत में मंत्री पद छोडऩे को तैयार नहीं होंगे।

इन पूर्व मंत्रियों की उम्मीदें टूटी

1. प्रो. रामबिलास शर्मा

2. ओमप्रकाश धनखड़

3. कैप्टन अभिमन्यु

4. कविता जैन

5. कृष्ण कुमार बेदी

6. कर्ण देव कांबोज

7. कृष्ण लाल पंवार

8. मनीष ग्रोवर

9. विपुल गोयल

10. राव नरबीर

11. सुभाष बराला

15 दिसंबर से पहले नया प्रदेश अध्यक्ष

हरियाणा के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर 15 दिसंबर से पहले निर्णय हो जाएगा। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव है। इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले-पहले भाजपा को हरियाणा में अपने नए अध्यक्ष पद का निर्णय अवश्य तौर पर कर लेना होगा। जनवरी 2020 में प्रदेश संगठन की नई टीम तैयार होगी।

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