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सामने आया इनेलो सुप्रीमो का लेटर, इनेलो की 'ओवरहालिंग' करेंगे अभय चौटाला

अजय सिंह चौटाला काे इनेलो से निष्‍कासित किए जाने का पत्र अाखिरकार जारी कर दिया गया है। इसके बाद अब अभय सिंह चौटाला इनेलो का आेवरहालिंग करने की तैयारी में हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 01:02 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 07:03 PM (IST)
सामने आया इनेलो सुप्रीमो का लेटर, इनेलो की 'ओवरहालिंग' करेंगे अभय चौटाला
सामने आया इनेलो सुप्रीमो का लेटर, इनेलो की 'ओवरहालिंग' करेंगे अभय चौटाला

जेएनएन, चंडीगढ़। इनेलो के प्रधान महासचिव डाॅ. अजय सिंह चौटाला के निष्कासन पत्र को फर्जी करार दिए जाने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला के हस्ताक्षर युक्त निष्कासन पत्र जारी कर दिया है। इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा की ओर से जारी ओमप्रकाश चौटाला के इस पत्र को तिहाड़ के जेल अधीक्षक ने सत्यापित किया है। अब इसके बाद अभय सिंह चौटाला इनेलो की आेवरहालिंग करने की तैयारी में है। 17 नवंबर के बाद अभय पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के अभियान में जुटेंगे।

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जेल अधीक्षक ने सत्यापित किए चौटाला के हस्ताक्षर, दुष्यंत व दिग्विजय के सवाल उठानेपर जारी किया गया

जेल अधीक्षक ने अपने डेढ़ लाइन के नोट में दावा किया कि संबंधित पत्र पर ओमप्रकाश चौटाला के ही हस्ताक्षर हैैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला की मौजूदगी में इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने बुधवार को मीडिया के सामने डाॅ. अजय चौटाला के निष्कासन के ओमप्रकाश चौटाला के आदेश पढ़कर सुनाए थे। तब मीडिया के सामने इस पत्र को जारी करने की बजाय दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला के निष्कासन पत्र को जारी कर दिया गया था, जिस पर ओमप्रकाश चौटाला के हस्ताक्षर थे।

डाॅ. अजय चौटाला के पार्टी से निष्कासन का पत्र जारी नहीं होने की स्थिति में दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ने इस पर सवाल उठाए थे। साथ ही यह भी कहा था कि यह ओमप्रकाश चौटाला का निर्णय नहीं है। डाॅ. अजय चौटाला के निष्कासन का पत्र फर्जी है, क्योंकि इस पर न तो ओमप्रकाश चौटाला के हस्ताक्षर हैैं और न ही जेल प्रशासन ने इसे प्रमाणित किया है। यदि लेटर सही भी है तो जेल में यह कैसे टाइप हुआ।

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दुष्यंत और दिग्विजय के आरोपों का जवाब देने के लिए इनेलो के प्रदेश कार्यालय की ओर से 12 नवंबर का ओमप्रकाश चौटाला के हस्ताक्षर युक्त पत्र जारी कर दिया गया। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते ओमप्रकाश चौटाला ने डाॅ. अजय सिंह चौटाला को 17 नवंबर की जींद बैठक बुलाने के लिए अनुशासनहीनता का दोषी माना है।

अजय चौटाला के निष्‍कासन का पत्र।

इनेलो सुप्रीमो ने अपने पत्र में कहा है कि उनके लिए पार्टी सर्वोपरि है और उससे कोई भी व्यक्ति बड़ा नहीं है। चाहे वह उनके परिवार का सदस्य ही क्यों न हो। अजय चौटाला अनाधिकृत रूप से पार्टी के सभी पदाधिकारियों और नेताओं की असंवैधानिक बैठक बुलाकर एक समानांतर संगठन चलाने का प्रयास कर रहे हैैं, जो कि पार्टी को कमजोर करने की कार्यवाही है। इसलिए उन्हें पद से हटाते हुए पार्टी से निकाला जाता है।

तिहाड़ जेल अधीक्षक द्वारा आेमप्रकाश चौटाला के हस्‍ताक्षर के सत्‍यापन का पत्र।

'देवीलाल के आदर्श और ओमप्रकाश चौटाला के नियमों को चुनौती देना उचित नहीं'

'' जब दुष्यंत और दिग्विजय का निष्कासन हुआ था, तब भी ओमप्रकाश चौटाला के निर्णय पर सवाल उठाए गए थे। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अजय सिंह चौटाला का निष्कासन किया है तो भी सवाल उठाए गए। ऐसे लोग देवीलाल के आदर्शों और ओमप्रकाश चौटाला के नियमों को चैलेंज कर रहे हैं। हमारी पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षरयुक्त लेटर जारी कर दिए हैं। सत्य सबके सामने हैं। हमें साजिशकर्ता बताकर आम कार्यकर्ता का अपमान किया जा रहा है।

                                                                                           - प्रवीण आत्रेय, प्रवक्ता, इनेलो हरियाणा।

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अब संगठन को नए सिरे से खड़ा करेंगे अभय चौटाला

दूसरी ओर, इनेलो में चल रही आंतरिक कलह के बीच अब अभय चौटाला गुट ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला द्वारा अभय को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद अभय पर संगठन की जिम्मेदारी भी आ गई है। अभय ने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने तथा उसमें व्यापक बदलाव के संकेत दिए हैं। संगठन से अभी भी ऐसे लोगों को बाहर किया जा सकता है, जो भले ही अजय सिंह चौटाला के समर्थक हैं, लेकिन अभय गुट की नजर में वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। अभय ऐसे लोगों को कांग्रेस का पेड वर्कर घोषित कर चुके हैैं।

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दूसरी तरफ 17 नवंबर की जींद बैठक में अजय चौटाला गुट कोई नया दांव खेल सकता है। अजय चौटाला समर्थकों द्वारा नई पार्टी बनाने का संकेत दिया जा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह रहेगा कि इनेलो का मौजूदा चुनाव चिन्ह चश्मा किसके पास होगा।

यदि विवाद बढ़ा तो इस चुनाव चिन्ह पर महासंग्राम के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग कोई बड़ा निर्णय ले सकता है। ऐसे में दोनों दलों के लिए अलग-अलग चुनाव चिन्ह हासिल करने का विकल्प खुला रहेगा, लेकिन यह तय है कि दोनों गुटों में से कोई भी चश्मे पर अपनी दावेदारी छोडऩे को तैयार नहीं होगा और इसके लिए हरसंभव कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।

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उधर, अजय सिंह और अभय चौटाला दोनों भाइयों ने जींद को अपनी राजनीतिक रणभूमि बना लिया है। अजय चौटाला अपनी राजनीति की नई पारी 17 नवंबर को जींद से शुरू करने वाले हैं, जबकि अभय सिंह चौटाला एक दिसंबर से पूरे प्रदेश में अधिकार यात्रा शुरू कर रहे हैं। बसपा के सहयोग से यह यात्रा शुरू होगी, जिसके बाद अगले साल फरवरी में अभय चौटाला जींद में ही राज्य स्तरीय बड़ी रैली करेंगे।

अभय चौटाला ने फरवरी की रैली को इनेलो की गोहाना रैली से बड़ा बनाने की तैयारी अभी से शुरू कर दी है, जबकि अजय चौटाला गुट भी 17 नवंबर की बैठक के बाद राज्य स्तरीय रैली करने की तैयारी कर रहा है। ऐसे संकेत खुद अजय सिंह चौटाला ने दिए हैैं।

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